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PCS Gurjer News : “तीन बच्चों की परवरिश के साथ बना इतिहास, नोएडा की दीपा भाटी की संघर्ष से अफसर बनने तक की प्रेरणादायक दास्तान”, गुर्जर समाज में नई मिसाल, महिलाओं के लिए प्रेरणा, संघर्ष और सफलता की सीख

UP, नोएडा, रफ़्तार टुडे। अगर सपनों को पाने का जज्बा हो और कठिन परिश्रम करने की लगन हो, तो उम्र, जिम्मेदारियां और परिस्थितियां कोई बाधा नहीं बन सकतीं। नोएडा की दीपा भाटी ने इस बात को सच कर दिखाया है। शादी के 18 साल बाद, तीन बच्चों की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने यूपी पीसीएस 2021 परीक्षा पास कर वह मुकाम हासिल किया, जो हर किसी के लिए प्रेरणा है। उनकी कहानी संघर्ष, लगन और समर्पण की मिसाल है।


शादी के बाद सपनों का सफर

नोएडा के कोंडली बांगर गांव की निवासी दीपा भाटी का विवाह कम उम्र में हो गया था। विवाह के बाद वह अपने पति और तीन बच्चों के साथ गृहस्थी संभाल रही थीं। लेकिन उन्होंने अपने भीतर के सपने को मरने नहीं दिया।

शादी के बाद, दीपा ने बीएड की पढ़ाई की और एक स्कूल में पढ़ाने लगीं। हालांकि, स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। इसी दौरान, उनके भाई ने उन्हें यूपी पीसीएस परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया। दीपा ने इस सलाह को गंभीरता से लिया और पूरी मेहनत और लगन के साथ अपनी तैयारी शुरू की।


ऑनलाइन शिक्षा बनी सहारा

बच्चों की देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियों के चलते दीपा नियमित कोचिंग क्लासेज नहीं जा सकीं। लेकिन उन्होंने यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन माध्यमों का सहारा लिया।

“मैं दिनभर बच्चों और घर का काम संभालती थी। रात के समय पढ़ाई के लिए समय निकालती थी। मैंने टॉपर्स के इंटरव्यू देखे और उनकी तैयारी की रणनीतियां समझीं।”

ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से दीपा ने अपने पढ़ाई को निरंतर बनाए रखा और हर दिन खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की।


घरेलू ताने और सामाजिक दबाव का सामना

अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में दीपा को अपने ही परिवार और समाज से कई बार ताने सुनने पड़े।

“परिवार के लोग अक्सर कहते थे कि इस उम्र में पढ़ाई करने का भूत सवार हुआ है।”

हालांकि, दीपा ने इन सभी तानों को नजरअंदाज किया और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा। उनके संघर्ष ने साबित कर दिया कि हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है, यदि इरादे मजबूत हों।


166वीं रैंक के साथ अफसर बनने की कहानी

यूपी पीसीएस 2021 परीक्षा में दीपा ने 166वीं रैंक हासिल की। यह सफलता आसान नहीं थी। परीक्षा पास करते समय उनकी सबसे बड़ी बेटी 12वीं कक्षा में, छोटी बेटी 9वीं कक्षा में, और बेटा यूकेजी में पढ़ रहा था।

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उनकी यह उपलब्धि उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को घरेलू जिम्मेदारियों के कारण अधूरा छोड़ देती हैं।


गुर्जर समाज में नई मिसाल

गुर्जर समाज से आने वाली दीपा ने इस परीक्षा को पास करके यह साबित कर दिया कि किसी भी जाति, समुदाय या सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं अगर ठान लें तो वे किसी भी मुकाम को हासिल कर सकती हैं।

उनकी सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को गौरवान्वित किया है।


संघर्ष और सफलता की सीख

दीपा का कहना है कि:

“महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए हिम्मत और मेहनत करनी चाहिए। अगर आपके पास आत्मविश्वास है तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।”

दीपा की कहानी बताती है कि उम्र या हालात सपनों को पूरा करने में कोई बाधा नहीं बन सकते।


परिवार के समर्थन की अहमियत

हालांकि शुरुआत में दीपा को परिवार के तानों और दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने सबका नजरिया बदल दिया। आज उनका परिवार उनकी सफलता पर गर्व करता है।

उनके भाई, जिन्होंने दीपा को सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का सुझाव दिया था, इस सफलता को देखकर बेहद खुश हैं।


महिलाओं के लिए प्रेरणा

दीपा भाटी की यह कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी जिम्मेदारियों और समाज के दबाव के कारण अपने सपनों को पीछे छोड़ देती हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि हर महिला अपनी परिस्थितियों से ऊपर उठ सकती है और अपने सपनों को साकार कर सकती है।


दीपा की सफलता से सीखें ये बातें:

  1. समय का प्रबंधन: दिनभर के कामकाज के बाद भी पढ़ाई के लिए समय निकालना।
  2. लगातार सीखना: यूट्यूब और ऑनलाइन माध्यम से टॉपर्स की रणनीतियां समझना।
  3. परिवार और समाज के दबाव को नजरअंदाज करना: दूसरों की बातों की बजाय अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखना।
  4. कठिन परिश्रम: हर दिन अपने सपनों को साकार करने की दिशा में मेहनत करना।

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