सार
राजधानी के अस्पतालों में आबोहवा खराब होने का साफ असर भी दिखाई देने लगा है। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक की ओपीडी में 20 से 30 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
गले में खराश, सांस लेने में किसी भी तरह की कठिनाई, आंखों में खुजली आना, लाल होना या फिर बिना किसी कारण पानी निकलना यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति ठंड का जोर समझ कर नजरदांज कर सकता है लेकिन दिल्ली और एनसीआर के इलाके में यह लक्षण सामान्य नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है।
राजधानी के अस्पतालों में आबोहवा खराब होने का साफ असर भी दिखाई देने लगा है। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक की ओपीडी में 20 से 30 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पल्मोनरी विभाग में चार प्रोफेसर हैं और यहां ओपीडी में मरीजों की संख्या 300 पार कर चुकी है। इनके अलावा नई दिल्ली के ही आरएमएल अस्पताल में रोजाना 200 से 250 और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में 100 से 150 मरीज केवल श्वसन तंत्र से जुड़ी परेशानियां लेकर ही पहुंच रहे हैं।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में इस समय किसी भी मरीज का उपचार करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुका है। कोरोना, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, वायरल के अलावा अब प्रदूषण की वजह से भी मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। वहीं गैर कोविड मरीजों का भार पहले से ही एम्स पर है। इसलिए हर मरीज को उनके यहां भर्ती नहीं किया जा सकता। डॉक्टरों ने बताया कि प्रदूषण की वजह से ऐसे मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है जिन्हें दमा या फिर काला दमा (सीओपीडी) की शिकायत लंबे समय से है।
वहीं बालाजी एक्शन अस्पताल के डॉक्टर अनिमेष आर्य ने बताया कि उनके यहां सांस से जुड़ी परेशानियों के कारण मरीजों की संख्या में तकरीबन 20 फीसदी इजाफा हुआ है। अचानक तापमान का गिरना और हाल ही में प्रदूषण का बढ़ना आदि इसके कारणों में से हो सकते हैं।
जैसा कि सर्द मौसम अब बढ़ने लगा है ऐसे में व्यक्ति की एयरवेज शुष्क होने लगतीं हैं और प्रदूषण भी शुष्क एयरवेज को अधिक प्रभावित करता है। इसलिए शरीर में तरलता बनाए रखें। हम सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। सुबह की सैर से परहेज करें यदि एक्यूआई उचित न हो। घर से बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर पहनें और पहले से श्वसन सम्बंधित समस्याओं या बीमारियों से जूझ रहे लोग अतिरिक्त सावधानी बरतें।
धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर नवनीत सूद का कहना है कि इन दिनों फेफड़ों से सम्बंधित समस्याओं के साथ आने वाले मरीजों में लगभग 30 से 40 फीसदी बढ़ोती देखी जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि खुली हवा के संपर्क में अचानक न आएं।
खुले वातावरण में मास्क जरूर पहन कर रखें। साथ ही पोषण व पानी के प्रचुर सेवन पर ध्यान दें। अस्थमा, सीओपीडी आदि से जूझ रहे मरीजों को अपना अतिरिक्त रूप से ध्यान रखने जरूरत है, अपनी दवाएं नियमित समय पर लेते रहें और किसी प्रकार की लापरवाही न करें।
विस्तार
गले में खराश, सांस लेने में किसी भी तरह की कठिनाई, आंखों में खुजली आना, लाल होना या फिर बिना किसी कारण पानी निकलना यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति ठंड का जोर समझ कर नजरदांज कर सकता है लेकिन दिल्ली और एनसीआर के इलाके में यह लक्षण सामान्य नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है।
राजधानी के अस्पतालों में आबोहवा खराब होने का साफ असर भी दिखाई देने लगा है। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक की ओपीडी में 20 से 30 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पल्मोनरी विभाग में चार प्रोफेसर हैं और यहां ओपीडी में मरीजों की संख्या 300 पार कर चुकी है। इनके अलावा नई दिल्ली के ही आरएमएल अस्पताल में रोजाना 200 से 250 और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में 100 से 150 मरीज केवल श्वसन तंत्र से जुड़ी परेशानियां लेकर ही पहुंच रहे हैं।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में इस समय किसी भी मरीज का उपचार करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुका है। कोरोना, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, वायरल के अलावा अब प्रदूषण की वजह से भी मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। वहीं गैर कोविड मरीजों का भार पहले से ही एम्स पर है। इसलिए हर मरीज को उनके यहां भर्ती नहीं किया जा सकता। डॉक्टरों ने बताया कि प्रदूषण की वजह से ऐसे मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है जिन्हें दमा या फिर काला दमा (सीओपीडी) की शिकायत लंबे समय से है।
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