BIG NEWS: नोएडा की पहली एलिवेटेड रोड इकोनॉमिकल और टेक्निकल घोटाले में फंसी है, फिलहाल जांच पर लगा ब्रेक
नोएडा, रफ्तार टुडे: नोएडा शहर की मास्टर प्लान रोड नंबर-2 (एमपी-2) पर बने एलिवेटेड रोड के निर्माण में हुई हेराफेरी की जांच थम गई है। यह जांच नोएडा प्राधिकरण की एक कमेटी कर रही है। आरोप है कि निर्माण कंपनी को प्राधिकरण की ओर से 38 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया था। जांच रुकने की वजह निर्माण कंपनी का आर्बिटेशन में जाना है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि आर्बिट्रेशन में इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त जज कर रहे हैं। ऐसे में सामांनतर प्राधिकरण स्तर पर जांच नहीं चल सकती है।
यह एलिवेटेड रोड सेक्टर-28 विश्व भारती पब्लिक स्कूल के सामने से सेक्टर-60 में यूफ्लेक्स कंपनी के सामने तक है। यह 4.8 किलोमीटर लंबी है। इसको बनाने में करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। आईटीडी सीमेंटेशन कंपनी ने तैयार किया था। इसका निर्माण समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार के समय में हुआ था। इसका शुभारंभ वर्ष 2017 में भाजपा शासनकाल में हुआ।
भाजपा के सत्ता में आते ही नोएडा प्राधिकरण के बीते सालों के कामकाज की जांच सीएजी ने शुरू कर दी थी। सीएजी की जांच में सामने आया कि एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए कंपनी को 38 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया। इस पर सीएजी ने आपत्ति जताते हुए नोएडा प्राधिकरण से जवाब मांगा था, लेकिन प्राधिकरण कोई उचित उत्तर नहीं दे सका।
इस मामले की गूंज शासन स्तर तक पहुंच गई। नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने जुलाई 2022 में इस मामले में जांच समिति का गठन कर दिया। जांच समिति में एसीईओ मानवेंद्र सिंह अध्यक्ष हैं। इस समिति को चार-पांच महीने के अंदर रिपोर्ट देनी थी लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो कंसल्टेंट ने कुछ साक्ष्य देने में कई महीने लगा दिए। अब इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। मामला आर्बिट्रेशन में चल गया है। जब तक कोई फैसला नहीं आएगा तक तक प्राधिकरण की जांच समिति रिपोर्ट पूरी तरह तैयार नहीं करेगी।
वरिष्ठ परियोजना अभियंता पर कार्रवाई,
बाकी पर नहीं
एलिवेटेड रोड के निर्माण में कंपनी को अधिक भुगतान करने के मामले में जून 2022 में नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ परियोजना अभियंता एससी मिश्रा पर गाज गिरी। उनका सभी कामकाज हटा लिया गया। उन्हें कार्मिक में अटैच कर दिया गया था। दरअसल, इन्हीं के कार्यकाल में इस एलिवेटेड रोड का निर्माण हुआ। वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं और एक्सटेंशन के तौर पर काम कर रहे थे। खास बात यह है कि भुगतान के मामले में फाइल इंजीनियरिंग के अलावा वित्त विभाग के कई बड़े अफसरों के सामने से होकर गुजरी थी। उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
एलिवेटेड रोड के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर शुरू से सवाल उठने लगे थे। इसके बनने के कुछ महीने बाद ही यहां दिक्कतें आने लगी थीं। वर्ष 2021 में सड़क में गड्ढे हो गए। पुल में दरार आने पर सेक्टर-31 और सेक्टर-25 के लूप को ट्रैफिक के लिए बंद करना पड़ा। इसके बाद इस 20 अप्रैल 2022 को सीईओ ने इसकी विधिवत जांच करने के आदेश जारी किए। शुरुआत में प्राधिकरण ने इसकी जांच करने के लिए प्राधिकरण स्तर पर एक समिति गठित कर दी। समिति ने 15-20 दिन तक मौके पर जाकर कोई काम नहीं किया। दबाव पड़ने पर टीम मौके पर गई। इस पर लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए सवाल उठाया कि प्राधिकरण के अधिकारी इसकी जांच कैसे ठीक ढंग से कर पाएंगे?
आईआईटी रुड़की और दिल्ली को जांच गई
इसके बाद जून 2022 में आईआईटी दिल्ली से जांच कराने का निर्णय लिया गया। आईआईटी ने आने से पहले फीस के तौर पर दो लाख रुपये मांगे। जिसका प्राधिकरण ने भुगतान कर दिया। इसके बाद आईआईटी की टीम जांच के लिए आई। आईआईटी यहां दो बार आकर जांच कर चुकी है। कुछ बिंदुओं पर सीबीआरआई रुड़की से जांच करवाने का सुझाव आईआईटी दिल्ली ने दिया है। आईआईटी रुडकी को प्राधिकरण ने फीस का भुगतान कर दिया है लेकिन टीम अभी तक नहीं आई है। इस सप्ताह टीम के आने की उम्मीद जताई जा रही है।