अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Tue, 14 Dec 2021 09:09 PM IST
सार
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो नया आदेश जारी किया है, उसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थल पर खड़ी आम जनता की किसी भी पेट्रोल की 15 साल पुरानी गाड़ी और डीजल की 10 साल पुरानी गाड़ी को जब्त करके सीधे स्क्रेप यूनिट में भेजा जा सकता है।
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थलों से हटाकर कबाड़ में देने के दिल्ली सरकार के फैसले को डीटीसी की बसों से जोड़कर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता की पार्किंग में खड़ी कार या फिर स्कूटर को उठाकर सीधे कबाड़ में दिया जा सकता है लेकिन डीटीसी की उम्र पूरी कर चुकी बसों को कैसे सड़कों पर चलाया जा रहा है।
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो नया आदेश जारी किया है, उसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थल पर खड़ी आम जनता की किसी भी पेट्रोल की 15 साल पुरानी गाड़ी और डीजल की 10 साल पुरानी गाड़ी को जब्त करके सीधे स्क्रेप यूनिट में भेजा जा सकता है। यह आदेश टू व्हीलर, कार, ऑटो और कॉमर्शियल वाहन सभी के लिए जारी किया गया है। स्क्रेप कंपनी को ही वाहन उठाने का अधिकार दे दिया गया है। बिधूड़ी ने सवाल किया है कि आम जनता के वाहन तो सार्वजनिक स्थलों से हटाए जा रहे हैं और उन्हें सड़कों पर चलाने की इजाजत नहीं है लेकिन डीटीसी की ओवरएज बसों को कौन हटाएगा और वे कैसे सड़कों पर चल रही हैं।
लोगों के जीवन से हो रहा खिलवाड़
डीटीसी के बेड़े में कुल 3760 बसें हैं, जिनमें सिर्फ 32 बसें ही ऐसी हैं जिनकी उम्र 8 से 10 साल के बीच है। इसके अलावा 3072 बसें ऐसी हैं जिनकी उम्र 10 से 12 साल के बीच है। 656 बसें तो ऐसी हैं जो 12 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। आमतौर पर डीटीसी की बसों की उम्र 8 साल मानी जाती है, लेकिन 10 साल बाद तो बसें सड़कों पर चलने लायक नहीं रहतीं, लेकिन यहां तो सारी करीब करीब सारी बसें ही 10 साल की उम्र पार चुकी हैं। सितंबर में ये सभी बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी थीं। इस तरह इन बसों को डीटीसी स्टाफ और आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हुए सड़कों पर चलाया जा रहा है। अगर आम जनता के वाहनों को जबरन सार्वजनिक स्थलों से हटाकर स्क्रेप में भेजा जा रहा है तो फिर डीटीसी की बसों को कैसे चलाया जा रहा है।
विस्तार
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थलों से हटाकर कबाड़ में देने के दिल्ली सरकार के फैसले को डीटीसी की बसों से जोड़कर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता की पार्किंग में खड़ी कार या फिर स्कूटर को उठाकर सीधे कबाड़ में दिया जा सकता है लेकिन डीटीसी की उम्र पूरी कर चुकी बसों को कैसे सड़कों पर चलाया जा रहा है।
बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो नया आदेश जारी किया है, उसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थल पर खड़ी आम जनता की किसी भी पेट्रोल की 15 साल पुरानी गाड़ी और डीजल की 10 साल पुरानी गाड़ी को जब्त करके सीधे स्क्रेप यूनिट में भेजा जा सकता है। यह आदेश टू व्हीलर, कार, ऑटो और कॉमर्शियल वाहन सभी के लिए जारी किया गया है। स्क्रेप कंपनी को ही वाहन उठाने का अधिकार दे दिया गया है। बिधूड़ी ने सवाल किया है कि आम जनता के वाहन तो सार्वजनिक स्थलों से हटाए जा रहे हैं और उन्हें सड़कों पर चलाने की इजाजत नहीं है लेकिन डीटीसी की ओवरएज बसों को कौन हटाएगा और वे कैसे सड़कों पर चल रही हैं।
लोगों के जीवन से हो रहा खिलवाड़
डीटीसी के बेड़े में कुल 3760 बसें हैं, जिनमें सिर्फ 32 बसें ही ऐसी हैं जिनकी उम्र 8 से 10 साल के बीच है। इसके अलावा 3072 बसें ऐसी हैं जिनकी उम्र 10 से 12 साल के बीच है। 656 बसें तो ऐसी हैं जो 12 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। आमतौर पर डीटीसी की बसों की उम्र 8 साल मानी जाती है, लेकिन 10 साल बाद तो बसें सड़कों पर चलने लायक नहीं रहतीं, लेकिन यहां तो सारी करीब करीब सारी बसें ही 10 साल की उम्र पार चुकी हैं। सितंबर में ये सभी बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी थीं। इस तरह इन बसों को डीटीसी स्टाफ और आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करते हुए सड़कों पर चलाया जा रहा है। अगर आम जनता के वाहनों को जबरन सार्वजनिक स्थलों से हटाकर स्क्रेप में भेजा जा रहा है तो फिर डीटीसी की बसों को कैसे चलाया जा रहा है।
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