Ansal Housing Golf Link 2 News : अंसल हाउसिंग गोल्फ लिंक-2 रेजिडेंट्स की बड़ी जीत, अधूरे विकास कार्य पूरे कराने के लिए यूपीसीडा का कड़ा कदम, हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई के बाद रेजिडेंट्स की जीत का रास्ता

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। अंसल हाउसिंग गोल्फ लिंक-2 सोसायटी के रेजिडेंट्स के लिए 28 साल लंबा संघर्ष आखिरकार रंग लाता दिख रहा है। आधे-अधूरे विकास कार्यों को पूरा कराने के लिए अब यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने अंसल बिल्डर के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। कोर्ट के निर्देशों के बाद सोसायटी के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
रेजिडेंट्स की जीत का रास्ता
यूपीसीडा ने बिल्डर को स्पष्ट रूप से कहा है कि वह या तो सोसायटी का पूरा विकास कार्य पूरा करके इसे यूपीसीडा को सौंपे या फिर 11.64 करोड़ रुपये का भुगतान करे। यह राशि अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। हाल ही में हुई एक बैठक में अंसल बिल्डर, यूपीसीडा के अधिकारी और रेजिडेंट्स के बीच चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया।
यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा ने कहा कि बिल्डर ने एमओयू (सहमति पत्र) के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन किया है। साथ ही, सोसायटी के रेजिडेंट्स को मूलभूत सुविधाओं के अभाव में वर्षों तक परेशान किया गया।

मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष
1996 में यूपीसीडा ने अंसल बिल्डर को तिलपता चौक के पास हाउसिंग सोसायटी विकसित करने के लिए भूमि आवंटित की थी। समझौते के मुताबिक, बिल्डर को पांच साल के भीतर सभी विकास कार्य पूरे कर सोसायटी को यूपीसीडा को सौंपना था। लेकिन, बिल्डर ने केवल नाममात्र के काम करके लोगों को वहां बसाया और उनसे मेंटेनेंस चार्ज वसूला।
सोसायटी के रेजिडेंट्स को बदहाल सड़कें, बिजली की खराब व्यवस्था, अधूरी सीवर लाइन, पानी की कमी और गंदगी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा। 150 परिवारों ने इन समस्याओं को लेकर कई बार यूपीसीडा और अंसल बिल्डर के पास शिकायतें कीं, लेकिन दोनों पक्ष अपनी जिम्मेदारियों से बचते रहे।
जिला प्रशासन ने जारी की आरसी
रेजिडेंट्स की शिकायतों के बाद यूपीसीडा ने मामले की जांच की और पाया कि अंसल बिल्डर ने एमओयू के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। इस पर जिला प्रशासन ने अंसल बिल्डर के खिलाफ 11.64 करोड़ रुपये की रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी कर दी।
इसके विरोध में बिल्डर ने हाईकोर्ट का रुख किया और दावा किया कि सोसायटी के सभी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। हालांकि, कोर्ट के निर्देश पर किए गए निरीक्षण में यह दावा झूठा पाया गया।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई
हाईकोर्ट ने यूपीसीडा को आदेश दिया कि वह अंसल बिल्डर के साथ मिलकर सोसायटी का संयुक्त निरीक्षण करे और विकास कार्यों का सही मूल्यांकन करे। निरीक्षण में यूपीसीडा ने पाया कि सोसायटी में सड़कों, बिजली, पानी, और पार्क जैसी बुनियादी सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है।
यूपीसीडा ने 11.64 करोड़ रुपये का बजट तैयार कर बिल्डर को निर्देश दिया कि या तो वह यह धनराशि यूपीसीडा को दे या खुद विकास कार्य पूरा करे।
रेजिडेंट्स का प्रतिनिधित्व
सोसायटी के महासचिव राजेश बैरागी ने बैठक में स्पष्ट किया कि रेजिडेंट्स अब किसी गैरकानूनी मेंटेनेंस चार्ज को मान्यता नहीं देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंसल बिल्डर को विकास कार्य पूरा करने या यूपीसीडा को राशि देने का निर्णय लेना होगा।
क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा का बयान
यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा ने कहा:
“अंसल बिल्डर ने एमओयू के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। अब या तो वह खुद सोसायटी के सभी कार्य पूरे करे या तय धनराशि यूपीसीडा को सौंपे।”
अगले कदम
यूपीसीडा की ओर से अंसल बिल्डर को जल्द से जल्द लिखित में जवाब देने का निर्देश दिया गया है। अगर बिल्डर धनराशि देने में असफल रहता है, तो यूपीसीडा आगे की कानूनी कार्रवाई करेगी और कार्यों को पूरा करेगी।
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