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Airport Mono Rail To Yamuna Film City Expressway News : फिल्म सिटी से नोएडा एयरपोर्ट तक मोनो रेल, यमुना अथॉरिटी का नया मास्टरप्लान, कनेक्टिविटी में होगा बड़ा सुधार, यमुना अथॉरिटी की प्लानिंग जान लीजिए, डीपीआर की तैयारी

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे । यमुना अथॉरिटी ने ग्रेटर नोएडा में फिल्म सिटी को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए मोनो रेल चलाने की एक बड़ी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना का उद्देश्य क्षेत्र में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को तेज गति से बढ़ावा देना है। 14.6 किलोमीटर लंबे इस मोनो रेल प्रोजेक्ट के लिए सीमेंस कंपनी को डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह डीपीआर दो महीने में तैयार हो जाएगी।


कनेक्टिविटी के साथ औद्योगिक विकास का जोर

यमुना अथॉरिटी ने इस प्रोजेक्ट को केवल कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं रखा है। यह योजना यीडा सिटी के इंडस्ट्रियल सेक्टरों और नोएडा एयरपोर्ट को एक मजबूत नेटवर्क से जोड़ने के उद्देश्य से बनाई गई है। इससे ग्रेटर नोएडा और जेवर के आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक और व्यावसायिक निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।


पॉड टैक्सी और एलआरटी योजना क्यों हुई खारिज?

पहले इस रूट पर पॉड टैक्सी और लाइट ट्रांजिट रेल (LRT) चलाने का प्रस्ताव था। हालांकि, पॉड टैक्सी के ग्लोबल टेंडर में किसी भी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई। वहीं, एलआरटी योजना को केंद्र सरकार ने नमो भारत ट्रैक पर चलाने की अनुमति नहीं दी।

नमो भारत ट्रैक पर केवल रैपिड रेल और मेट्रो को मंजूरी दी गई है। इस कारण यमुना अथॉरिटी ने मोनो रेल को एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में चुना है। यह न केवल किफायती है बल्कि बेहतर कनेक्टिविटी और तेज गति प्रदान करने में सक्षम है।


मोनो रेल की संभावनाएं और फायदे

मोनो रेल तकनीक के जरिए यात्रियों को ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से निजात मिलेगी। इसका रूट एलिवेटेड रहेगा, जो सड़क से करीब 10-15 फीट की ऊंचाई पर होगा। यह तकनीक न केवल तेज और सुरक्षित है बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना को भी कम करती है।

मोनो रेल की खासियत यह है कि इसके कोच में बैठने वाले यात्रियों को बाहरी शोर सुनाई नहीं देता और बाहर के लोगों को इसकी आवाज नहीं आती। यह तकनीक पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है।

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प्रस्तावित मोनो रेल फिल्म सिटी, नोएडा एयरपोर्ट पर

अनुमानित लागत और गति

मोनो रेल प्रोजेक्ट की लागत नमो भारत ट्रैक की तुलना में काफी कम है।

लागत: लगभग 70 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर।

गति: औसतन 65 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा।
वहीं, नमो भारत ट्रैक की लागत 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर आंकी गई थी।


मोनो रेल: दुनिया में एक सफल तकनीक

मोनो रेल तकनीक पहली बार 1820 में रूस में विकसित की गई थी। आज यह तकनीक जर्मनी, जापान, चीन, और मलेशिया जैसे देशों में सफलतापूर्वक इस्तेमाल हो रही है।

टोक्यो मोनो रेल विश्व की सबसे व्यस्त मोनो रेल है, जिसका हर दिन 1.27 लाख यात्री उपयोग करते हैं। भारत में पहली बार मोनो रेल मुंबई में 2014 में शुरू हुई।


यमुना अथॉरिटी का दूरदर्शी कदम

यमुना अथॉरिटी का यह प्रोजेक्ट केवल कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है। यह योजना ग्रेटर नोएडा को एक विकसित औद्योगिक और आर्थिक केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मोनो रेल न केवल फिल्म सिटी और एयरपोर्ट को जोड़ेगी बल्कि यीडा सिटी के विभिन्न इंडस्ट्रियल सेक्टरों को भी एक मजबूत नेटवर्क से जोड़ेगी।


साफ-सुथरा और आधुनिक यात्रा का सपना

इस परियोजना से यात्रियों को ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या से राहत मिलेगी। मोनो रेल के एलिवेटेड ट्रैक से सफर तेज और आरामदायक होगा। यह परियोजना भारत के परिवहन ढांचे को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


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