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Noida DLF Mall : "नोएडा के डीएलएफ मॉल की जमीन पर नया संग्राम, छलेरा किसान ने मांगा 100 करोड़ का मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब", नोएडा के दिल में फिर गहराया विवाद


नोएडा, रफ़्तार टुडे। नोएडा सेक्टर-18 स्थित डीएलएफ मॉल, जो देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित शॉपिंग मॉल्स में से एक है, अब एक नए कानूनी विवाद में घिर गया है। छलेरा बांगर के किसान विष्णु वर्धन ने मॉल की जमीन पर अपना दावा करते हुए 100 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह विवाद नया नहीं है। इससे पहले भी इसी जमीन को लेकर 295 करोड़ रुपये के मुआवजे का मामला अदालत तक पहुंचा था। अब यह विवाद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है।


क्या है डीएलएफ मॉल की जमीन का पूरा मामला?

डीएलएफ मॉल की जमीन छलेरा बांगर गांव के किसानों की थी।

  1. 1997 में जमीन का सौदा:
    बेंगलुरु निवासी रेड्डी विरेन्ना ने छलेरा के एक किसान से 14,358 वर्ग मीटर जमीन खरीदी थी।
  2. नोएडा प्राधिकरण का हस्तक्षेप:
    प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और केवल 7400 वर्ग मीटर जमीन विरेन्ना को वापस दी।
  3. विवाद की शुरुआत:
    बाकी की जमीन को प्राधिकरण ने व्यावसायिक भूखंड के रूप में विकसित कर 54,320 वर्ग मीटर जमीन डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को 173 करोड़ रुपये में बेच दी।

डीएलएफ मॉल कैसे बना विवाद का केंद्र?

नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित जमीन पर डीएलएफ मॉल का निर्माण किया गया। यह मॉल आज एक बड़ा व्यावसायिक केंद्र है, लेकिन इसकी जमीन का विवाद वर्षों से अदालतों के चक्कर काट रहा है।

  1. किसान विरेन्ना का मुकदमा:
    रेड्डी विरेन्ना ने प्राधिकरण और डीएलएफ के खिलाफ मुकदमा दायर किया और जमीन का उचित मुआवजा मांगा।
  2. उच्च न्यायालय का आदेश:
    2021 में अदालत ने मुआवजे की दर 55,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तय की।
  3. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
    2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की दर को 1,10,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक बढ़ा दिया। ब्याज सहित मुआवजा 350 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन प्राधिकरण ने 295 करोड़ रुपये पर सहमति जताई और भुगतान कर दिया।
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DLF मॉल के फाइल फोटो

अब विष्णु वर्धन ने किया दावा

प्राधिकरण ने विरेन्ना के साथ-साथ विष्णु वर्धन की जमीन भी अधिग्रहित की थी। हालांकि, प्रशासनिक लापरवाही के कारण तहसील के रिकॉर्ड में वर्धन का नाम दर्ज नहीं हो पाया।
इससे वर्धन मुआवजे से वंचित रह गए। अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 100 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है।


प्राधिकरण ने क्या सफाई दी?

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि सभी वैध दावों का निपटारा कर दिया गया है। विष्णु वर्धन के दावे पर अदालत में जवाब दाखिल किया जा चुका है।

डीएलएफ मॉल को 235 करोड़ रुपये की मांग का नोटिस भी जारी किया गया था, जिसे कंपनी ने चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। यह मामला अभी विचाराधीन है।


लापरवाही ने बढ़ाया विवाद

इस पूरे विवाद में दादरी तहसील के नायब तहसीलदार की लापरवाही सामने आई है।

विरेन्ना का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया गया, लेकिन विष्णु वर्धन का नाम रिकॉर्ड में नहीं जोड़ा गया।

इससे वर्धन मुआवजे के हकदार नहीं बन सके और अब उन्हें अदालत का रुख करना पड़ा।


क्या हो सकता है आगे?

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगा है। यदि वर्धन का दावा सही पाया गया, तो प्राधिकरण और डीएलएफ को भारी मुआवजा देना पड़ सकता है।

यह विवाद अब नोएडा के सबसे चर्चित भूमि विवादों में से एक बन गया है।


क्या है इस विवाद का असर?

डीएलएफ मॉल नोएडा का एक प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है।इस विवाद का असर मॉल की प्रतिष्ठा और जमीन के वैधानिक उपयोग पर पड़ सकता है।

यह मामला प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत को भी उजागर करता है।


निष्कर्ष

यह मामला केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और किसानों के अधिकारों की अनदेखी का ज्वलंत उदाहरण है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं।


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