Greater Noida Authority News : मुर्सदपुर गांव के पास बनेगा 12 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, 125 करोड़ की लागत से ग्रेटर नोएडा में बनेगा स्वच्छता का नया अध्याय, 45 और 12 एमएलडी क्षमता वाले दो एसटीपी का निर्माण
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पर्यावरण संरक्षण और जल पुन: उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण का निर्णय लिया है। ये एसटीपी 125 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाए जाएंगे। इनकी कुल क्षमता 57 एमएलडी होगी, जिसमें एक एसटीपी 45 एमएलडी और दूसरा 12 एमएलडी क्षमता का होगा। प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों परियोजनाओं का कार्य अगले वर्ष तक पूरा हो जाएगा।
एसटीपी का उद्देश्य: जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने बताया कि यह कदम जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और शहरी स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। इन एसटीपी के माध्यम से सीवेज के पानी को शोधित कर कृषि, निर्माण और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिए पुनः उपयोग किया जाएगा।
एसीईओ आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि यह परियोजना प्राधिकरण की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है। इससे न केवल जल की बचत होगी, बल्कि जल प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलेगी।
मुर्सदपुर गांव के पास बनेगा 12 एमएलडी क्षमता का एसटीपी
12 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी मुर्सदपुर गांव के पास सेक्टर आईटी सिटी में बनाया जाएगा। यह एसटीपी घरबरा, मुर्सदपुर, आईटी सिटी और आसपास के क्षेत्रों की सीवेज समस्या का समाधान करेगा।
परियोजना लागत: 40 करोड़ रुपये से अधिक।
कार्यक्रम की प्रगति:
आईआईटी दिल्ली द्वारा परीक्षण के बाद सैद्धांतिक स्वीकृति।
एसटीमेट तैयार कर टेंडर जारी करने की प्रक्रिया जारी।
अगले तीन-चार महीनों में निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बनेगा 45 एमएलडी क्षमता का एसटीपी
दूसरा एसटीपी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर एक में 45 एमएलडी क्षमता का होगा। यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहे शहरी इलाकों में सीवेज प्रबंधन को बेहतर बनाएगा।
परियोजना लागत: लगभग 80 करोड़ रुपये।
कार्यक्रम की प्रगति:
नए साल से निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना।
अब तक बनाए गए चार एसटीपी: प्राधिकरण का प्रभावी जल प्रबंधन
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहले ही चार एसटीपी का निर्माण कर चुका है, जो शहर में सीवेज प्रबंधन और जल पुन: उपयोग के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
- कासना: 137 एमएलडी (सबसे बड़ा)।
- ईकोटेक-3: 20 एमएलडी।
- ईकोटेक-2: 15 एमएलडी।
- बादलपुर: 2 एमएलडी।
इन एसटीपी से शोधित पानी का उपयोग सिंचाई, निर्माण और अन्य कार्यों के लिए किया जाता है, जिससे जल संरक्षण और स्वच्छता में सुधार हुआ है।
भविष्य की योजनाएं और प्राथमिकताएं
प्राधिकरण के एसीईओ ने कहा कि यह परियोजना शहर की बढ़ती आबादी और औद्योगिक विस्तार को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
जल प्रदूषण पर नियंत्रण:
सीवेज के पानी को शोधित कर इसे सीधे नदियों और जलस्रोतों में बहने से रोकने का प्रयास।
स्वच्छता में सुधार:
ग्रेटर नोएडा को और अधिक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में एसटीपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मूलभूत सुविधाओं का विस्तार:
शहर की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण जल, सीवेज, और अन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एसटीपी क्यों हैं जरूरी?
- जल संकट से निपटने के लिए:
शोधित पानी का पुन: उपयोग जल संकट को कम करने में मदद करेगा। - पर्यावरण संरक्षण:
जल प्रदूषण को नियंत्रित कर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। - औद्योगिक और शहरी विकास का समर्थन:
औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में पानी की मांग को पूरा करना।
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