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ED On Noida Authority News : नोएडा की ‘सोने सी जमीन’ बनी घोटाले का गहना!, 36 हजार वर्ग मीटर में दबा 'घोटालों का जाल'!, हैसिंडा प्रोजेक्ट के लैंड स्कैम में E.D. की नजर अब पूर्व CEO संजीव सरन पर, अरबों के खेल की परतें खुलने लगीं

नोएडा। रफ्तार टुडे ब्यूरो।
नोएडा की वो धरती, जिस पर सपनों का शहर बसाने के वादे किए गए थे, अब अरबों के घोटालों की कहानी बयां कर रही है। जमीन के टुकड़े पर टाउनशिप का सपना दिखा कर निवेशकों को लूटा गया, और अब यही घोटाला नोएडा के इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ रहा है। हैसिंडा प्रोजेक्ट भूमि घोटाले में जहां पहले ही पूर्व अफसर रमारमण पर शिकंजा कस चुका है, अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ और आईएएस अधिकारी संजीव सरन को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है।


हैसिंडा प्रोजेक्ट: सपनों की आड़ में साजिश की बुनियाद

यह मामला केवल एक टाउनशिप घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शामिल हैं सरकारी पदों पर बैठे वो लोग, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर बिल्डर्स को करोड़ों का फायदा पहुंचाया। बीएसपी शासनकाल में, नोएडा अथॉरिटी द्वारा हैसिंडा प्रोजेक्ट प्रा. लि. को 36,000 वर्ग मीटर जमीन टाउनशिप विकसित करने के लिए दी गई थी। यह जमीन नोएडा के सबसे प्राइम लोकेशनों में थी, जिसका बाजार मूल्य तब भी सैकड़ों करोड़ में आंका गया था।


बिना अनुमति के हुई बिक्री, निवेशकों को ठगा गया

हैसिंडा ग्रुप ने इस जमीन पर टाउनशिप का सपना दिखाकर आम जनता से निवेश जुटाया। लेकिन बाद में इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा प्रतीक ग्रुप को बेच दिया गया, बिना नोएडा अथॉरिटी की अनुमति लिए और बिना तय भुगतान किए।

इससे न केवल निवेशकों को भारी नुकसान हुआ, बल्कि सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। अथॉरिटी को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ जनता के साथ धोखा किया गया।

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ईडी की छापेमारी: हीरे, नकद और दस्तावेजों का खुलासा

2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने हैसिंडा ग्रुप के कई ठिकानों पर छापा मारा।
इस दौरान चौंकाने वाले सबूत सामने आए।
पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास से

  • 1 करोड़ रुपये नकद
  • 12 करोड़ के हीरे
  • 7 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण
  • और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए।

इन दस्तावेजों से पता चला कि कैसे कुछ अफसरों ने बिल्डरों से मिलीभगत कर अथॉरिटी की जमीनों का बंदरबांट किया।


पूर्व चेयरमैन रमारमण से आठ घंटे लंबी पूछताछ

ईडी ने इस घोटाले में पूर्व चेयरमैन रमारमण को भी कटघरे में खड़ा किया।
उनसे करीब आठ घंटे तक पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने कई बार जवाब देने से बचने की कोशिश की।
उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए विशेष अदालत में अर्जी लगाई, जिस पर ईडी ने सख्त विरोध जताया।
जांच एजेंसी को शक है कि रमारमण की भूमिका सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे इस घोटाले के अहम सूत्रधारों में शामिल रहे हैं।


अब जांच के घेरे में संजीव सरन: पुराने घोटालों से भी जुड़ रहा नाम

अब संजीव सरन, जो 2005-07 और 2012-13 के बीच दो बार नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रह चुके हैं, उनके खिलाफ भी ईडी ने जांच की प्रक्रिया तेज कर दी है।
उन पर शक है कि उनके कार्यकाल के दौरान ही यह घोटाला पनपा, और उन्होंने जानबूझकर कई महत्वपूर्ण फाइलों को नजरअंदाज किया।

यही नहीं, 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें होटल प्लॉट घोटाले (4721 करोड़ रुपये) में भूमिका के चलते नोएडा अथॉरिटी से हटाने का आदेश दिया था।
अब वही पुराने घोटाले फिर से जांच एजेंसियों की फाइलों में दस्तक देने लगे हैं।

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रफ़्तार टुडे के द्वारा सोशल मीडिया से लिया गया फोटो

हैसिंडा प्रोजेक्ट में मनी लॉन्ड्रिंग के पक्के संकेत

ईडी ने इस पूरे घोटाले को मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में लिया है।
इसमें पैसे को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में घुमाकर, उसे वैध दिखाने की कोशिश की गई।
इस मामले में अब तक जो दस्तावेज सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि

  • निवेशकों से जुटाई गई रकम का एक बड़ा हिस्सा निजी खातों में ट्रांसफर किया गया,
  • सरकारी अनुमति के बिना भूमि हस्तांतरित हुई,
  • और अथॉरिटी के कई अफसरों ने नियमों के विरुद्ध जाकर फाइलें पास कीं।

क्या है अगला कदम? क्या और नाम आएंगे सामने?

ईडी अब संजीव सरन से पूछताछ की तैयारी कर रही है।
सूत्रों की मानें तो उन्हें अगले सप्ताह दोबारा तलब किया जा सकता है।
इसके साथ ही कई और अफसरों, बिल्डरों और दलालों के नाम जांच एजेंसी की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं।

अगर जांच आगे बढ़ी तो यह नोएडा का अब तक का सबसे बड़ा लैंड स्कैम साबित हो सकता है।


जनता के साथ विश्वासघात या सिस्टम की नाकामी?

हर बार जब कोई नया घोटाला सामने आता है, तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निवासियों का भरोसा डगमगाता है।
आम आदमी जो अपने खून-पसीने की कमाई से फ्लैट खरीदता है, उसे यह डर सताने लगता है कि कहीं उसकी जिंदगी भर की पूंजी किसी अफसर-बिल्डर गठजोड़ की भेंट न चढ़ जाए।

इस मामले ने सिस्टम की जवाबदेही, पारदर्शिता और ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।


क्या कहती है रफ्तार टुडे की टीम?

रफ्तार टुडे मानता है कि ऐसे मामलों में अगर दोषी अफसरों और बिल्डरों पर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो सिस्टम पर जनता का भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा।
ईडी की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त कदम है, लेकिन इसके साथ ही जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया तेज हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले।


Raftar Today आपसे कहता है – सतर्क रहें, सजग रहें

अगर आप नोएडा या ग्रेटर नोएडा में घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो भूमि की वैधता, प्रोजेक्ट की स्थिति और अथॉरिटी की अनुमति जैसे दस्तावेज अवश्य जांच लें।


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