BJP Organisation News : जनवरी में भाजपा को मिल सकता है नया राष्ट्रीय अध्यक्ष, संघ की सिफारिशों और मापदंडों पर टिकेगा फैसला? अब किसका अगला नाम, RSS की पसंद वाला राष्ट्रीय अध्यक्ष या कोई और, किसके सिर सजेगा ताज
दिल्ली, रफ़्तार टुडे। भाजपा के अंदर नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया के चलते राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को नया अध्यक्ष मिलने की संभावना बढ़ गई है। संघ (RSS) के कुछ पदाधिकारी इस बार अध्यक्ष के लिए मापदंड तय करने की वकालत कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस सुझाव को स्वीकारते हुए आरएसएस की पसंद को तरजीह देगी।
मंडल से राष्ट्रीय स्तर तक: अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया की शुरुआत
भाजपा ने 1 दिसंबर से मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह चरणबद्ध तरीके से जिला, प्रदेश और फिर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचेगी।
15 से 20 दिसंबर तक मंडल अध्यक्ष चुने जाएंगे।
30 दिसंबर से 5 जनवरी तक जिला अध्यक्षों का चुनाव संपन्न होगा।
इसके बाद प्रदेश अध्यक्षों का चयन होगा।
अंततः जनवरी के लास्ट सप्ताह तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा होने की संभावना है।
इस पूरी प्रक्रिया में संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की राय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
क्या तय होंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मापदंड?
आरएसएस के कुछ पदाधिकारी चाहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए स्पष्ट मापदंड तय किए जाएं।
प्रचारक या पूर्व प्रचारक होने की मांग:
भाजपा के इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवानी, कुशाभाऊ ठाकरे और जेना कृष्णमूर्ति जैसे अध्यक्ष आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं।
आरएसएस के कई पदाधिकारी मानते हैं कि यह परंपरा संगठन को वैचारिक रूप से मजबूत रखेगी।
संघ का आधिकारिक रुख:
संघ ने स्पष्ट किया है कि वह मापदंड थोपने के पक्ष में नहीं है। भाजपा को अपने संगठनात्मक दृष्टिकोण से इस पर निर्णय लेना चाहिए।
संघ और भाजपा समन्वय: एक नई जिम्मेदारी
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सफल प्रदर्शन के बाद संघ और भाजपा का समन्वय और मजबूत हुआ है।
हरियाणा और महाराष्ट्र में सफलता:
इन चुनावों में संघ-भाजपा समन्वय ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
भविष्य की चुनौती:
नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी कि वह इस समन्वय को और प्रगाढ़ करे और 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारी करे।
संभावित नाम: कौन होगा अगला अध्यक्ष?
सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष के लिए कई नामों पर चर्चा हो रही है। इनमें प्रमुख नाम वे हैं जो संघ और भाजपा के दोनों पक्षों की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकते हैं।
संघ के करीबी नाम: ऐसे नेता जो संगठनात्मक अनुभव के साथ संघ के वैचारिक ढांचे को समझते हों।
युवा नेतृत्व: भाजपा के नए चेहरे, जो पार्टी को नई दिशा दे सकें।
अनुभवी प्रशासक: ऐसे नाम जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का नेतृत्व कर सकें।
भाजपा का इतिहास: अध्यक्षों की परंपरा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संगठन की वैचारिक और रणनीतिक धुरी होते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवानी जैसे दिग्गज नेताओं ने संगठन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
कुशाभाऊ ठाकरे और जेना कृष्णमूर्ति जैसे अध्यक्षों ने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया। वर्तमान में, जे.पी. नड्डा ने कोविड-19 के कठिन समय में संगठन को नेतृत्व दिया।
क्या होगा संघ का रोल?
आरएसएस की भूमिका इस बार अहम हो सकती है। संघ नेतृत्व चाहता है कि नया अध्यक्ष संघ-भाजपा समन्वय को और मजबूत करे।
संभावित उम्मीदवारों की सूची में संघ का सुझाव महत्वपूर्ण होगा।
भाजपा के सामने चुनौती: संगठन को नई दिशा देना
नए अध्यक्ष को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभानी होंगी:
- लोकसभा चुनाव 2029 की तैयारी।
- संघ और भाजपा के समन्वय को प्रगाढ़ करना।
- संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाना।
भाजपा का भविष्य नए नेतृत्व के कंधों पर होगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आरएसएस की सिफारिशें संगठन के भीतर नए बदलावों की दिशा तय करती हैं।
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