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Greater Noida News : समेकित शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा हेतु नोडल शिक्षकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न, प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य और संरचना, शिक्षकों का अनुभव और प्रतिक्रिया

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा को प्रभावी और समेकित बनाने के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय लुक्सर में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतमबुद्धनगर के निर्देशन और खंड शिक्षा अधिकारी दनकौर की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।

इस प्रशिक्षण में दनकौर ब्लॉक के 75 नोडल शिक्षक और शिक्षिकाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को दिव्यांग बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को समझने और उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के लिए सक्षम बनाना था।


प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य और संरचना

कार्यक्रम का संचालन मास्टर ट्रेनर अनिल कुमार, वर्तिका शुक्ला और राकेश कुमार भारती द्वारा किया गया। राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा प्राप्त मॉड्यूल के आधार पर दिव्यांगता से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई।

शिक्षकों को दिव्यांग बच्चों की पहचान, उनकी आवश्यकताओं और उनकी शैक्षिक समावेशिता को समझने के लिए तैयार किया गया।

प्रशिक्षण के दौरान न केवल शैक्षिक पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया, बल्कि उनकी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों को पूरा करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई।

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प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इसे बेहद उपयोगी बताया। प्रतिभागियों में से प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:

प्रवीण शर्मा, बृजेशपाल, संतोष नागर, बलराम नागर, सतीश पीलवान, अरविंद शर्मा, निरंजन नागर

महिला शिक्षकों में सरिता यादव, माला बजाज, लता वर्मा, कमलेश यादव, शालिनी गुप्ता, दीप्ति यादव, ममता राजपूत प्रमुख थीं।

अन्य प्रतिभागियों में नवनीत तिवारी, शौकत अली, गजराज रावत, अजीत नागर और अनिल कुमार शामिल रहे।


प्रशिक्षण के महत्वपूर्ण बिंदु

  1. दिव्यांगता की पहचान:
    शिक्षकों को विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता, जैसे शारीरिक, मानसिक, श्रवण और दृष्टि संबंधी चुनौतियों के बारे में बताया गया।
  2. शिक्षण रणनीतियां:
    शिक्षकों को विशेष शिक्षण विधियों, उपकरणों और संसाधनों का उपयोग करके बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान करने के तरीके सिखाए गए।
  3. मनोवैज्ञानिक समर्थन:
    बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए।
  4. समाज में समावेश:
    दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सामुदायिक सहयोग और अभिभावकों की भूमिका पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम का समापन और भविष्य की योजनाएं

प्रशिक्षण के अंतिम दिन खंड शिक्षा अधिकारी दनकौर ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और उनके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। समावेशी शिक्षा ही भविष्य की कुंजी है।”

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अगले चरण:

इस प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों में समावेशी शिक्षा के मॉडल को लागू करने का निर्देश दिया गया।

नियमित मॉनिटरिंग और फीडबैक के माध्यम से इस कार्यक्रम को और प्रभावी बनाया जाएगा।


शिक्षकों का अनुभव और प्रतिक्रिया

प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षकों ने इसे उपयोगी और प्रेरणादायक बताया।

प्रवीण शर्मा ने कहा, “यह प्रशिक्षण हमारी सोच को बदलने वाला रहा। अब हम बच्चों की विशेष जरूरतों को बेहतर समझ पाएंगे।”

दीप्ति यादव ने कहा, “यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के लिए, बल्कि हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।”


दिव्यांग बच्चों के प्रति समर्पण का उदाहरण

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम समेकित शिक्षा के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता और दिव्यांग बच्चों को समान अवसर देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।

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