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Breaking News : हिन्दी लेखन को मिले औपचारिक पहचान!, “अब कविता और कंटेंट लेखन भी बनेंगे करियर का आधार, लखनऊ में हुई ऐतिहासिक पहल, ललित फाउंडेशन ने कौशल विकास मंत्री को सौंपा विशेष ज्ञापन”


लखनऊ, रफ़्तार टुडे।
भारत में अब कविता, कंटेंट राइटिंग और स्क्रिप्ट लेखन को सिर्फ साहित्यिक अभ्यास न मानकर, उसे औपचारिक “कौशल” के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में एक नई ऐतिहासिक शुरुआत हुई है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 24 जून 2025 को ललित फाउंडेशन के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवि अमित शर्मा और संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष, साहित्यकार कुशल कुशलेन्द्र ने उत्तर प्रदेश सरकार के कौशल विकास मंत्री श्री कपिल देव अग्रवाल को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा।

इस ज्ञापन में विशेष तौर पर मांग की गई कि हिन्दी कविता लेखन, गद्य लेखन, कंटेंट राइटिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग जैसे रचनात्मक क्षेत्रों को कौशल विकास योजनाओं में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाए। उद्देश्य है — लेखन को भी रोजगार और स्वरोजगार का सशक्त औजार बनाना।


जब लेखनी को मिला नीति निर्माण का आधार

ज्ञापन में इस बात पर बल दिया गया कि आधुनिक डिजिटल युग में कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट निर्माण और रचनात्मक लेखन केवल साहित्य तक सीमित नहीं रह गए हैं। ये आज यूथ एम्पावरमेंट, डिजिटल मार्केटिंग, ब्रांडिंग, मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में मुख्यधारा के रोजगार साधन बन चुके हैं। ऐसे में यदि इन क्षेत्रों को स्किल डेवलपमेंट के तहत लाया जाए, तो हजारों युवाओं को नई दिशा मिल सकती है।

कुशल कुशलेन्द्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा –

“आज के दौर में स्क्रिप्ट और कंटेंट राइटिंग विज्ञापन, वेब सीरीज, यूट्यूब, रेडियो, डिजिटल न्यूज, सोशल मीडिया और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन की रीढ़ बन चुकी है। ऐसे में इन क्षेत्रों को भी सर्टिफाइड ट्रेनिंग और फंडिंग की आवश्यकता है।”


लेखन और कविता: अब करियर का नया रास्ता

अंतरराष्ट्रीय कवि अमित शर्मा ने कहा –

“हिन्दी कविता केवल भावों का प्रवाह नहीं, आज की पीढ़ी के लिए अभिव्यक्ति, नेतृत्व और परिवर्तन का माध्यम है। यह समाज का आईना भी है और भविष्य की राह भी।”

उन्होंने आगे जोड़ा कि लेखन एक कौशल है, जो न केवल साहित्यिक मंचों पर बल्कि रोजगार के अवसरों में भी भविष्य तय कर सकता है। अगर सरकार इसे औपचारिक ट्रेनिंग का हिस्सा बनाती है, तो इससे युवाओं का आत्मविश्वास और संभावनाएं दोनों बढ़ेंगी।


ज्ञापन की मुख्य मांगें:

  1. कविता, कंटेंट और स्क्रिप्ट लेखन को राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट मिशन में शामिल किया जाए।
  2. लेखन आधारित कोर्स और ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किए जाएं।
  3. लेखकों को वित्तीय सहायता, प्रमाणन और जॉब लिंकिंग दी जाए।
  4. रचनात्मक लेखन से जुड़े युवाओं को इन्क्यूबेशन और स्टार्टअप सपोर्ट मिले।
  5. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी लेखन प्रतियोगिताएं और वर्कशॉप्स आयोजित हों।

मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने दिया सकारात्मक आश्वासन

उत्तर प्रदेश के कौशल विकास मंत्री श्री कपिल देव अग्रवाल ने इस ज्ञापन को स्वीकार करते हुए भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार करेगी।

उन्होंने कहा:

“हम नई पीढ़ी की जरूरतों के मुताबिक कौशल विकास योजनाओं को अपडेट कर रहे हैं। लेखन और साहित्य जैसे रचनात्मक क्षेत्र यदि युवाओं को रोजगार से जोड़ सकते हैं, तो उन्हें योजनाओं में स्थान मिलना चाहिए।”


साहित्यिक समुदाय ने कहा — “लेखन को मिले नई पहचान”

इस कदम का देशभर के साहित्यिक जगत, डिजिटल कंटेंट राइटर्स, युवा कवियों और मीडिया छात्रों ने स्वागत किया है। लखनऊ से लेकर दिल्ली, भोपाल, जयपुर, पुणे और पटना तक इस खबर ने साहित्यकारों में उत्साह भर दिया है।

ललित फाउंडेशन की यह पहल अब एक राष्ट्रीय अभियान का रूप लेती दिख रही है — जिसमें लेखकों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना, उन्हें रोजगार दिलवाना और सामाजिक-सांस्कृतिक सशक्तिकरण करना प्रमुख उद्देश्य है।


क्या बदल जाएगा अगर ये मांगें स्वीकार हो जाती हैं?

  • लेखन को औपचारिक शिक्षा और रोजगार का दर्जा मिलेगा
  • हिन्दी को डिजिटल स्पेस में नई ताकत मिलेगी
  • कंटेंट इंडस्ट्री में कुशल लेखकों की खेप तैयार होगी
  • स्वरोजगार और स्टार्टअप कल्चर को मिलेगा लेखकीय आधार
  • राष्ट्रीय संस्कृति और साहित्य को संस्थागत समर्थन मिलेगा

लेखन अब जुनून ही नहीं, पेशा भी बनेगा

यह प्रस्ताव भारत में हिन्दी रचनात्मकता और रोजगार को जोड़ने की दिशा में एक नया पथ खोलता है। यह सिर्फ एक ज्ञापन नहीं, बल्कि भारत के कलमकारों के लिए एक आंदोलन की शुरुआत है — जिसमें साहित्य, समाज और स्किल इंडिया का संगम है।


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