सूरजपुर, रफ़्तार टुडे। गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर न्यायालय परिसर और यहां मौजूद प्रमुख प्रशासनिक कार्यालय, जहां जिले के डीएम और अन्य उच्च अधिकारी बैठते हैं, इन दिनों भारी बदहाली का सामना कर रहे हैं। इलाके में पसरी गंदगी, नाले के गंदे पानी की बदबू और मच्छरों का आतंक न केवल यहां आने वाले लोगों की समस्याएं बढ़ा रहा है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
नाले का गंदा पानी और मच्छरों का प्रकोप बना समस्या का कारण
सूरजपुर कोर्ट और इसके आस-पास के इलाके में नालियों की सफाई न होने के कारण गंदगी का अंबार लग गया है। नालों में जमा पानी से उठने वाली बदबू और मच्छरों के प्रकोप ने वकीलों, न्यायालय में कामकाज के लिए आने वाले लोगों और यहां के निवासियों का जीना दूभर कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गंदगी के कारण कई लोग बीमार पड़ रहे हैं और मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
एडवोकेट आदित्य भाटी ने उठाई आवाज, बताया अथॉरिटी और प्रशासन की निष्क्रियता
सूरजपुर न्यायालय के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट आदित्य भाटी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। उन्होंने कहा, “यह समस्या केवल आम लोगों की नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही का परिणाम है। न्यायालय जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की स्थिति अस्वीकार्य है।”
उन्होंने प्राधिकरण को तत्काल इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की अपील की है।
जाम और गंदगी ने बढ़ाई परेशानी
न केवल गंदगी और मच्छरों का प्रकोप, बल्कि इस इलाके में लगातार ट्रैफिक जाम भी बड़ी समस्या बन चुका है। सूरजपुर कोर्ट के बाहर गाड़ियों की अव्यवस्थित पार्किंग और सड़कों पर जमा गंदगी ने आवागमन को कठिन बना दिया है।
प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह क्षेत्र ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) के वर्क सर्कल 7 के अंतर्गत आता है। स्थानीय निवासियों और वकीलों का कहना है कि प्राधिकरण ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“यहां का प्रशासन केवल बड़ी योजनाओं की बातें करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।”
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
एडवोकेट आदित्य भाटी और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि:
- नालों की सफाई तुरंत की जाए।
- मच्छरों को खत्म करने के लिए नियमित फॉगिंग की जाए।
- सड़क और परिसर की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए।
- ट्रैफिक प्रबंधन के लिए उचित उपाय किए जाएं।
क्या कहता है प्राधिकरण?
GNIDA के अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या को जल्द हल करने के लिए एक कार्य योजना बनाई जा रही है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल एक और आश्वासन है और कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
सामाजिक जागरूकता और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह स्थिति केवल प्रशासनिक विफलता का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सफाई और व्यवस्था के प्रति समाज में जागरूकता की भी कमी है। अब देखना यह है कि प्रशासन और प्राधिकरण इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेते हैं और इसे हल करने के लिए कितनी तत्परता दिखाते हैं।
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