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Kailash College News : '500 रुपये में एक दिन की हाजिरी!', नॉलेज पार्क के कॉलेजों में छात्रों की जेब और भावनाओं से हो रहा खिलवाड़, कैलाश इंस्टीट्यूट में छात्राओं ने उठाई आवाज, मानसिक उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग के आरोप, परीक्षा से वंचित करने की धमकी


ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
शैक्षिक नगरी ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क इलाके में एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के प्रतिष्ठित माने जाने वाले कैलाश इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंसेज़ की छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर भारी अवैध वसूली और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें एक दिन की अटेंडेंस लगाने के बदले 500 रुपये की मांग की जा रही है। और जो छात्राएं यह राशि नहीं दे रहीं, उन्हें “साल खराब करने”, परीक्षा से वंचित करने और अगले साल दोबारा जूनियर बैच के साथ बैठाने की धमकी दी जा रही है।


लेटर पर हस्ताक्षर, न्याय की गुहार: 9 छात्राओं ने लिखित में दर्ज की आपबीती

इस पूरे मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कॉलेज की नौ छात्राओं ने संयुक्त रूप से कॉलेज प्रशासन के खिलाफ एक शिकायती पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने उत्पीड़न, डराने-धमकाने और ब्लैकमेलिंग जैसी गतिविधियों की जानकारी दी है। छात्राओं ने प्रशासन से “न्याय और निष्पक्षता” की गुहार लगाई है।


एचओडी के ज़रिए डायरेक्टर पर लगाए गए आरोप

छात्राओं का आरोप है कि यह पूरा वसूली का खेल कॉलेज डायरेक्टर के इशारे पर एचओडी और प्रशासनिक स्टाफ के जरिए चलाया जा रहा है। जो छात्राएं पैसे जमा कर रही हैं, उनकी अटेंडेंस को ‘फुल’ दिखा दिया जा रहा है, जबकि बाकी को “डिफॉल्टर” घोषित कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।


परीक्षा फॉर्म नहीं भरने दिया गया, बढ़ी चिंता

छात्राओं का कहना है कि उन्होंने कई बार परीक्षा फॉर्म भरने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने उन्हें “अटेंडेंस अधूरी” बताते हुए फार्म भरने से रोक दिया। अब जब परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तिथि पास आ गई है, छात्राओं की चिंताएं और अधिक बढ़ गई हैं।

एक छात्रा ने बताया:

“हमसे कहा जा रहा है कि पैसा दो तभी परीक्षा फॉर्म भरेगा, नहीं तो तुम अगले साल जूनियर्स के साथ पढ़ो। ये सीधे तौर पर मानसिक उत्पीड़न है।”


छात्र संगठनों की एंट्री, सपा छात्र सभा ने किया हंगामा

मामले ने तब और तूल पकड़ा जब इसकी जानकारी मिलने के बाद सपा छात्र सभा के प्रतिनिधियों ने कॉलेज कैंपस में पहुंचकर प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रशासन पर छात्राओं के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की।

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कैलाश इंस्टीट्यूट में छात्राओं ने उठाई आवाज, मानसिक उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग के आरोप

सपा छात्र सभा के जिला संयोजक ने कहा:

“अगर छात्राओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और पैसे लेकर अटेंडेंस दी जा रही है, तो यह सीधा भ्रष्टाचार है। अगर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन होगा।”


छात्राओं की चेतावनी: “कुछ गलत हुआ तो कॉलेज होगा ज़िम्मेदार”

शिकायती पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि किसी छात्रा की शैक्षणिक या मानसिक स्थिति पर कोई प्रतिकूल असर पड़ा, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी कॉलेज प्रशासन की होगी। छात्राओं ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।


क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी?

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बीएसए (जिला विद्यालय निरीक्षक) राहुल पंवार से जब छात्र प्रतिनिधियों ने शिकायत की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
व्हाट्सएप और मैसेज के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

शिक्षा विभाग की यह चुप्पी छात्रों के लिए असहायता का प्रतीक बनती जा रही है।


यह पहला मामला नहीं है: निजी कॉलेजों की ‘हाजिरी की हवाला वसूली’ आम बात

ग्रेटर नोएडा के कई निजी कॉलेजों में अटेंडेंस के नाम पर वसूली, फॉर्म रोकने और डराने-धमकाने की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं।
लेकिन छात्राओं का इस तरह संयुक्त रूप से सामने आना और लिखित शिकायत देना निश्चित रूप से एक बड़ा कदम है।

यह सवाल उठाता है कि—

“क्या निजी कॉलेजों में अटेंडेंस अब पैसों से खरीदी जा सकती है? और क्या शिक्षा को सेवा से व्यापार में बदल दिया गया है?”


जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर मचा बवाल

इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं:

  • “500 रुपए में एक दिन की हाजिरी? ये कौन-सा शिक्षा मंदिर है?”
  • “BSA की चुप्पी इस घोटाले में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाती है।”
  • “छात्राएं बहादुरी से सामने आई हैं, प्रशासन को तुरंत जांच करनी चाहिए।”

समाधान की दिशा: क्या होना चाहिए अगला कदम?

  1. जांच समिति का गठन हो जो छात्राओं के आरोपों की निष्पक्ष जांच करे
  2. कॉलेज प्रशासन से जवाब तलब हो
  3. बीएसए और संबंधित शिक्षा अधिकारियों की भूमिका की जांच हो
  4. भविष्य में छात्र हित में नीति बनाई जाए, जिससे ऐसा दोबारा न हो

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