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Serious Cases Of Air Pollution Coming Up In Different Hospitals Many Organs Affected Simultaneously In Weak Immunity – दिल्ली: अलग-अलग अस्पतालों में सामने आ रहे वायु प्रदूषण के गंभीर मामले, कमजोर इम्युनिटी में एक साथ हो रहे कई अंग प्रभावित

परीक्षित निर्भय, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Vikas Kumar
Updated Sun, 14 Nov 2021 05:37 PM IST

सार

आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक पहले से कमजोर इम्युनिटी वालों को वायु प्रदूषण से अधिक नुकसान हो रहा है। किडनी और लिवर के रोगियों की संख्या ही 30 से 40 फीसदी तक बढ़ गई है। 

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इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक रोगों से बचाने में अहम भूमिका निभाती है। कुछ समय पहले तक यह क्षमता मजबूत होने की वजह से लोग जल्द ही स्वस्थ भी हो जाते थे लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लोगों की यह क्षमता काफी प्रभावित हुई है। कोरोना की चपेट में आने के बाद दवाओं का सेवन और पोस्ट कोविड के लंबे समय तक दिखाई देने वाले लक्षण इत्यादि अभी भी लोगों को थकान, नींद न आना, बैचेनी इत्यादि का एहसास करा रहे हैं। 

इसी कमजोर इम्युनिटी का नुकसान अब वायू प्रदूषण में हो रहा है। जहां दिल्ली की आबोहवा पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में आ चुकी है। वहीं इस हवा की वजह से जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है उनके एक साथ कई अंग प्रभावित हो रहे हैं। एक ही मरीज को लिवर में दिक्कत है तो उसे सांस लेने में कठिनाई के अलावा यूरिन से जुड़ी परेशानी भी देखने को मिल रही है। ऐसे मरीज किसी एक या दो नहीं बल्कि राजधानी के अलग अलग अस्पतालों में देखने को मिल रहे हैं। 

वसंतकुंज स्थित आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि किडनी और लिवर के मरीजों की इम्युनिटी पहले से ही काफी कम होती है लेकिन वायू प्रदूषण की वजह से इन मरीजों की संख्या में 30 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि जिन लोगों को पहले गंभीर कोरोना संक्रमण हुआ था उनके फेफड़ों पर अभी भी वायरस का असर है लेकिन वायू प्रदूषण बढ़ने के बाद इन लोगों में सांस लेने में तकलीफ, बैचेनी इत्यादि बढ़ गई है। ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां तक कि रविवार के दिन भी उनके यहां ओपीडी में काफी मरीज देखने को मिले हैं। 

दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय के साथ और खतरनाक होती जा रही है। 

प्रदूषित हवा की वजह से मौतें भी बहुत : डॉ. अमित
नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित बताते हैं, ‘आपको जानकर शायद आश्चर्य हो लेकिन यह सच है कि भारत में होने वाली मौतों की एक बहुत बड़ी वजह प्रदूषित हवा है। इससे विभिन्न प्रकार की सांस से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। सांस की तकलीफ के चलते पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं। प्रदूषित हवा का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा प्रदूषित हवा में सांस लेने से हाई ब्लड प्रेशर होने की भी समस्या हो जाती है।’ बालाजी एक्शन अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनिमेष आर्य ने बताया कि श्वसन संबंधी समस्याओं के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में तकरीबन 20 फीसदी इजाफा देखने को मिल रहा है। उनके यहां भी अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनकी इम्युनिटी काफी कमजोर है और उनमें वायू प्रदूषण के गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे मरीजों को वे घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दे रहे हैं। 

हमारे यहां ऐसे कई मामले, पहले नहीं देखे
धर्मशिला अस्पताल के डॉ. नवनीत सूद का कहना है कि उनके यहां वायू प्रदूषण की वजह से मरीजों की संख्या 40 फीसदी तक बढ़ गई है। अस्थमा, सीओपीडी की बीमारी से ग्रस्त मरीज पहुंच रहे हैं। साथ ही कमजोर इम्युनिटी होने की वजह से एक ही मरीज में प्रदूषण का असर कई अंगों पर देखने को मिल रहा है। सांस लेने में कठिनाई, सीने पर भारी पन, ह्दय गति में अंतर, लिवर पर सूजन और किडनी में संक्रमण इत्यादि परेशानियां भी देखने को मिल रही हैं। ऐसी स्थिति पहले देखने को नहीं मिली। 

