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Stellar Group News ::नोएडा की जमीन पर बड़ा घोटाला, स्टेलर ग्रुप के चार निदेशकों पर करोड़ों की धोखाधड़ी, पूर्व आईएएस समेत कोर्ट में ट्रायल शुरू

नोएडा, रफ़्तार टुडे। नोएडा में बड़ा घोटाला सामने आया है जिसमें डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और स्टेलर ग्रुप के चार निदेशकों पर करोड़ों की धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आरोप हैं। गौतमबुद्ध नगर जिला एवं सत्र न्यायालय में नोएडा पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई है, जिसमें स्टेलर ग्रुप के प्रवर्तक और पूर्व आईएएस अधिकारी रवि मोहन सेठी, उनके बेटे अक्षय मोहन सेठी समेत अन्य दो निदेशकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल की शुरुआत कर दी है। वहीं, डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के कुछ निदेशकों को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है।

क्या है घोटाले का पूरा मामला?

डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने 2018 में एक रियल एस्टेट परियोजना के विकास के लिए स्टेलर ग्रुप को 55 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था, जिसे केवल परियोजना में निवेश के उद्देश्य से ही उपयोग किया जाना था। लेकिन, आरोप है कि इस फंड का बड़ा हिस्सा, करीब 52 करोड़ रुपए, निजी कर्ज चुकाने में इस्तेमाल किया गया। इस गबन की जांच शुरू होने के बाद अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद नोएडा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

आरोपियों की लिस्ट और अदालत का रुख

नोएडा के सेक्टर-113 पुलिस थाना ने इस मामले में आठ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 504, और 506 के तहत केस दर्ज किया। आरोपियों में स्टेलर ग्रुप के प्रमुख अधिकारी रवि मोहन सेठी, उनके बेटे अक्षय सेठी के साथ-साथ डीएमआई फाइनेंस लिमिटेड के अधिकारी युवराज चाणक्य सिंह, शिवाशीष चटर्जी, विवेक गुप्ता, और पुनिंदर भाटिया भी शामिल हैं। पुलिस की दो साल की लंबी जांच में साफ हो गया है कि धन का उपयोग निर्धारित परियोजना में न होकर निजी कर्ज निपटाने के लिए किया गया।

हाईकोर्ट ने दी कुछ निदेशकों को राहत, चार्जशीट में क्या है पुलिस का आरोप?

जांच के आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की जिसमें आरोपियों पर फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का भी आरोप है। हाईकोर्ट ने डीएमआई फाइनेंस लिमिटेड के निदेशकों युवराज सिंह, शिवाशीष चटर्जी, विवेक गुप्ता और पुनिंदर भाटिया को अंतरिम राहत दी है। हालांकि, स्टेलर समूह के निदेशकों पर कार्रवाई जारी है। पुलिस के अनुसार, यह फंड का निजी हित में उपयोग करने का स्पष्ट मामला है।

कारोबारी धोखाधड़ी का बड़ा उदाहरण

इस मामले ने वित्तीय संस्थानों और रियल एस्टेट कंपनियों के आपसी संबंधों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल धोखाधड़ी का बल्कि वित्तीय पारदर्शिता और जालसाजी का भी उदाहरण बन गया है। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होगी, जिसमें इस घोटाले के अन्य पहलुओं पर भी चर्चा होगी। अभि कम्प्यूसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस घोटाले के खिलाफ आखिरी दम तक लड़ेंगे और सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।

अब देखना यह है कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और डीएमआई फाइनेंस तथा स्टेलर समूह की कंपनियों पर लगे इन गंभीर आरोपों की सत्यता किस हद तक साबित होती है।


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रफ़्तार टुडे की न्यूज़

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