Buider Complained To YEIDA News : "ग्रेटर नोएडा के गांव में भूमिगत जल का 'सुनियोजित नरसंहार'!, इस बिल्डर ने पानी को बनाया प्रोजेक्ट का कैजुअल्टी, ग्रामीणों में गहरा रोष, यमुना प्राधिकरण से लगाई इंसाफ की गुहार"

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
जहां एक ओर देश जल संकट की ओर बढ़ रहा है, वहीं ग्रेटर नोएडा के चपरगढ़ गांव में एक बिल्डर द्वारा प्रतिदिन लाखों लीटर भूमिगत जल को नालों में बहाकर बर्बाद किया जा रहा है। यूनिवेस्ट हब नामक बिल्डर द्वारा इस पानी का उपयोग न तो निर्माण कार्य में हो रहा है और न ही कोई पुनर्चक्रण (रीसाइकलिंग) प्रक्रिया अपनाई जा रही है। परिणामस्वरूप, गांव का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है और ग्रामीणों के लिए पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है।
खसरा नंबर 112 और 113 बना जल विनाश का केंद्र, पानी बन गया निर्माण की बलि का बकरा
चपरगढ़ गांव के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यूनिवेस्ट हब नामक बिल्डर ने खसरा संख्या 112 व 113 पर निर्माण कार्य शुरू किया है, जहां कई पंप लगाकर प्रतिदिन हजारों लीटर पानी जमीन से निकाला जा रहा है। यह पानी सीधे नालियों में बहा दिया जा रहा है, जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा।
बिल्डर के पास न तो ग्राउंडवॉटर एक्सट्रैक्शन की वैध अनुमति है और न ही वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कोई व्यवस्था की गई है। यह स्थिति कानून के उल्लंघन के साथ-साथ नैतिक जिम्मेदारियों की भी अनदेखी करती है।
गांव की प्यास बुझाना हो रहा मुश्किल, हैंडपंप हो चुके हैं बेदम
गांव के बुजुर्ग और महिलाएं बता रहे हैं कि जहां पहले 20-25 फीट की गहराई पर पानी मिल जाया करता था, अब वहां 70 फीट की खुदाई के बाद भी पानी नहीं आ रहा।
जो गांव में पिछले 40 वर्षों से रह रही हैं, कहती हैं – “पहले पानी के लिए हैंडपंप ही काफी था। अब टंकी से भी पानी नहीं आता, और बिल्डर हमारे जल संसाधनों को नष्ट कर रहा है।”
प्राधिकरण में दर्ज कराई गई शिकायत, वीडियो बनाकर साक्ष्य भी दिए
ग्रामीणों ने वीडियो साक्ष्यों के साथ यमुना प्राधिकरण में इस जल बर्बादी की शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि संबंधित बिल्डर के खिलाफ तत्काल जांच हो और यदि जल दोहन अवैध रूप से किया जा रहा है, तो कठोर कार्रवाई की जाए।
शिकायतकर्ता बृजपाल का कहना है, “यदि यही हाल रहा तो भविष्य में गांव में पीने के पानी के लिए लड़ाई करनी पड़ेगी। अब भी समय है प्रशासन जागे।”
सख्त कानून के बावजूद प्रशासन का मौन – क्या कोई मिलीभगत है?
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) के अनुसार बिना अनुमति भूमिगत जल दोहन कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। बिल्डर अगर बिना एनओसी के पानी निकाल रहा है, तो यह सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।
फिर सवाल उठता है – क्या यमुना प्राधिकरण को इस गतिविधि की जानकारी नहीं थी? या फिर यह सब एक ‘अनदेखा कर देने वाली मिलीभगत’ का नतीजा है?
पर्यावरणविद बोले – ये एक ‘स्लो प्वाइजन’ है भविष्य के लिए
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सुदर्शन मिश्रा ने कहा कि “हर एक मीटर भूजल स्तर नीचे जाना, सैकड़ों परिवारों के जीवन को संकट में डालना है। यह एक साइलेंट क्राइसिस है, जो आने वाले समय में भयंकर रूप ले सकता है।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर ऐसे मामलों पर सख्ती नहीं की गई, तो ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ गांव भी ‘पानी की भुखमरी’ का शिकार होंगे।
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी, कहा – अब नहीं सहेंगे जल अपराध
ग्रामीणों ने यह साफ कर दिया है कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती, तो वे बिल्डर प्रोजेक्ट का घेराव करेंगे और जल संरक्षण के लिए बड़े आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
ललित जो गांव के युवाओं का नेतृत्व कर रहे हैं, कहते हैं – “ये सिर्फ हमारे गांव का मसला नहीं है, ये आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल है। पानी बचाना अब आंदोलन बन चुका है।”

प्राधिकरण की चुप्पी चिंताजनक, कार्रवाई कब होगी?
रफ्तार टुडे की टीम ने जब यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। केवल इतना कहा गया – “मामला संज्ञान में है, जांच की जा रही है।”
लेकिन सवाल यह है कि जब वीडियो साक्ष्य सामने हैं, ग्रामीण गुहार लगा रहे हैं, तो प्राधिकरण अब तक चुप क्यों है? क्या बिल्डर पर जुर्माना लगाया जाएगा? क्या जल निकासी रोकी जाएगी? या फिर ये मामला भी फाइलों में दबा रहेगा?
यमुना प्राधिकरण से बिल्डर की शिकायत करने वलों में से सचिन, राहुल, प्रकाश, प्रदीप, अमित गौतम, विनोद, सचिन खटाना, ललित, रकम, विकास कुमार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
रफ्तार टुडे की अपील – उठाइए आवाज, बनिए जल प्रहरी!
पानी की बर्बादी केवल एक गांव की समस्या नहीं है, यह पूरे समाज का संकट है। हमें जागरूक नागरिक बनकर ऐसे मुद्दों को उजागर करना चाहिए, और प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए कि दोषियों को सजा मिले।
यदि आपके क्षेत्र में भी ऐसा कोई मामला है, तो Raftar Today को जानकारी दें। आपकी आवाज बनेगी खबर, और खबर बनेगी परिवर्तन की शुरुआत।
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