Breaking News : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ हॉस्पिटल में फंसे मरीज और तीमारदार, आधे घंटे तक लिफ्ट में रही खराबी, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, मैनेजमेंट पर लापरवाही के गंभीर आरोप

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
“एक बार फिर अस्पताल की लिफ्ट बनी जान का संकट!”—कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित यथार्थ हॉस्पिटल की लिफ्ट में मरीज और तीमारदार करीब आधे घंटे तक फंसे रह गए। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिससे लोगों में गुस्सा और चिंता दोनों ही बढ़ गई है।
“अगर ऑक्सीजन की जरूरत होती तो?” – तीमारदारों का सवाल
इस हादसे में सबसे चिंताजनक बात यह रही कि लिफ्ट में फंसे लोगों में एक बीमार मरीज भी शामिल था, जो किसी आवश्यक चिकित्सकीय सहायता के लिए जा रहा था। तीमारदारों ने सवाल उठाया कि यदि मरीज को ऑक्सीजन या तत्काल इलाज की आवश्यकता होती, तो क्या होता? इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाती हैं बल्कि लोगों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी उजागर करती हैं।
वीडियो में कैद हुआ डर और लाचारी का मंजर
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे मरीज, महिलाएं और बुजुर्ग तीमारदार लिफ्ट में फंसे हुए हैं, पसीने में लथपथ, घबराए और परेशान। बार-बार बटन दबाए जा रहे हैं लेकिन लिफ्ट अटकी हुई है। किसी को सांस लेने में परेशानी हो रही है, कोई मोबाइल नेटवर्क ढूंढ रहा है मदद के लिए। यह सब एक अत्यंत मानवता को झकझोर देने वाला दृश्य बन गया।
लिफ्ट में नहीं था अलार्म या वेंटिलेशन का समुचित इंतज़ाम
पीड़ितों ने आरोप लगाया कि लिफ्ट में न तो आपातकालीन अलार्म ठीक से काम कर रहा था, न ही कोई इंटरकॉम सुविधा उपलब्ध थी जिससे बाहर संपर्क किया जा सके। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि वेंटिलेशन यानी हवा के निकलने का कोई साधन भी सही से काम नहीं कर रहा था, जिससे लोगों का दम घुटने लगा।
प्रबंधन का रवैया आया सवालों के घेरे में
लिफ्ट में फंसे लोगों को निकालने में 30 मिनट से ज्यादा समय लग गया, और उस दौरान हॉस्पिटल मैनेजमेंट की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी गई। लोगों ने आरोप लगाया कि आपातकालीन सेवाओं की अनदेखी और स्टाफ की सुस्ती से हालात और भी खराब हो गए। स्थानीय नागरिकों और आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों ने यथार्थ हॉस्पिटल के प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
DM और GNIDA से ट्विटर पर शिकायत, जांच की मांग
घटना के तुरंत बाद वीडियो को @dmgbnagar, @OfficialGNIDA और @myogiadityanath को टैग कर ट्विटर पर शेयर किया गया। लोगों ने मांग की है कि ऐसे निजी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की गहन जांच हो और दोषी पाए जाने पर अस्पताल के खिलाफ कड़ा जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाए।
“हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को स्मार्ट सिटी के नाम पर मत चलाओ” – आमजन की नाराजगी
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के नागरिकों ने इस मामले को ‘स्मार्ट सिटी की अस्मार्ट हकीकत’ बताया है। उनका कहना है कि जिस शहर में लाखों की आबादी रहती है, वहां के बड़े अस्पतालों में इतनी बुनियादी असुरक्षा होना बेहद चिंताजनक है।
पहले भी कई अस्पतालों से सामने आ चुकी हैं लिफ्ट खराबी की शिकायतें
यथार्थ हॉस्पिटल ही नहीं, इससे पहले भी ग्रेटर नोएडा के कई निजी अस्पतालों से लिफ्ट की खराबी, अग्निशमन यंत्रों की अनुपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं में ढिलाई की खबरें आती रही हैं। बावजूद इसके स्थानीय प्राधिकरण या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस निगरानी प्रणाली लागू नहीं की गई।
क्या कहता है अस्पताल प्रबंधन?
अभी तक यथार्थ हॉस्पिटल की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही किसी तकनीकी खराबी या समाधान की विस्तृत जानकारी दी गई है। यह चुप्पी लोगों के गुस्से को और भी बढ़ा रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा बन रही है सवालों का केंद्र
यह घटना बताती है कि स्वास्थ्य सेवाएं केवल इमारतों और मशीनों से नहीं चलतीं, उसमें मानवीय संवेदनशीलता, तकनीकी दक्षता और आपात प्रतिक्रिया प्रणाली का मजबूत होना जरूरी है। यदि इन बातों की उपेक्षा की गई, तो यह किसी भी दिन बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
रफ्तार टुडे की विशेष मांग: जांच हो, जवाबदेही तय हो
रफ्तार टुडे इस मुद्दे पर प्रशासन से अपील करता है कि:
- इस मामले की तत्काल जांच कराई जाए।
- लिफ्ट और अन्य आपातकालीन सेवाओं की प्रमाणिकता की जांच की जाए।
- निजी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की समय-समय पर ऑडिट अनिवार्य की जाए।
- ऐसी घटनाओं में जवाबदेही तय की जाए और सख्त कार्रवाई हो।
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