मुश्किलों में घिरे राजेंद्र सिंह, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने की कार्यवाही की तैयारी। प्राधिकरण के कर्मचारियों में भी हडकम्प
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। विश्वसनीय विशेष सूत्रों के अनुसार एनसीआर ग्रेटर नोएडा में सक्रिय साइको ब्लैकमेलर्स के खिलाफ अब प्राधिकरण ने शिकंजा कसने की जबर्दस्त तैय्यारी कर ली है। ग्राम बादलपुर निवासी श्री राजेन्द्र सिंह नागर को सरकारी कागजात अवैध रूप से हासिल करके उनमें छेड़छाड़ और हराफेरी करके ब्लैकमेल के मकसद से दुरुपयोग करने के लिए दो नोटिस पहले ही जारी किए जा चुके हैl
क्या है मामला
राजेंद्र सिंह ने शपथ पत्र दाखिल कर भूमि अधिग्रहण को स्विकार कर बाकायदा मुवावजा लेकर 17% किसान कोटे के अंतर्गत आबादी के भुखंड plot 225 block E sector 2 में ले लेकर बैच दिया और अधिग्रहीत की गई भूमि में से 1500 वर्ग मीटर का भुखंड भी बोर्ड की बैठक में छुटवा लिया l इसके बाद 6/4 % प्लॉट की, सह खातेदारो सहित, पात्रता लेकर, अदालत को गुमराह करके, पूरी अधिग्रहण की गई भूमि पर स्टे आर्डर लेकर भी ले लिया l
लक्ष्य में बाधा देखते हुए, सीईओ और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ERP -SAP प्रणाली में 300 करोड़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, हालांकि परियोजना का निविदा मूल्य 63 करोड़ रुपये ही था। उसने GNIDA के उन अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी शिकायतें कीं, जिनकी नजर उनके अवैध कार्यों पर थी। GNIDA के JE के द्वारा नोटिस जारी करने के पक्ष में उसके खिलाफ afterthought शिकायत कर दी l
दिनांक 13.10.2/22 के, प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारी व्यावहारिक मजबूरी बताकर ‘एवाइड’ कर देते हैं। इसी ‘एवाइड’ वाली नीति का लाभ यहां सक्रिय कुछ ‘ब्लैकमेलर’ उठा रहे हैं। इन कारोबारियों को ‘ऊपर’ शिकायत करने, मीडिया में खबर छपवाने जैसी धमकियां देकर बाकायदा अवैध वसूली की जाती है।
अभी तक उपलब्ध लगभाग 31 वेब लिंक के अनुसार, अपने को घिरा देखकर राजेंद्र सिंह प्राधिकरण के खिलाफ मात्र दो शीर्षक “फ़र्जी भर्ती घोटाला” और “ERP- SAP में 300 करोड़ का घोटाला” के सनसनीखेज जनक अरोप लगाकार अपनी ब्लैकमेलर टीम के साथ, सरकार को बदनाम करके, भारी सुरखियां बटोर चूका है। जबकी तथातथित भरती प्राधिकरण ने सीधी नहीं की है अपितु आउटसोर्सिंग एजेंसी के मध्यम से काम किया जा रहा हैं प्राधिकरण इन कर्मचारियों के मामले में सिर्फ कार्य के गुणात्मक रूप के लिए ही जिम्मेवार है l दूसरी तरफ ERP- SAP सिस्टम के दूसरे मामले में निविदा वैल्यू जब सिर्फ 63 करोड़ रुपए ही थी तो 300 करोड़ रुपए के घोटाले का प्रश्न ही नहीं उठता l GNIDA के उन अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ सैकड़ों शिकायते अलग से हैं जो इसके गलत काम पर नजर रखते हैं या टोका टाकी करते हैं l एक फर्जी डिग्रीधारी वकील पर्दे के पीछे बताया जा रहा है l
बताया जा रहा है कि प्राधिकरण ने सरकार को बदनाम करने वाले ब्लैकमेलर्स के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बनाया लिया है और इस बाबत आगमी समय में कभी भी कार्यवही देखने को मिल सकती l