नोएडा अथॉरिटी ने आज शहर के हजारों लोगों को ये 4 बड़ी राहत दीं, ग्रुप हाउसिंग और रेजिडेंशियल भूखंडों पर निर्माण न करने वालों को राहत
नोएडा, रफ्तार टुडे। नोएडा विकास प्राधिकरण को 205वीं बोर्ड बैठक हुई है। जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किए गए हैं। इनमें चार बड़ी राहत शहर के लोगों को दी गई हैं। खास बात यह है कि इन राहतों के दायरे में शहर के हजारों आवंटी आएंगे। नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बताया कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए कुछ राहत दी गई हैं। इसके अलावा रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण को आसान कर दिया गया है।
रेजिडेंशियल बिल्टअप हाउसिंग स्कीम के आवंटियों को वन टाइम सेटेलमेंट (ओटीएस) का मौका दिया गया है। ग्रुप हाउसिंग और आवासीय भूखंड पर निर्धारित समय में निर्माण नहीं करने वालों को अब पहले के मुकाबले कम पेनल्टी चुकानी होगी।
रितु माहेश्वरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की संपत्तियों से जुड़े अधिभोग प्रमाण पत्र हासिल करने का वक्त 6 महीने बढ़ाया है। यह शासनादेश 20 जुलाई 2022 को आया था। जिसके मुताबिक सभी परियोजनाओं के डेवलपर और आवंटी को अधिभोग हासिल करने के लिए 6 माह का समय विस्तार दिया गया है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
इससे पहले भी 6 माह की अवधि अतिरिक्त दी गई थी। इस तरह अब निशुल्क सीमा विस्तार एक वर्ष कर दिया गया है। यह सुविधा शासनादेश में निर्धारित शर्तों के अनुसार केवल उन्हीं आवंटियों को दी जाएगी, जिनकी लीज डीड 21 मार्च 2021 से पहले हो चुकी हैं।
सीईओ ने बताया कि भाई-बहन के बीच आवासीय भूखंडों का ट्रांसफर करने पर ढाई प्रतिशत ट्रांसफर चार्जेस देने का नियम था। इसे जनहित में समाप्त कर दिया गया है। अब भाई-बहन, भाई-भाई और बहन-बहन अगर एक दूसरे को रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी ट्रांसफर करते हैं तो कोई ट्रांसफर चार्ज नहीं लिया जाएगा। इससे शहर के हजारों आवंटियों को बड़ा फायदा मिलेगा।
रितु माहेश्वरी ने बताया कि फाइनेंसियल ईयर 2016-17 तक आवासीय भवन योजनाओं के तहत घर हासिल करने वाले आवंटियों के लिए अच्छी खबर है। इन्हें एक बार फिर वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का फायदा दिया जा रहा है। यह ओटीएस 1 सितंबर 2022 से 30 नवंबर 2022 तक ओपन रहेगी। आवंटी को ऑनलाइन आवेदन करने होंगे। इस ओटीएस के तहत 2 बड़े फायदे मिलेंगे। लीज डीड कराने पर विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। जिन प्रकरणों में आवंटी ने पट्टा प्रलेख करवाने के बाद कब्जा नहीं लिया है, उनका अर्थदंड पूरी तरह माफ कर दिया जाएगा। आवंटी को प्रोसेसिंग फीस ₹5,000 और कुल अतिदेयता का 5% जमा कराना होगा।
सीईओ ने बताया कि ग्रुप हाउसिंग और आवासीय भूखंडों पर निर्धारित समय में अगर आवंटी निर्माण पूरा नहीं करते हैं तो समय सीमा बीतने के बाद पहले साल में 4% शुल्क लेकर समय विस्तार दिया जाता था। दूसरे से छठे साल तक 5%, 6%, 7%, 8% और 9% शुल्क लिया जा है था। सातवें वर्ष से दसवें वर्ष तक पेनल्टी बढ़कर 10% प्रतिवर्ष हो जाती थी। 10 वर्ष के पश्चात विशेष परिस्थिति में 25% प्रतिवर्ष के हिसाब से शुल्क लिया जा रहा था।
इसे जनहित में संशोधित कर दिया गया है। अब निर्माण अवधि बीत जाने के बाद पहले साल में आवंटन दर का 1% शुल्क लिया जाएगा। दूसरे से दसवें वर्ष के लिए आवंटन दर का 2% से 10% शुल्क लेकर समय विस्तार दिया जाएगा। 10 वर्ष के बाद आवंटन दर का 10% वार्षिक के हिसाब से समय वृद्धि शुल्क लिया जाएगा। इस प्रावधान से आवंटियों को समय वृद्धि करवाने के लिए लगने वाले शुल्क में बड़ी राहत मिल गई है।