UPSIDA Daewoo's News : यूपीसीडा की बड़ी जीत, 204 एकड़ का कीमती भूखंड फिर से हासिल, वर्षों पुराने विवाद का नाटकीय अंत, डीसीएम देवू के बंद होने की कहानी से भूखंड के कब्जे तक की पूरी दास्तां
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। नोएडा-दादरी मेन रोड पर स्थित सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक समय गौतमबुद्ध नगर की शान माने जाने वाले 204 एकड़ के भूखंड पर यूपीसीडा ने फिर से कब्जा कर लिया है। यह भूखंड, जो कभी देश की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाइयों में से एक डीसीएम टोयोटा और बाद में डीसीएम देवू का केंद्र था, अब अपनी 12 अरब रुपए से अधिक की वर्तमान कीमत के साथ यूपीसीडा के खाते में वापस आ गया है।
डीसीएम टोयोटा: एक सफल शुरुआत से विवाद की गहराई तक
1982 में जब यूपीसीडा ने डीसीएम टोयोटा को यह विशाल भूखंड आवंटित किया, तब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक क्षेत्रों का सपना आकार ले रहा था। डीसीएम टोयोटा ने अपनी पहचान एक अग्रणी वाहन निर्माता के रूप में बनाई।
कंपनी ने मिनी ट्रक का उत्पादन शुरू किया, जो परिवहन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला कदम था। यह संयंत्र हजारों लोगों के लिए रोजगार का स्रोत बना और स्थानीय अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा भर दी।
1989 में कंपनी ने उत्पादन विस्तार के लिए आईसीआईसीआई बैंक से ऋण लिया।
हालांकि, सफलता का यह सफर लंबा नहीं चला। 1999 में हिस्सेदारों के मतभेद के कारण यह कंपनी कोरियाई ऑटोमोबाइल कंपनी देवू को बेच दी गई।
देवू के अधिग्रहण और पतन की कहानी
देवू ने यहां कार निर्माण का काम शुरू किया और नए तकनीकी मॉडल लाए। लेकिन कोरियाई बाजार में आई आर्थिक मंदी ने देवू पर गंभीर प्रभाव डाला। देवू की कंगाली का असर ग्रेटर नोएडा स्थित इस प्लांट पर भी पड़ा।
प्लांट पर ताला लग गया, और क्षेत्र के हजारों लोग बेरोजगार हो गए। इस दौरान यूपीसीडा का इस भूमि पर बकाया 7 अरब से अधिक पहुंच गया। इसके साथ ही कंपनी और बैंक के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई।
आईसीआईसीआई बैंक और आरसिल की गड़बड़ियां
कंपनी के बंद होने के बाद, आईसीआईसीआई बैंक ने बिना यूपीसीडा की अनुमति के इस भूखंड को निजी वित्तीय संस्थान आरसिल को बेच दिया।
यूपीसीडा ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और मामला मुंबई के ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में पहुंचा। यूपीसीडा ने अपने हितों की जोरदार पैरवी की, लेकिन डीआरटी से मनचाही राहत नहीं मिल सकी।
यूपीसीडा की रणनीतिक जीत
इस भूखंड पर अपने अधिकार की रक्षा के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी के नेतृत्व में यूपीसीडा ने नई रणनीति बनाई। लीज डीड की शर्तों का गहन अध्ययन किया गया। 23 जुलाई 2024 को यूपीसीडा बोर्ड की 46वीं बैठक में भूखंड का आवंटन रद्द करने का निर्णय लिया गया।
बोर्ड के निर्णय के तहत क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने भूखंड संख्या ए-1, औद्योगिक क्षेत्र सूरजपुर साइट-ए का आवंटन रद्द कर दिया और इसका भौतिक कब्जा यूपीसीडा के नाम पर दर्ज करवा लिया।
भविष्य की संभावनाएं और नई उम्मीदें
अब यह भूखंड, जिसकी बाजार कीमत 12 अरब रुपए से अधिक है, यूपीसीडा के पास लौट आया है। यूपीसीडा इस भूमि का उपयोग नई औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए करेगा।
इस कदम से स्थानीय रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। यूपीसीडा की इस सफलता को कानूनी और प्रशासनिक क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण माना जा रहा है।
यूपीसीडा की प्रतिक्रिया
मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी ने इस उपलब्धि पर कहा,
“यह कदम यूपीसीडा के लिए एक बड़ी जीत है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस भूमि का उपयोग क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन के लिए हो।”
क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने कहा,
“यह भूमि आरसिल जैसे संस्थानों की खराब नीयत का शिकार हो सकती थी, लेकिन हमने यूपीसीडा के हितों की रक्षा की।”
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