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नई दिल्ली। नए आईटी नियम 2021 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध फर्जी खबरों (फेक न्यूज) सहित गैरकानूनी सामग्री को हटाने के लिए चेक एंड बैलेंस प्रदान करते हैं और नियम प्री-सेंसरशिप की वकालत नहीं करते हैं। केंद्र सरकार ने यह तर्क हाईकोर्ट के समक्ष रखा।
केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर कर कर नियमों की वैधता का बचाव करते हुए कहा है कि फर्जी खबरों में सामुदायिक ताने-बाने को कुछ ही समय में तोड़ने की क्षमता होती है। अक्सर इनसे सार्वजनिक व्यवस्था की गंभीर समस्याएं होती पैदा होती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता उदय बेदी ने यह हलफनामा उस याचिका पर पेश किया है जिसमें आईटी नियमों के नियम तीन और चार को चुनौती दी गई है।
केंद्र ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म गतिशील प्रकृति के हैं। गैरकानूनी सामग्री एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर तेजी से फैलती हैं। इसलिए मध्यस्थों को व्यक्तियों या राज्य को नुकसान से बचाने और नुकसान को रोकने के लिए अनुपालन कार्रवाई (सामग्री को हटाने) को तेजी से सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।
यदि तत्काल कार्रवाई नहीं है तब अवैध सामग्री अन्य प्लेटफार्मों पर फैल सकती है या नए रूप (संशोधित सामग्री) ग्रहण कर सकती है। इस तरह की गैरकानूनी सामग्री को कई प्लेटफार्मों पर सामग्री के कई रूपों में पहुंचने के बाद इसे हटाना मुश्किल है।
केन्द्र ने कहा नियमों के संचालन और प्रवर्तन पर रोक लगाने वाला कोई भी अंतरिम आदेश सोशल मीडिया मध्यस्थों के कानूनी अनुपालन को प्रभावित करेगा और एक स्वच्छ, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह ऑनलाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य को समाप्त कर देगा। यह कहते हुए कि नियम संवैधानिक रूप से मान्य हैं, केंद्र ने आगे कहा है कि नियमों का स्पष्ट ध्यान महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने पर है।
केंद्र ने कहा केवल ऐसी जानकारी, उदाहरण के लिए जो मानहानिकारक, अवमाननापूर्ण, अश्लील, पीडोफिलिक, किसी अन्य की गोपनीयता के लिए आक्रामक, शारीरिक गोपनीयता आदि से संबंधित है, उन्हें उपयोगकर्ता द्वारा साझा नहीं करने के लिए सहमति दी जाएगी। उपरोक्त बिंदु किसी भी तरह से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव नहीं डालते।
याचिका में कहा गया है आक्षेपित नियम लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के विरोधी हैं, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं, जहां राज्य एजेंसियां पारदर्शी होने के लिए उत्तरदायी हैं और नागरिकों को विभिन्न अधिकारों और स्वतंत्रता की अनुमति देती है।
नई दिल्ली। नए आईटी नियम 2021 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध फर्जी खबरों (फेक न्यूज) सहित गैरकानूनी सामग्री को हटाने के लिए चेक एंड बैलेंस प्रदान करते हैं और नियम प्री-सेंसरशिप की वकालत नहीं करते हैं। केंद्र सरकार ने यह तर्क हाईकोर्ट के समक्ष रखा।
केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर कर कर नियमों की वैधता का बचाव करते हुए कहा है कि फर्जी खबरों में सामुदायिक ताने-बाने को कुछ ही समय में तोड़ने की क्षमता होती है। अक्सर इनसे सार्वजनिक व्यवस्था की गंभीर समस्याएं होती पैदा होती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता उदय बेदी ने यह हलफनामा उस याचिका पर पेश किया है जिसमें आईटी नियमों के नियम तीन और चार को चुनौती दी गई है।
केंद्र ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म गतिशील प्रकृति के हैं। गैरकानूनी सामग्री एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर तेजी से फैलती हैं। इसलिए मध्यस्थों को व्यक्तियों या राज्य को नुकसान से बचाने और नुकसान को रोकने के लिए अनुपालन कार्रवाई (सामग्री को हटाने) को तेजी से सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।
यदि तत्काल कार्रवाई नहीं है तब अवैध सामग्री अन्य प्लेटफार्मों पर फैल सकती है या नए रूप (संशोधित सामग्री) ग्रहण कर सकती है। इस तरह की गैरकानूनी सामग्री को कई प्लेटफार्मों पर सामग्री के कई रूपों में पहुंचने के बाद इसे हटाना मुश्किल है।
केन्द्र ने कहा नियमों के संचालन और प्रवर्तन पर रोक लगाने वाला कोई भी अंतरिम आदेश सोशल मीडिया मध्यस्थों के कानूनी अनुपालन को प्रभावित करेगा और एक स्वच्छ, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह ऑनलाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य को समाप्त कर देगा। यह कहते हुए कि नियम संवैधानिक रूप से मान्य हैं, केंद्र ने आगे कहा है कि नियमों का स्पष्ट ध्यान महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने पर है।
केंद्र ने कहा केवल ऐसी जानकारी, उदाहरण के लिए जो मानहानिकारक, अवमाननापूर्ण, अश्लील, पीडोफिलिक, किसी अन्य की गोपनीयता के लिए आक्रामक, शारीरिक गोपनीयता आदि से संबंधित है, उन्हें उपयोगकर्ता द्वारा साझा नहीं करने के लिए सहमति दी जाएगी। उपरोक्त बिंदु किसी भी तरह से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव नहीं डालते।
याचिका में कहा गया है आक्षेपित नियम लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के विरोधी हैं, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं, जहां राज्य एजेंसियां पारदर्शी होने के लिए उत्तरदायी हैं और नागरिकों को विभिन्न अधिकारों और स्वतंत्रता की अनुमति देती है।