Galgotia University News : “अब कोई अकेला नहीं रहेगा”!, गलगोटिया विश्वविद्यालय ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में लिखा इतिहास, एम्स के साथ शुरू किया 'नेवर अलोन' प्रोजेक्ट

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।।
मानसिक स्वास्थ्य अब किसी कोने में छिपा विषय नहीं, बल्कि चर्चा और सहयोग का केंद्र बनता जा रहा है। इस दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए गलगोटिया विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा ने 4 जून को एम्स (AIIMS) के साथ मिलकर एक अत्याधुनिक मानसिक स्वास्थ्य सहायता परियोजना – “नेवर अलोन” का शुभारंभ किया।
यह प्रोजेक्ट न केवल शिक्षा जगत में मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देने की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि भारत में एआई तकनीक आधारित मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रणाली का एक नया मॉडल भी प्रस्तुत करता है।
क्या है ‘नेवर अलोन’ प्रोजेक्ट?
“नेवर अलोन” नाम का यह प्रोजेक्ट एक एआई पावर्ड वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट के माध्यम से काम करता है, जो जरूरतमंद छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को 24×7 मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध कराता है। यह तकनीक WhatsApp जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जिससे इसे हर वर्ग के व्यक्ति के लिए सुलभ और सरल बनाया गया है।
उद्घाटन समारोह: नेतृत्व और संकल्प का संगम
इस एतिहासिक कार्यक्रम का उद्घाटन गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने किया। उनके साथ मंच पर मौजूद थे:
- 🧑⚕️ विशिष्ट अतिथि डॉ. निशात अहमद (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ)
- 👩💼 परिचालन निदेशक श्रीमती आराधना गलगोटिया
- 🧑🔬 प्रोजेक्ट हेड डॉ. दीपिका दहीमा
- 🎓 कुलपति डॉ. के.एम. बाबू
- 👩🏫 डॉ. मोनिका अग्रवाल
- और सैकड़ों छात्र-छात्राएं, फैकल्टी सदस्य एवं विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी
“हर छात्र को यह महसूस होना चाहिए कि वह कभी अकेला नहीं है” – श्री सुनील गलगोटिया
अपने प्रेरक उद्घाटन भाषण में कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने कहा:
“गलगोटिया विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक समग्र विकास केंद्र है। ‘नेवर अलोन’ परियोजना यह सुनिश्चित करती है कि विश्वविद्यालय के हर सदस्य को मानसिक रूप से सशक्त बनाया जाए। हम चाहते हैं कि कोई भी छात्र, शिक्षक या कर्मचारी अकेलापन महसूस न करे।”
“एआई + मानसिक स्वास्थ्य = एक नया युग” – डॉ. निशात अहमद
विशिष्ट अतिथि डॉ. निशात अहमद ने इस प्रोजेक्ट की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने कहा:
“आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। ‘नेवर अलोन’ जैसे प्रोजेक्ट भारत में AI तकनीक के उपयोग से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाने का एक आदर्श उदाहरण हैं। यह एक साहसी और प्रेरणादायक कदम है, जिसमें गलगोटिया विश्वविद्यालय अग्रणी बनकर उभरा है।”
“शिक्षा के साथ संवेदना भी जरूरी है” – आराधना गलगोटिया
परिचालन निदेशक श्रीमती आराधना गलगोटिया ने कहा:
“हमारा विश्वविद्यालय केवल डिग्रियां देने की जगह नहीं, बल्कि समाज के लिए योगदान की आधारशिला है। ‘नेवर अलोन’ जैसी पहलें यही संदेश देती हैं कि हम अपने छात्रों और समाज की मानसिक भलाई को गंभीरता से लेते हैं।”
उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत 21 प्रशिक्षित शिक्षक और छात्र, एआई तकनीक से लैस होकर जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करेंगे।
कैसे करेगा काम ‘नेवर अलोन’ प्लेटफॉर्म?
यह प्लेटफॉर्म पूरी तरह वर्चुअल और इंटीग्रेटेड सिस्टम पर आधारित है, जो मुख्यतः WhatsApp के माध्यम से ऑपरेट होता है। इसके मुख्य पहलू इस प्रकार हैं:
- ✅ 24×7 सपोर्ट सिस्टम
- ✅ गोपनीय और सुरक्षित चैटिंग सुविधा
- ✅ एआई पावर्ड जवाब और मार्गदर्शन
- ✅ इमरजेंसी काउंसलिंग की सुविधा
- ✅ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सामान्य से गंभीर मुद्दों पर सलाह
21 वॉलंटियर ट्रेनर बनेंगे विश्वविद्यालय की ताकत
प्रोजेक्ट के तहत 11 छात्र और 10 शिक्षक विशेष रूप से प्रशिक्षित किए गए हैं। ये सभी मानसिक स्वास्थ्य में संवेदनशीलता, सहानुभूति और व्यवहारिक तकनीकों पर दक्ष हैं। इन वॉलंटियर्स का मुख्य कार्य है:
- 🟡 छात्रों की मन:स्थिति का विश्लेषण
- 🟡 सही सलाह और मार्गदर्शन देना
- 🟡 जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से जोड़ना
- 🟡 डेटा गोपनीयता और तकनीकी सहायता सुनिश्चित करना
टेक्नोलॉजी और इंसानियत का संगम
‘नेवर अलोन’ प्रोजेक्ट यह दिखाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी और इंसानियत मिलकर मानसिक स्वास्थ्य में क्रांति ला सकते हैं। यह परियोजना भारत में यूनिवर्सिटी स्तर पर एआई-आधारित मेंटल हेल्थ मॉडल का पहला प्रभावी उदाहरण बनती जा रही है।
प्रोजेक्ट के उद्देश्य:
- ☑️ हर छात्र को मानसिक सुरक्षा प्रदान करना
- ☑️ मेंटल हेल्थ पर जागरूकता बढ़ाना
- ☑️ संस्थान को ‘Mental Wellness Campus’ के रूप में स्थापित करना
- ☑️ तकनीक का मानवीय उपयोग सुनिश्चित करना
क्यों जरूरी है यह पहल?
आज के समय में, विशेषकर कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्र:
- भारी प्रतिस्पर्धा
- परीक्षा का तनाव
- करियर की अनिश्चितता
- सोशल मीडिया का प्रभाव
- रिश्तों की उलझन
जैसे अनेक मानसिक दबावों का सामना करते हैं। ऐसे में गलगोटिया की यह पहल एक संरक्षित और सहयोगात्मक शैक्षणिक माहौल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रियाएं:
- “यह प्रोजेक्ट मेरे जैसे कई छात्रों के लिए उम्मीद की किरण है।” – बी.टेक छात्र, प्रथम वर्ष
- “अब मन की बात कहने के लिए हमें खुला प्लेटफॉर्म मिला है।” – एमबीए छात्रा, द्वितीय वर्ष
- “विश्वविद्यालय ने यह दिखाया कि वे सिर्फ पढ़ाते नहीं, साथ भी देते हैं।” – बीएड छात्र
🔚 निष्कर्ष: भविष्य के लिए एक मानवीय और डिजिटल कदम
गलगोटिया विश्वविद्यालय का ‘नेवर अलोन’ प्रोजेक्ट न केवल एक तकनीकी नवाचार है, बल्कि यह एक संवेदनशील और सामाजिक जिम्मेदारी निभाने वाली पहल है। यह दिखाता है कि जब शिक्षा, तकनीक और सहानुभूति एक साथ आती हैं, तो समाज के सबसे संवेदनशील मुद्दों को भी सुलझाया जा सकता है।
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