GNIOT College News : साइबर सुरक्षा डिजिटल युग के प्रबंधन पेशेवरों के लिए एक अनिवार्य कौशल, विशेष अतिथि डीसीपी साइबर क्राइम आईपीएस प्रीति यादव
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। आज के डिजिटल युग में, जहां हर दिन नई तकनीकें और नवाचार सामने आ रहे हैं, साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बनकर उभरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए, ग्रेटर नोएडा के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान जीएनआईओटी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (GIMS) ने “साइबर सुरक्षा के विकसित प्रतिमानों” पर एक विशेषज्ञ सत्र का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों और प्रबंधन पेशेवरों को डिजिटल खतरों से निपटने की समझ और तैयारी प्रदान करना था।
विशेष अतिथि: डीसीपी साइबर क्राइम आईपीएस प्रीति यादव
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता आईपीएस प्रीति यादव, डीसीपी साइबर क्राइम, गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट, थीं।
अपने व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता के साथ, सुश्री यादव ने सत्र को बेहद प्रासंगिक और जानकारीपूर्ण बनाया। उन्होंने न केवल साइबर अपराध के बढ़ते खतरों पर प्रकाश डाला, बल्कि उनसे बचाव के उपायों पर भी छात्रों को जागरूक किया।
“डिजिटल युग में, साइबर सुरक्षा केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने साइबर अपराध से संबंधित विभिन्न मामलों पर अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग न केवल व्यक्तियों बल्कि बड़े संगठनों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत और उपस्थित गणमान्य लोग
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें संस्थान के प्रमुख अधिकारी और शिक्षक उपस्थित थे: स्वदेश कुमार सिंह, सीईओ डॉ. भूपेंद्र सोम, डायरेक्टर, डॉ. रुचि रयात, कार्यकारी निदेशक, 450 पीजीडीएम प्रथम वर्ष के छात्र
सभी गणमान्य व्यक्तियों ने इस सत्र के महत्व को स्वीकार किया और इसे छात्रों के लिए उपयोगी बताया।
सत्र के मुख्य विषय
- साइबर खतरों की पहचान:
आईपीएस प्रीति यादव ने बताया कि कैसे साइबर अपराध जैसे फिशिंग, रैंसमवेयर, डेटा ब्रीच, और सोशल इंजीनियरिंग आज हर व्यक्ति के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।
- साइबर सुरक्षा उपाय:
उन्होंने छात्रों को जागरूक किया कि कैसे मजबूत पासवर्ड, एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) जैसे सुरक्षा उपाय अपनाकर साइबर खतरों से बचा जा सकता है।
- कानून और साइबर अपराध:
DCP प्रीति यादव ने साइबर अपराध से संबंधित भारतीय कानूनों और धाराओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे जागरूकता की कमी के कारण लोग साइबर अपराध का शिकार बनते हैं।
- समाज में साइबर जागरूकता:
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने समुदाय और परिवार के लोगों को भी साइबर सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करें।
प्रश्नोत्तर सत्र:
सत्र के अंत में, छात्रों ने अपने सवाल पूछे, जिनका प्रीति यादव ने विस्तार से उत्तर दिया। सवालों में शामिल थे:
डेटा चोरी से बचने के उपाय
ऑनलाइन बैंकिंग में सुरक्षा
सोशल मीडिया पर सुरक्षित रहने के तरीके
सत्र का प्रभाव और निष्कर्ष
यह सत्र छात्रों और शिक्षकों के लिए अत्यंत लाभदायक रहा।
छात्रों को यह समझने में मदद मिली कि साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता कितनी जरूरी है।
सत्र ने उन्हें डिजिटल युग में सुरक्षा को प्राथमिकता देने की प्रेरणा दी।
सीईओ स्वदेश कुमार सिंह ने कहा:
“इस तरह के सत्र हमारे छात्रों को न केवल प्रबंधन क्षेत्र में बल्कि तकनीकी रूप से भी सशक्त बनाते हैं।”
आने वाले कदम
जीएनआईओटी प्रबंधन ने छात्रों को आश्वासन दिया कि भविष्य में साइबर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी पर और भी सत्र आयोजित किए जाएंगे।
इस पहल का उद्देश्य छात्रों को हर प्रकार की चुनौती के लिए तैयार करना है।
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