नई दिल्लीएक घंटा पहले
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प्रशासन के फैसले के खिलाफ शनिवार रात जेएनयू छात्र संघ न सिर्फ फिल्म की स्क्रीनिंग ही नहीं की, बल्कि सैकड़ों छात्रों ने इस फिल्म को भी देखा। इससे पहले जेएनयू कैंपस में जेएनयू छात्र संघ द्वारा राम के नाम फिल्म स्क्रीनिंग की घोषणा की थी। प्रशासन को इसका पता लगते ही तत्काल प्रभाव से स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई थी। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और विवाद का चोली दामन का रिश्ता है।
यहां पर अक्सर कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं, जो एक विवादित शक्ल ले लेती है। चार दिसंबर को जेएनयू छात्र संघ द्वारा राम के नाम फिल्म के स्क्रीनिंग करने की घोषणा की गई। यह फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा जरूर पारित है, लेकिन इस फिल्म को लेकर एक विवाद जुड़ा हुआ है। उसी विवाद के डर से जेएनयू प्रशासन को इस स्क्रीनिंग की जैसे ही सूचना मिली। उन्होंने छात्र संघ के लिए नोटिस जारी कर दिया।
इस फिल्म की स्क्रीनिंग को रोक दिया जाए, वरना कैंपस में धार्मिक सौहार्द बिगड़ सकता है। लेकिन छात्र संघ ने प्रशासन के इस नोटिस को ताक पर रखते हुए रात 9.30 बजे न सिर्फ इस फिल्म की स्क्रीनिंग की, बल्कि इसको देखने के लिए सैकड़ों छात्र यहां एकत्रित हुए। स्क्रीनिंग के दौरान कोई माहौल ना बिगड़े इसको लेकर स्थानीय सिक्योरिटी यहां काफी संख्या में मौजूद थी।
इस फिल्म की समाप्ति तक किसी तरह का कोई माहौल नहीं बिगड़ा। इस फिल्म की बात करें तो बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर यह एक डॉक्यूमेंट्री मूवी है। इस फिल्म में कई बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को दिखाया गया है कि उस विवाद के समय इन नेताओं का क्या रोल था। लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथ यात्रा भी इस फिल्म में शामिल है।
जेएनयू प्रेसिडेंट आइशी घोष का कहना है कि बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने जानबूझकर लोगों को गुमराह करने का काम किया था। जिससे कई लोगों की जान गई थी। आइशी घोष के मुताबिक बीजेपी देश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करती है। बता दें यह फिल्म इस कैंपस में पहली बार नहीं दिखायी गई है।