ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। भारत के पैरा एथलीट प्रवीण कुमार का नाम आज देशभर में गर्व के साथ लिया जा रहा है। केंद्रीय खेल मंत्रालय ने उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह खबर ग्रेटर नोएडा और पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। प्रवीण ने अपने संघर्ष, मेहनत और उपलब्धियों से खुद को एक ऐसी प्रेरणा के रूप में स्थापित किया है, जो लाखों युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस देती है।
पेरिस पैरालंपिक में चमका सितारा
पेरिस पैरालंपिक 2024 में प्रवीण कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद (T64 स्पर्धा) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 2.08 मीटर की ऊंचाई लांघकर एशियाई रिकॉर्ड बनाया और देश का तिरंगा पूरे सम्मान के साथ लहराया। यह उनका दूसरा पैरालंपिक पदक था, क्योंकि उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में रजत पदक जीता था।
छोटे गांव से बड़े मंच तक की प्रेरक यात्रा
प्रवीण कुमार का सफर बेहद खास और प्रेरणादायक है। वह जेवर विधानसभा क्षेत्र के गोविंदगढ़ गांव से हैं। बचपन में उनके एक पैर की लंबाई सामान्य से कम थी, जिसके कारण उन्हें शारीरिक और सामाजिक दोनों तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बच्चे उन्हें चिढ़ाते थे, लेकिन प्रवीण ने खेल को अपने आत्मविश्वास और क्षमता को साबित करने का जरिया बनाया।
ऊंची कूद में अचानक मिली सफलता
पहले प्रवीण वॉलीबॉल खेलते थे, लेकिन एक प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने ऊंची कूद में हिस्सा लिया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने ऊंची कूद को अपना मुख्य खेल बना लिया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट के रूप में पहचान दिलाई।
कोच डॉ. सत्यपाल सिंह का अहम योगदान
प्रवीण के जीवन में असली मोड़ तब आया जब उनके हुनर को पैरा कोच डॉ. सत्यपाल सिंह ने पहचाना। डॉ. सत्यपाल ने प्रवीण को प्रशिक्षित किया और उनकी तकनीक को बेहतर बनाते हुए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करने के लिए तैयार किया।
एशियाई खेलों और पैरालंपिक का सफर
2022 के एशियाई पैरा खेलों में प्रवीण ने क्षेत्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, उन्होंने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर पेरिस पैरालंपिक 2024 के लिए क्वालीफाई किया। प्रवीण का हर प्रदर्शन यह साबित करता है कि आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
गर्वित गांव और देश के लिए प्रेरणा
ग्रेटर नोएडा का गोविंदगढ़ गांव आज गर्व से झूम रहा है। प्रवीण की उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गांव के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे जितनी कठिन क्यों न हों, अगर मन में सच्ची लगन हो तो सफलता आपके कदम चूमती है।
आने वाली पीढ़ी के लिए संदेश
प्रवीण कुमार का सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी शारीरिक चुनौतियों या सीमित संसाधनों के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। प्रवीण ने दिखा दिया कि सही दिशा और मेहनत से हर सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।
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