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Nursery Admission Ace Started In Delhi  – नर्सरी दाखिला  : गूगल मैप, बस रूट व क्षेत्र के नाम से तय हो रही दूरी

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 18 Dec 2021 06:39 AM IST

सार

स्कूलों का पड़ोस (नेबरहुड) मापने का तरीका अलग-अलग। कहीं दुविधा तो कहीं सुविधा। 

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निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी व पहली कक्षा में दाखिले के लिए जारी रेस में अभिभावक सबसे अहम नेबरहुड (पड़ोस) मानक के फेर में फंसे हैं। दरअसल पड़ोस को मापने का तरीका स्कूलों का अलग-अलग है। इस कारण इनके लिए तय किए अंक भी अलग-अलग हैं। कुछ स्कूल घर से स्कूल की दूरी के लिए एरिया को देख रहे हैं, तो कुछ स्कूलों ने बस रूट को तो कुछ ने गूगल मैप को अंक देने का आधार बनाया है।

सौ अंक वाले दाखिला फॉर्मूले में स्कूलों ने पड़ोस मानक के लिए 10 से 80 अंक निर्धारित किए हैं। स्कूलों ने अंक देने के लिए स्कूल के आसपास के एरिया के नाम शामिल किए हैं। इस कारण जो एरिया स्कूल के सबसे पास उसके ज्यादा अंक और स्कूल से दूर होने पर उस एरिया के लिए कम अंक हैं। वहीं कुछ ऐसे एरिया हैं जो स्कूल से दूर तो नहीं हैं लेकिन स्कूल बस के उस एरिया में जाने के कारण अंक नहीं मिल पा रहे हैं।

हंसराज मॉडल स्कूल ने नेबरहुड (पड़ोस) मानक के तहत पंजाबी बाग एरिया में रहने वालों के लिए 60 अंक, पंजाबी बाग से अलग सात किलोमीटर की दूरी में रहने वालों के लिए 50 और पंजाबी बाग से दूर सात किलोमीटर से अधिक दूर रहने वालों के लिए 40 अंक हैं। वंसत कुंज स्थित जीडी गोयनका स्कूल ने नेबरहुड के लिए गूगल मैप से सड़क दूरी को आधार बनाया है।

अभिभावक सृष्टि गोयल ने कहा पीतमपुरा के आसपास के इलाकों में बच्चे का नर्सरी में दाखिला कराना चाहती हैं लेकिन जहां उनका घर है उससे सड़क से दूरी व गूगल मैप से दूरी अलग हो जाती है। मॉर्डन इंटरनेशनल स्कूल ने एरियल दूरी के साथ परिवहन को आधार बनाया है।

एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम प्रमुख सुमित वोहरा कहते हैं कि स्कूल जानबूझ कर पड़ोस के लिए कॉलोनी के नाम देते हैं जिससे स्कूल में केवल क्रीमी लेयर ही आ सके। स्कूलों का दूरी के लिए परिवहन और एरिया के नाम को आधार बनाना गलत है।

विस्तार

निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी व पहली कक्षा में दाखिले के लिए जारी रेस में अभिभावक सबसे अहम नेबरहुड (पड़ोस) मानक के फेर में फंसे हैं। दरअसल पड़ोस को मापने का तरीका स्कूलों का अलग-अलग है। इस कारण इनके लिए तय किए अंक भी अलग-अलग हैं। कुछ स्कूल घर से स्कूल की दूरी के लिए एरिया को देख रहे हैं, तो कुछ स्कूलों ने बस रूट को तो कुछ ने गूगल मैप को अंक देने का आधार बनाया है।

सौ अंक वाले दाखिला फॉर्मूले में स्कूलों ने पड़ोस मानक के लिए 10 से 80 अंक निर्धारित किए हैं। स्कूलों ने अंक देने के लिए स्कूल के आसपास के एरिया के नाम शामिल किए हैं। इस कारण जो एरिया स्कूल के सबसे पास उसके ज्यादा अंक और स्कूल से दूर होने पर उस एरिया के लिए कम अंक हैं। वहीं कुछ ऐसे एरिया हैं जो स्कूल से दूर तो नहीं हैं लेकिन स्कूल बस के उस एरिया में जाने के कारण अंक नहीं मिल पा रहे हैं।

हंसराज मॉडल स्कूल ने नेबरहुड (पड़ोस) मानक के तहत पंजाबी बाग एरिया में रहने वालों के लिए 60 अंक, पंजाबी बाग से अलग सात किलोमीटर की दूरी में रहने वालों के लिए 50 और पंजाबी बाग से दूर सात किलोमीटर से अधिक दूर रहने वालों के लिए 40 अंक हैं। वंसत कुंज स्थित जीडी गोयनका स्कूल ने नेबरहुड के लिए गूगल मैप से सड़क दूरी को आधार बनाया है।

अभिभावक सृष्टि गोयल ने कहा पीतमपुरा के आसपास के इलाकों में बच्चे का नर्सरी में दाखिला कराना चाहती हैं लेकिन जहां उनका घर है उससे सड़क से दूरी व गूगल मैप से दूरी अलग हो जाती है। मॉर्डन इंटरनेशनल स्कूल ने एरियल दूरी के साथ परिवहन को आधार बनाया है।

एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम प्रमुख सुमित वोहरा कहते हैं कि स्कूल जानबूझ कर पड़ोस के लिए कॉलोनी के नाम देते हैं जिससे स्कूल में केवल क्रीमी लेयर ही आ सके। स्कूलों का दूरी के लिए परिवहन और एरिया के नाम को आधार बनाना गलत है।

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