विस्तार

इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक रोगों से बचाने में अहम भूमिका निभाती है। कुछ समय पहले तक यह क्षमता मजबूत होने की वजह से लोग जल्द ही स्वस्थ भी हो जाते थे लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लोगों की यह क्षमता काफी प्रभावित हुई है। कोरोना की चपेट में आने के बाद दवाओं का सेवन और पोस्ट कोविड के लंबे समय तक दिखाई देने वाले लक्षण इत्यादि अभी भी लोगों को थकान, नींद न आना, बैचेनी इत्यादि का एहसास करा रहे हैं। 

इसी कमजोर इम्युनिटी का नुकसान अब वायू प्रदूषण में हो रहा है। जहां दिल्ली की आबोहवा पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में आ चुकी है। वहीं इस हवा की वजह से जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है उनके एक साथ कई अंग प्रभावित हो रहे हैं। एक ही मरीज को लिवर में दिक्कत है तो उसे सांस लेने में कठिनाई के अलावा यूरिन से जुड़ी परेशानी भी देखने को मिल रही है। ऐसे मरीज किसी एक या दो नहीं बल्कि राजधानी के अलग अलग अस्पतालों में देखने को मिल रहे हैं। 

वसंतकुंज स्थित आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि किडनी और लिवर के मरीजों की इम्युनिटी पहले से ही काफी कम होती है लेकिन वायू प्रदूषण की वजह से इन मरीजों की संख्या में 30 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि जिन लोगों को पहले गंभीर कोरोना संक्रमण हुआ था उनके फेफड़ों पर अभी भी वायरस का असर है लेकिन वायू प्रदूषण बढ़ने के बाद इन लोगों में सांस लेने में तकलीफ, बैचेनी इत्यादि बढ़ गई है। ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां तक कि रविवार के दिन भी उनके यहां ओपीडी में काफी मरीज देखने को मिले हैं। 

दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय के साथ और खतरनाक होती जा रही है। 

प्रदूषित हवा की वजह से मौतें भी बहुत : डॉ. अमित

नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित बताते हैं, ‘आपको जानकर शायद आश्चर्य हो लेकिन यह सच है कि भारत में होने वाली मौतों की एक बहुत बड़ी वजह प्रदूषित हवा है। इससे विभिन्न प्रकार की सांस से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। सांस की तकलीफ के चलते पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं। प्रदूषित हवा का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा प्रदूषित हवा में सांस लेने से हाई ब्लड प्रेशर होने की भी समस्या हो जाती है।’ बालाजी एक्शन अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनिमेष आर्य ने बताया कि श्वसन संबंधी समस्याओं के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में तकरीबन 20 फीसदी इजाफा देखने को मिल रहा है। उनके यहां भी अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनकी इम्युनिटी काफी कमजोर है और उनमें वायू प्रदूषण के गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे मरीजों को वे घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दे रहे हैं। 

हमारे यहां ऐसे कई मामले, पहले नहीं देखे

धर्मशिला अस्पताल के डॉ. नवनीत सूद का कहना है कि उनके यहां वायू प्रदूषण की वजह से मरीजों की संख्या 40 फीसदी तक बढ़ गई है। अस्थमा, सीओपीडी की बीमारी से ग्रस्त मरीज पहुंच रहे हैं। साथ ही कमजोर इम्युनिटी होने की वजह से एक ही मरीज में प्रदूषण का असर कई अंगों पर देखने को मिल रहा है। सांस लेने में कठिनाई, सीने पर भारी पन, ह्दय गति में अंतर, लिवर पर सूजन और किडनी में संक्रमण इत्यादि परेशानियां भी देखने को मिल रही हैं। ऐसी स्थिति पहले देखने को नहीं मिली। 

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