नोएडा, रफ्तार टुडे। किसानों के मुद्दे पर बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप ने अब नई दिशा ले ली है। जहां एक ओर पुलिस की सख्ती से कई किसान जेल में बंद हैं, वहीं दूसरी ओर बड़े राजनेता खुलकर उनकी समस्याओं पर सरकार को घेरने में लगे हैं। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री डीपी यादव ने किसानों की मांगों और वन नेशन-वन इलेक्शन पर अपने बेबाक विचार साझा किए।
किसानों का जेल जाना बेहद दुखद: डीपी यादव
नोएडा के सेक्टर-51 में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डीपी यादव ने किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा,
“किसानों का जेल जाना दुखद है। उनकी मांगें जायज हैं और उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए।”
पूर्व मंत्री ने यह भी जोड़ा कि अगर किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है, तो यह सरकार की नाकामी है। उनका मानना है कि किसानों की समस्याओं का समाधान संवाद और समझौते के जरिए किया जाना चाहिए, न कि दमन से।
एमएसपी का फायदा नहीं मिलने का मुद्दा गरमाया
डीपी यादव के इस बयान से पहले, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी किसानों के प्रति बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का उचित लाभ न मिलने और उनके साथ अन्याय होने का आरोप लगाया था। डीपी यादव ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया और कहा कि किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलना चाहिए।
वन नेशन-वन इलेक्शन पर समर्थन
किसानों के मुद्दों के अलावा, डीपी यादव ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर भी अपनी राय दी। उन्होंने इस पहल को समय और धन की बचत के लिए एक अच्छा कदम बताया। यादव ने कहा,
“वन नेशन-वन इलेक्शन से न केवल देश का पैसा बचेगा, बल्कि समय भी बचेगा। इससे सरकार और प्रशासन की स्थिरता बढ़ेगी और विकास कार्यों में गति आएगी।”
डीपी यादव के इस बयान से साफ है कि वे इस विचारधारा का समर्थन करते हैं, जो देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की वकालत करती है।
किसानों के समर्थन में बढ़ता राजनीतिक दबाव
नोएडा में किसानों का मुद्दा लगातार गर्माया हुआ है। पुलिस की कार्रवाई के तहत कई किसानों को जेल भेजा गया है, जो अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों का आरोप है कि उन्हें एमएसपी का सही लाभ नहीं मिल रहा और सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।
इस मुद्दे पर अखिलेश यादव और डीपी यादव जैसे दिग्गज नेताओं के बयान के बाद, राजनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे किसानों की रिहाई और उनके मुद्दों पर जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
राजनीति में नए समीकरण?
डीपी यादव के इस बयान के बाद से यह चर्चा जोरों पर है कि क्या यह बीजेपी सरकार के खिलाफ विपक्ष के एकजुट होने का संकेत है। किसानों के मुद्दे पर राजनीतिक दलों की सक्रियता से साफ है कि यह मामला सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि आगामी चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
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