समाजशास्त्री भी मानते हैं कि अपने यहां साक्षरता और लिंगानुपात के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। हमारे समाज की सोच लड़कियों की तुलना में लड़कों के प्रति नरम है। इस मामले में साक्षरता क्रांतिकारी बदलाव नहीं ला सकी है। उलटा जो लोग पढ़े-लिखे हैं, वह परिवार नियोजन समेत दूसरे सही-गलत तरीकों का इस्तेमाल कर बच्चियों को कोख से बाहर नहीं आने देते।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवे दौर की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के 11 जिलों में से हर एक हजार पुरूष पर महिलाओं की संख्या (लिंगानुपात) सबसे कम नई दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में है। जबकि सबसे ज्यादा बच्चियां पश्चिमी, दक्षिणी पूर्वी, दक्षिणी जिले की है। उधर, 2011 की जनगणना रिपोर्ट बताती है कि सबसे कम लिंगानुपात वाले जिले सबसे साक्षर हैं। जबकि सबसे ज्यादा उन जिलों में, जहां साक्षरता दर कम है।
जेएनयू के प्रोफेसर रहे समाजशास्त्री इम्तियाज अहमद बताते हैं कि संभव है कि साक्षरता और लिंगानुपात के बीच कोई संबंध न हो। जैसा कि दिल्ली से जुड़े आंकड़ों में दिख रहा है। जरूरी नहीं कि शिक्षा लोगों की सोच बदलाव ला दे। फिर अगर मान भी लें कि यह संभव है तो इसकी व्याख्या यह हो सकती है कि लड़कियों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है।
उधर, प्रोफेसर आंनद कुमार का कहना है कि पूर्वी दिल्ली के लिए एक बार माना जा सकता है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या ज्यादा होने से लिंगानुपता कम हो, लेकिन नई दिल्ली से जुड़ा आंकड़ा हैरान करने वाला है। क्योंकि यहां ज्यादा लोग सेवा क्षेत्र से हैं और उनकी आमदनी इतनी है कि वह अपने परिवार के साथ रहते हैं। बावजूद इसके सबसे कम लिंगानुपात ह। इस पर विस्तृत समझ बनाने की जरूरत है।
दिल्ली के 11 जिले और वहां की स्थिति
जिला लिंगानुपात साक्षरता दर
नई दिल्ली 859 89.31
पूर्वी दिल्ली 885 88.34
दक्षिण पश्चिम दिल्ली 881 88.28
सेंट्रल दिल्ली 901 85.14
नार्थ वेस्ट दिल्ली 904 84.54
उत्तरी दिल्ली 905 86.85
नार्थ ईस्ट 906 83.09
दक्षिण 922 86.98
शाहदरा 935 —
दक्षिण पूर्वी 949 —
पश्चिम दिल्ली 953 86.98