Big scam Irrigation department News : ग्रेटर नोएडा हवेलियां नाले की सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला, सिंचाई विभाग के 5 करोड़ के टेंडर में अनियमितताओं की परतें खुलीं, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को देनी है इसकी रकम, CM योगी सरकार की छवि पर असर
46 छोटे-छोटे मोहरबंद टैंडर जारी कर दिया गया कॉन्टैक्ट, सिंचाई विभाग के अधिकारी संलिप्त, छोटे-छोटे 10 10 लाख के ठेकेदारों का ग्रेटर नोएडा में आए तक नहीं, जब रफ़्तार टुडे के संवादाता ने AXN सिंचाई विभाग को फोन किया तो उनका फोन नह लगा
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा के हवेलियां ड्रेन नाले की सफाई में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। 9.25 किलोमीटर लंबे इस नाले की सफाई के लिए सिंचाई विभाग ने 5 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था, लेकिन काम की हकीकत चौंकाने वाली है। विभाग ने इस सफाई के लिए 46 छोटे-छोटे 10-10 लाख रुपये के टेंडर जारी किए, लेकिन न तो ठेकेदार काम पर पहुंचे, और न ही सफाई का काम तय समय सीमा में पूरा हुआ। 46 छोटे-छोटे मोहरबंद टैंडर जारी कर दिया गया कॉन्टैक्ट, सिंचाई विभाग के अधिकारी संलिप्त, छोटे-छोटे 10 10 लाख के ठेकेदारों का ग्रेटर नोएडा में आए तक नहीं जबकि काम चल चुका है।
घोटाले की परतें: कागजों पर ही पूरा हुआ काम, ठेकेदार आज तक नहीं साइट पर
ग्रेटर नोएडा में सफाई के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई हो रही है। ठेकेदारों ने 10-10 लाख रुपये के टेंडर तो ले लिए, लेकिन धरातल पर सफाई का काम नदारद है। मौके पर केवल एक पोकलेन मशीन चल रही है।
ठेकेदारों का ग्रेटर नोएडा में अभी तक आना ही नहीं हुआ।नाले की सफाई अधूरी है, लेकिन ठेकेदारों ने भुगतान का दावा कर दिया है।
कैसे बांटे गए टेंडर?
सफाई के लिए निकाले गए 5 करोड़ रुपये के टेंडर को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया गया। हर टेंडर की राशि सिर्फ 10 लाख रुपये से कम की थी। कुल 46 टेंडर पेटी कॉन्ट्रैक्टिंग के जरिए बांटे गए।
इन टेंडरों में अनियमितताओं की गंध साफ महसूस होती है।
सिंचाई विभाग पर गंभीर आरोप
सिंचाई विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इन अधिकारियों पर ठेकेदारों के साथ मिलीभगत का आरोप है। सफाई का काम अधूरा है, लेकिन भुगतान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
स्थानीय निवासियों ने विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की है।
स्थानीय जनता का आक्रोश
ग्रेटर नोएडा के निवासियों ने इस घोटाले को लेकर सरकार और प्रशासन से सवाल पूछे हैं। जनता का कहना है कि करोड़ों रुपये के बजट का सही उपयोग नहीं हुआ। सफाई के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की गई है।
स्थानीय पार्षद ने इस मामले की जांच की मांग की है।
योगी सरकार की छवि पर असर
मोदी और योगी सरकार ने हमेशा भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का दावा किया है, लेकिन इस मामले ने इन दावों को कमजोर किया है। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की पोल खुल गई है।
सरकारी तंत्र की जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या होना चाहिए?
- उच्चस्तरीय जांच हो:
इस घोटाले की सीबीआई या एसआईटी जांच होनी चाहिए।दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- सफाई कार्य की समीक्षा हो:
नाले की सफाई को तय मानकों के अनुसार पूरा किया जाए।गुणवत्ता परखने के लिए स्वतंत्र एजेंसी की मदद ली जाए।
- भ्रष्टाचार पर लगाम हो:
ऐसे मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।पेटी कॉन्ट्रैक्टिंग की प्रक्रिया को समाप्त किया जाए।
इस घोटाले का व्यापक प्रभाव
इस घोटाले का असर न केवल जनता के विश्वास पर पड़ा है, बल्कि यह सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है। स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक मान रहे हैं। यदि इस मामले पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में इसका असर आगामी चुनावों पर भी दिख सकता है।
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