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JIMS News : "ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता की 'घर वापसी', जिम्स के निदेशक पद पर पुनः नियुक्ति से उठा राजनीति और स्वास्थ्य समन्वय का प्रश्न", जिम्स को मिली स्थिरता निदेशक पद पर डॉ. राकेश गुप्ता की वापसी


ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) एक बार फिर अपने अनुभवी नेतृत्व को वापस पाने में सफल रहा है। ब्रिगेडियर डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशासन में उनकी दक्षता के लिए जाना जाता है, को पांच वर्षों के लिए जिम्स के निदेशक पद पर पुनः नियुक्त किया गया है। उन्होंने मंगलवार को कार्यभार संभालते ही अस्पताल का दौरा किया और सुविधाओं की समीक्षा की।

उनकी वापसी पर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनमें उनके पिछले कार्यकाल का अंत और नए कार्यकाल की शुरुआत के पीछे की परिस्थितियां शामिल हैं।


स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कार्ययोजना

डॉ. गुप्ता ने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद अस्पताल के निरीक्षण के दौरान कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की:

कैथ लैब: दिल के मरीजों के लिए पीपीपी मॉडल पर कैथ लैब स्थापित करने की योजना।

ट्रॉमा सेंटर और न्यूरोसर्जरी: ट्रॉमा सेंटर और न्यूरोसर्जरी सेवाओं की शुरुआत।

प्रमाणीकरण: अस्पताल का NABH और NABL प्रमाणीकरण।

शैक्षणिक विस्तार: विभिन्न सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम और फेलोशिप कार्यक्रमों की शुरुआत।

नए वायरस से बचाव: चीन में फैले HNP वायरस की जांच और उपचार के लिए विशेष वार्ड बनाने की योजना।

डॉ. गुप्ता का ध्यान मरीजों की देखभाल में गुणवत्ता सुधार और जिम्स को एक आधुनिक चिकित्सा संस्थान बनाने पर केंद्रित है।

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JIMS के डायरेक्टर पुनः कार्यभार सभालते हुए

राजनीति या पेशेवर असंतोष: पांच माह की अनुपस्थिति का सच

डॉ. गुप्ता का अगस्त 2025 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद पांच महीने का समय काफी विवादित रहा। इस दौरान:

  1. स्वास्थ्य मंत्री और राजनीतिक दबाव: सवाल उठते हैं कि क्या स्वास्थ्य मंत्री और डॉ. गुप्ता के बीच समन्वय की कमी थी? क्या उनके सेवा विस्तार में राजनीतिक हस्तक्षेप बाधा बना?
  2. निजी अस्पताल में कार्यकाल: कार्यकाल समाप्त होते ही डॉ. गुप्ता ने भाजपा के एक सांसद द्वारा संचालित निजी अस्पताल में कार्यभार संभाला। पांच माह के भीतर ही वहां से वापसी ने कई अटकलों को जन्म दिया।

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जिम्स निदेशक पद पर गुप्ता की वापसी शायद पेशेवर संतुलन की कमी या निजी अस्पताल में उम्मीदों पर खरे न उतरने का परिणाम है।


स्वास्थ्य मंत्री पर उठे सवाल

डॉ. गुप्ता की नियुक्ति के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।

नए डॉक्टरों के इंटरव्यू: दिसंबर 2025 में जिम्स में 57 नए डॉक्टरों के लिए इंटरव्यू आयोजित किए गए थे। क्या यह केवल औपचारिकता थी?

राजनीतिक लॉबी का दबाव: क्या गुप्ता का सेवा विस्तार रोकने के पीछे राजनीतिक लॉबी का हाथ था?

निजी अस्पताल और राजनीति: क्या निजी अस्पताल और सरकार के बीच समन्वय की कमी ने इस पूरे घटनाक्रम को प्रभावित किया?

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JIMS के डायरेक्टर पुनः कार्यभार सभालते हुए

जिम्स के भविष्य पर प्रभाव

डॉ. गुप्ता की वापसी जिम्स के लिए स्थिरता और दिशा सुनिश्चित करने का प्रतीक है। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में संस्थान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। अब, उनकी नई योजनाओं से न केवल मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि यह संस्थान उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल करेगा।

हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके इस कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री और राजनीतिक हस्तक्षेप किस प्रकार से भूमिका निभाते हैं।


जिम्स को मिला मजबूत नेतृत्व

डॉ. गुप्ता की नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक दक्षता, और चिकित्सा सेवाओं में सुधार की प्रतिबद्धता ने उन्हें जिम्स के लिए एक आदर्श निदेशक साबित किया है। यह घर वापसी न केवल संस्थान के लिए बल्कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।


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