Noida News: नोएडा में छह कंपनियों पर अथॉरिटी का कड़ा कदम, मुकदमा दर्ज, दो पर लाखों का जुर्माना, नॉएडा से लेकर लखनऊ तक मचा हड़कंप
इन कंपनियों में यूनिएक्सल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मॉनट्री एटायर प्राइवेट लिमिटेड, जेम वीजन टेक प्राइवेट लिमिटेड, किंग पेस इंफोरमेशन प्राइवेट लिमिटेड, वेक्सटेक कंडोमिनम प्राइवेट लिमिटेड और मदरसन सुमी इंफोटेक डिजाइन लिमिटेड शामिल हैं।
नॉएडा, रफ़्तार टुडे। नोएडा से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है, जहां भूजल दोहन के मामले में अथॉरिटी ने सख्त कार्रवाई की है। नोएडा अथॉरिटी ने छह आवंटियों के खिलाफ थाना नॉलेज पार्क में मुकदमा दर्ज कराया है और दो अन्य परियोजनाओं पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस कार्रवाई ने लखनऊ तक हलचल मचा दी है।
शिकायत और जांच
प्राधिकरण को शिकायत मिली थी कि सेक्टर-153, 154 और 156 में आवंटित भूखंडों के मालिक पंप लगाकर अवैध तरीके से डी-वाटरिंग कर रहे हैं। शिकायत की पुष्टि के लिए प्राधिकरण की टीम ने मौके पर निरीक्षण किया और शिकायत सही पाए जाने पर तीनों सेक्टरों में आवंटित कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। इन कंपनियों में यूनिएक्सल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मॉनट्री एटायर प्राइवेट लिमिटेड, जेम वीजन टेक प्राइवेट लिमिटेड, किंग पेस इंफोरमेशन प्राइवेट लिमिटेड, वेक्सटेक कंडोमिनम प्राइवेट लिमिटेड और मदरसन सुमी इंफोटेक डिजाइन लिमिटेड शामिल हैं।
नियमों का उल्लंघन
आवंटित भूखंडों के मालिकों के लिए एक नियम है जिसके तहत निर्माण और कंपनी के कामों के लिए एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से शोधित पानी का उपयोग किया जाना चाहिए। यह पानी 5 रुपये प्रति हजार लीटर के हिसाब से उपलब्ध होता है। आवंटियों ने एसटीपी के पानी का उपयोग न करके बोर का पानी इस्तेमाल किया, जिससे प्राधिकरण ने सख्त कदम उठाए।
दो कंपनियों पर भारी जुर्माना
प्राधिकरण ने दो परियोजनाओं पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना सेक्टर-153 स्थित ऐस ग्रुप प्लॉट नंबर-107 और सेक्टर-154 स्थित प्लॉट नंबर 2/7 यूपीएक्सल एसडी प्री कास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर लगाया गया है। प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने स्पष्ट किया कि भूजल दोहन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
जलस्तर गिरने की समस्या
नोएडा और अन्य क्षेत्रों में जलस्तर तेजी से गिर रहा है। जलस्तर गिरने का मुख्य कारण रिचार्ज की तुलना में अधिक दोहन है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है। सीईओ लोकेश एम ने बताया कि एसटीपी से शोधित पानी का उपयोग कंस्ट्रक्शन और कंपनी के कामों के लिए किया जाना चाहिए, जिसे 5 रुपये प्रति हजार लीटर के हिसाब से उपलब्ध कराया जाता है। आवंटियों द्वारा बोर का पानी उपयोग करने पर यह कार्रवाई की गई है।
निगरानी बढ़ाने की जरूरत
प्राधिकरण ने निर्देशित किया है कि समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाए जाएं ताकि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
इस प्रकार, नोएडा अथॉरिटी की यह सख्त कार्रवाई भूजल दोहन को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे अन्य आवंटियों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। इस मामले ने न केवल नोएडा में बल्कि लखनऊ तक हड़कंप मचा दिया है, और आगे भी ऐसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है।