Loksabha Bill News : लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश, विपक्ष का विरोध, सरकार की रणनीति पर सवाल, विपक्ष ने जताई आपत्ति, कांग्रेस का दावा—सरकार के पास नहीं है दो-तिहाई बहुमत
नई दिल्ली, रफ़्तार टुडे। संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन, मंगलवार को, केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 लोकसभा में प्रस्तुत किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को सदन में पेश किया, जिसके बाद विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया।
विपक्ष का विरोध और तर्क
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा, “भारत राज्यों का संघ है। आप विधानसभाओं का कार्यकाल कम नहीं कर सकते। संघवाद का मूलभूत सिद्धांत है कि संविधान में केंद्र और राज्य बराबरी के हकदार हैं।”
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, “यह विधेयक अप्रत्यक्ष रूप से लोकतंत्र की राष्ट्रपति शैली का परिचय देता है। यह राजनीतिक लाभ और सुविधा को बढ़ावा देने वाला है और क्षेत्रीय दलों को खत्म कर देगा।”
सदन में वोटिंग और परिणाम
विधेयक पेश होने के बाद, लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली के माध्यम से मतदान कराया गया। पहली बार हुई इस ई-वोटिंग में 369 सदस्यों ने भाग लिया, जिसमें 220 ने पक्ष में और 149 ने विपक्ष में वोट डाले। विपक्ष की आपत्ति के बाद दूसरी बार वोटिंग कराई गई, जिसमें 269 सांसदों ने पक्ष में और 198 ने विरोध में मतदान किया। विपक्षी दलों ने दावा किया कि सरकार के पास विधेयक पारित करने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है।
कांग्रेस का दावा—सरकार के पास नहीं है दो-तिहाई बहुमत:
वोटिंग के परिणामों के बाद, कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार के पास विधेयक पारित करने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ई-वोटिंग सिस्टम के स्क्रीनशॉट के साथ पोस्ट किया, “129वां संविधान संशोधन बिल पास करने के लिए कुल 461 वोटों में से दो-तिहाई बहुमत यानी 307 वोटों की जरूरत थी। लेकिन, सरकार को सिर्फ 269 वोट मिले। विपक्ष की तरफ से 198 वोट पड़े। इससे समझा जा सकता है कि सरकार लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल के लिए दो-तिहाई बहुमत जुटाने में फेल हो गई है।”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी संख्या में स्पष्ट अंतर की ओर इशारा करते हुए कहा, “निस्संदेह सरकार के पास अधिक संख्या बल है, लेकिन इसे (संविधान संशोधन विधेयकों को) पास कराने के लिए आपको दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है, जो उनके पास स्पष्ट रूप से नहीं है। इसलिए सरकार को इस पर अधिक समय तक जोर नहीं देना चाहिए।”
विधेयक का संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित करना
विपक्ष के विरोध और बहस के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक को और विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने स्वीकार किया। जेपीसी में विधेयक पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा के बाद इसे पुनः संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार संघीय ढांचे को समाप्त करना चाहती है और यह विधेयक असंवैधानिक है। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा, “डीएमके इस विधेयक का विरोध कर रही है। हमारा मानना है कि यह असंवैधानिक है, संघवाद के खिलाफ है और लोगों की इच्छा के खिलाफ है।”
सरकार का पक्ष
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, “मैं यह जानना चाहता हूं कि एक राष्ट्र, एक चुनाव किस तरह संविधान विरोधी है? विपक्षी इतने समय से केवल रट्टा मार रहे हैं कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है, लेकिन यह कैसे संघीय ढांचे के खिलाफ है, यह तो बताएं।”
आगे की प्रक्रिया
विधेयक अब संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया है, जहां इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा की जाएगी। जेपीसी की सिफारिशों के बाद, विधेयक को पुनः संसद में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
निष्कर्ष
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक को लेकर संसद में तीखी बहस और मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आए हैं। जहां सरकार इसे चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मान रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहा है। आगामी दिनों में जेपीसी की समीक्षा और संसद में होने वाली चर्चाएं इस विधेयक के भविष्य को निर्धारित करेंगी।
विपक्ष बिल का विरोध कर रहा है – मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिक्रिया देखें:
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