Ganga Expressway Link Eastern Peripheral Expressway : अब पश्चिमी यूपी और हरियाणा की तस्वीर बदलेगी!, गंगा एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के ग्रैंड कनेक्शन से खुलेगा विकास का सुपरहाईवे

नई दिल्ली | Raftar Today: उत्तर भारत में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र की ओर से एक ऐसी योजना पर काम चल रहा है, जो न केवल सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाएगी, बल्कि वेस्टर्न यूपी और हरियाणा के कई जिलों की तक़दीर भी बदल सकती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं गंगा एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को जोड़ने की उस महत्त्वाकांक्षी योजना की, जिससे करोड़ों लोगों को फायदा मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दोनों हाईवे को यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से आपस में जोड़ा जाएगा। यह कनेक्टिविटी आने वाले वर्षों में दिल्ली-एनसीआर समेत यूपी और हरियाणा के कई हिस्सों को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकती है।
क्या है प्रस्तावित योजना? जानिए पूरा ब्लूप्रिंट
यह ध्यान देने योग्य है कि गंगा एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को सीधे तौर पर जोड़ा नहीं जाएगा। इसके बजाय, Yamuna Expressway इस योजना में एक सेतु की भूमिका निभाएगा।
- गंगा एक्सप्रेसवे को यमुना एक्सप्रेसवे से फिल्म सिटी सेक्टर-21 (यमुना सिटी) के पास जोड़ा जाएगा।
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को जगनपुर-अफजलपुर (गौतम बुद्ध नगर) के नजदीक यमुना एक्सप्रेसवे के एक इंटरचेंज से जोड़ा जाएगा।
इस योजना का मकसद है तीनों हाईवे को आपस में लिंक करके एक सुपर-एक्सप्रेसवे कॉरिडोर तैयार करना, जिससे न केवल ट्रैफिक का दबाव कम होगा, बल्कि लॉजिस्टिक और कनेक्टिविटी सेक्टर में नया मुकाम हासिल होगा।
क्या है इन तीनों एक्सप्रेसवे की खासियत?
गंगा एक्सप्रेसवे
- लंबाई: लगभग 600 किमी
- रूट: मेरठ से प्रयागराज तक
- कनेक्टेड जिले: मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रयागराज
- वर्तमान स्थिति: लगभग 80% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
- महत्व: यूपी के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ने वाला सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होगा।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE)
- लंबाई: लगभग 135 किमी
- रूट: कुंडली से पलवल तक (हरियाणा से होकर गुजरता है)
- यह दिल्ली के चारों ओर बना एक रिंग रोड है जो ट्रैफिक डाइवर्जन में मदद करता है।
- कनेक्टेड जिले: गाजियाबाद, नोएडा, सोनीपत, झज्जर, पानीपत, पलवल आदि।
यमुना एक्सप्रेसवे
- लंबाई: 165.5 किमी
- रूट: ग्रेटर नोएडा से आगरा तक
- यह हाईवे देश का पहला एक्सप्रेसवे है जो इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन और अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है।
किन जिलों को मिलेगा सबसे ज़्यादा फायदा?
गंगा और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के जुड़ने से दिल्ली-एनसीआर के बाहर बसे वेस्टर्न यूपी और हरियाणा के कई जिलों को जबरदस्त फायदा मिलने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश के लाभान्वित जिले:
- गौतमबुद्ध नगर
- गाजियाबाद
- मेरठ
- हापुड़
- मथुरा
- अलीगढ़
- आगरा
हरियाणा के लाभान्वित जिले:
- सोनीपत
- पानीपत
- रोहतक
- झज्जर
- जींद
इन जिलों में रियल एस्टेट में उछाल आने की उम्मीद है। बड़ी-बड़ी कंपनियां इन इलाकों में निवेश कर सकती हैं। इसके अलावा छोटे और मझोले उद्योगों को भी नए अवसर मिल सकते हैं।
कनेक्टिविटी के इस जाल से खुलेगा निवेश का दरवाज़ा
दिल्ली-एनसीआर से सटे इन इलाकों में पहले से ही बुनियादी ढांचे की अच्छी शुरुआत हो चुकी है। लेकिन अब जब यह तीनों मेगाहाईवे आपस में जुड़ेंगे, तो निवेशकों के लिए यह क्षेत्र और भी आकर्षक हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस ग्रैंड कनेक्शन से लॉजिस्टिक्स सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। कंपनियों को अब दिल्ली या मथुरा में गोदाम खोलने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि बेहतर सड़क नेटवर्क छोटे शहरों तक पहुंच को आसान बना देगा।
क्या बदल जाएगा आने वाले सालों में?
इस महत्त्वाकांक्षी योजना से न सिर्फ जमीनी कनेक्टिविटी मजबूत होगी, बल्कि यह योजना रोजगार और शहरी विकास की दृष्टि से भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।
- फास्ट ट्रैवल टाइम: शहरों के बीच सफर का समय काफी कम हो जाएगा।
- रोजगार के अवसर: निर्माण, रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक सेक्टर में नई नौकरियाँ आएंगी।
- प्रॉपर्टी वैल्यू में उछाल: एक्सप्रेसवे के आसपास की ज़मीनों की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं।
- इंटरस्टेट ट्रेड को बढ़ावा: यूपी और हरियाणा के बीच माल ढुलाई अधिक सहज हो जाएगी।
सरकार की दृष्टि और भविष्य की योजना
यह योजना उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर विज़न का हिस्सा है। दोनों राज्य सरकारें मिलकर इस योजना को अंतिम रूप देने में लगी हैं। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इस कार्य में भागीदारी निभा रहे हैं।
यह केवल एक सड़क परियोजना नहीं, बल्कि एक आर्थिक क्रांति है — जिससे लाखों लोगों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।
निष्कर्ष: विकास का रास्ता तैयार
गंगा एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के इस ग्रैंड कनेक्शन से पूरे क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार होगा। अगर सब कुछ योजना अनुसार चला, तो आने वाले 2–3 वर्षों में उत्तर भारत का यह इलाका देश के सबसे मजबूत लॉजिस्टिक हब्स में शामिल हो सकता है।
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