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Accurate Law College News : अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा में मानव गरिमा और समानता उत्सव का आयोजन, शिक्षकों और छात्रों की सक्रिय भागीदारी

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ, ग्रेटर नोएडा ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें “मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights – UDHR)” की 76वीं वर्षगांठ को महत्व दिया गया। इस वर्ष की थीम, “Our Rights, Our Future, Right Now (हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी)” ने इस आयोजन को और भी प्रासंगिक बना दिया, क्योंकि यह मानवाधिकारों की रक्षा और उनके लिए समर्पित एकजुटता का प्रतीक था।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता को रेखांकित करना था। साथ ही, यह छात्रों को वैश्विक एकता और न्याय की दिशा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करने का एक बेहतरीन अवसर साबित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत: व्याख्यान और सृजनात्मकता का संगम

कार्यक्रम की शुरुआत में एक विशेष व्याख्यान “मानव गरिमा और न्याय बनाए रखने में वैश्विक एकता” पर दिया गया, जो मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता और उनकी महत्वता को दर्शाता है। यह व्याख्यान छात्रों को यह समझाने का प्रयास था कि दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा करना केवल एक कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि यह मानवता की जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम में आयोजित पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, और संगीत प्रस्तुतियों ने छात्रों की रचनात्मकता और विचारशीलता को उजागर किया। इन गतिविधियों ने न केवल मानवाधिकारों की अवधारणा को गहराई से समझाया, बल्कि इसके प्रति जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

संबोधन में मानवाधिकारों का महत्व: डॉ. अजय कुमार तिवारी का संदेश

संस्थान के निदेशक डॉ. अजय कुमार तिवारी ने अपने संबोधन में “मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा” के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “मानवाधिकार केवल अधिकार नहीं हैं, यह हमारी गरिमा और स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। वर्तमान समय में इनकी रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक न्यायपूर्ण, समान और सम्मान आधारित समाज का निर्माण हो सके।”

उन्होंने यह भी बताया कि केवल कानूनी ढांचे की नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे मानवाधिकारों के पालन में अपनी भूमिका निभाएं। इस संदर्भ में, डॉ. तिवारी ने संस्थान के सभी छात्रों को मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया।

प्रबंध निदेशक दीपक शर्मा का संदेश

कार्यक्रम के दौरान संस्थान के प्रबंध निदेशक दीपक शर्मा ने अपने शुभकामना संदेश में कहा, “यह अवसर हमें मानवाधिकारों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। हमें यह समझना होगा कि मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार केवल सरकार या कानून का कार्य नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है। मैं सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसे सफल बनाया।”

दीपक शर्मा ने विद्यार्थियों को यह समझाने का प्रयास किया कि किसी भी समाज में असमानता और अन्याय को समाप्त करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।

शिक्षकों और छात्रों की सक्रिय भागीदारी

इस कार्यक्रम में डॉ. सपना सिंह, विकास कुमार, श्वेता गुप्ता, अंजलि, गरिमा, और विनीता झा सहित सभी शिक्षकों और विधि छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। विशेष रूप से, बी.ए.एल.एल.बी. और एल.एल.बी. के छात्रों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया और कार्यक्रम को सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

पोस्टर मेकिंग और भाषण प्रतियोगिता में छात्रों ने मानवाधिकारों के महत्व को अपनी कला और शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया, जबकि संगीत प्रस्तुतियों ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता और सार्वभौमिक सम्मान की भावना को व्यक्त किया। इन गतिविधियों ने न केवल छात्रों की रचनात्मकता को प्रदर्शित किया, बल्कि उनके भीतर सामाजिक न्याय और समानता के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न की।

रफ़्तार

समाप्ति समारोह और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम के अंत में श्वेता गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और छात्रों के योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह आयोजन न केवल मानवाधिकारों की समझ बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि छात्रों को सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अधिक जागरूक बनाने में भी सफल रहा। सभी ने मानवाधिकारों के संरक्षण और उनके प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।”

कार्यक्रम की समाप्ति पर सभी ने संकल्प लिया कि वे मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे, ताकि समाज में समानता, न्याय और गरिमा की भावना स्थापित हो सके।

निष्कर्ष

एक्यूरेट कॉलेज ऑफ लॉ का यह कार्यक्रम मानवाधिकारों के महत्व को समझाने और उनके प्रचार-प्रसार के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रभावी कदम था। यह न केवल छात्रों के लिए, बल्कि समाज के हर नागरिक के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरा।

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