Sharda University News : विदेशी विद्वानों और जजों की मौजूदगी में शारदा विश्वविद्यालय की मूट कोर्ट प्रतियोगिता का भव्य समापन, छात्रों ने दिखाई विधि ज्ञान की चमक

ग्रेटर नोएडा | रफ्तार टुडे
नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का भव्य और सफल समापन हुआ। यह आयोजन केवल एक विधिक प्रतिस्पर्धा न होकर एक वैश्विक मंच बन गया, जहाँ देश-विदेश के विद्वानों और न्यायमूर्तियों की मौजूदगी में छात्रों ने अपने कानूनी कौशल, तर्कशक्ति और प्रस्तुतीकरण की शानदार मिसाल पेश की।
32 संस्थानों की भागीदारी, कानूनी समझ और शोध शक्ति की परीक्षा
देशभर के 32 प्रतिष्ठित विधि संस्थानों से आई टीमों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिनमें से प्रत्येक टीम ने एक काल्पनिक केस के माध्यम से अदालत में अपने पक्ष को सटीक और प्रभावशाली ढंग से रखने का प्रयास किया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों को न्यायिक प्रणाली की व्यावहारिक झलक देना, अधिवक्ता के रूप में आत्मविश्वास पैदा करना और कानूनी समझ को गहराई से विकसित करना था।
जस्टिस तेजस कारिया और प्रो. एरिक्सन जैसे दिग्गजों की निर्णायक भूमिका
प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में निर्णायक मंडल में शामिल थे –
जस्टिस तेजस कारिया (दिल्ली हाईकोर्ट),
प्रो. डॉ. मनोज सिन्हा (कुलपति, धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी),
जस्टिस पीपी भट्ट (पूर्व न्यायाधीश),
प्रो. एरिक्सन और प्रो. कुलमीत (शिकागो कैंट यूनिवर्सिटी)।
इन अंतरराष्ट्रीय न्यायविदों और विशेषज्ञों की मौजूदगी ने इस प्रतियोगिता को वैश्विक स्तर की पहचान दिलाई।
विजेताओं की हुई घोषणाएं, आकर्षक नकद पुरस्कार से सम्मानित
प्रतियोगिता के फाइनल में ओ.पी. जिंदल यूनिवर्सिटी की टीम ने जीत दर्ज करते हुए 75,000 रुपये नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्राप्त किया। वहीं आईआईएलएम यूनिवर्सिटी की टीम उपविजेता रही, जिन्हें 45,000 रुपये नकद राशि प्रदान की गई।
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित श्रेणियों में भी विशेष पुरस्कार वितरित किए गए:
- सर्वश्रेष्ठ मूटर्स
- सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता
- सर्वश्रेष्ठ स्मरणपत्र (Written Submission)
प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने मूट कोर्ट को बताया कानूनी उत्कृष्टता का मंच
शारदा विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर वाईके गुप्ता ने कहा कि मूट कोर्ट केवल एक प्रतियोगिता नहीं बल्कि छात्रों के कानूनी विश्लेषण, शोध क्षमता और वाक्पटुता को निखारने का मंच है।
उन्होंने कहा –
“इस प्रकार की प्रतियोगिताएं छात्रों में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी दोनों का विकास करती हैं। न्यायिक प्रक्रिया की सटीक समझ और कानूनी अभिव्यक्ति की स्पष्टता किसी भी अधिवक्ता के लिए सबसे बड़ी ताकत होती है।”

डीन डॉ ऋषिकेश दवे ने बताया व्यावहारिक शिक्षा का महत्व
शारदा स्कूल ऑफ लॉ के डीन डॉ ऋषिकेश दवे ने कहा कि आज के युग में विधि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रह सकती।
उन्होंने कहा –
“मूट कोर्ट जैसी प्रतियोगिताएं छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया की कार्यप्रणाली से रूबरू कराती हैं। यह व्यावहारिक अनुभव उन्हें संवेदनशील और उत्तरदायी नागरिक बनाता है।”
संकाय सदस्यों और छात्रों ने निभाई अहम भूमिका
इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता को सफल बनाने में प्रोफेसर राहुल निकम, प्रोफेसर तारकेश मोलिया, डॉ. अक्सा फातिमा, डॉ. रजिया चौहान, डॉ. तरुण कौशिक, स्मृति सिंह चौहान जैसे शिक्षकों और विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन डॉ वैशाली अरोड़ा ने अत्यंत प्रभावशाली और व्यवस्थित ढंग से किया।
शारदा लॉ स्कूल बना विधिक प्रशिक्षण का केंद्र
इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि शारदा विश्वविद्यालय का लॉ स्कूल न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी है बल्कि व्यावहारिक विधिक प्रशिक्षण में भी देश के अन्य संस्थानों से आगे है।
छात्रों को न केवल भारत के बल्कि अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मानकों के अनुरूप अनुभव प्रदान करना ही विश्वविद्यालय का लक्ष्य है, और यह प्रतियोगिता उसी दिशा में एक बड़ा कदम रही।
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