अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 12 Nov 2021 06:38 AM IST
सार
उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र। कहा कि पहले बच्चों के सोशल-इमोशनल और मेंटल वेल बींग पर काम किया जाना चाहिए।
दिल्ली सरकार बच्चों की दक्षता को परखने के लिए शुक्रवार को आयोजित होने वाले नेशनल अचीवमेंट सर्वे को फिलहाल कराए जाने को लेकर सहमत नहीं है। सरकार का तर्क है कि कोरोना महामारी के कारण देश के ज्यादातर राज्यों में स्कूल अभी खुले हैं। जहां अभी स्कूल खुले हैं, वहां बच्चों ने ठीक से स्कूल आना शुरू नहीं किया है।
इस सर्वे को तुरंत रोके जाने को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। पत्र में सिसोदिया ने कहा है कि सर्वे से जो स्थिति प्राप्त होगी वह जमीनी स्थिति से परे होगी। इस सर्वे के आधार पर जो रणनीति तैयार होगी वह कारगर नहीं हो सकेगी।
सीबीएसई की ओर से 12 नंवबर को नेशनल अचीवमेंट सर्वे आयोजित किया जा रहा है। इस सर्वे का आयोजन देश के सभी 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 733 जिलों में होगा, जिसमें 1.29 लाख स्कूलों के तीसरी, पांचवीं, आठवीं और दसवीं कक्षा के 39 लाख बच्चे शामिल होंगे। इस सर्वे का उद्देश्य कोरोना के दौरान बच्चों में आए लर्निंग गैप को जानना है।
मनीष सिसोदिया ने पत्र में कहा है कि कुछ जगह स्कूल अब खुले हैं और जहां खुले हैं वहां अभी बच्चे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में इस स्थिति में इस सर्वे का आयोजन करवाना किस हद तक सही है? दिल्ली में भी आठवीं तक के स्कूल एक नवंबर से खुले हैं। इस तरह बच्चे 19 माह बाद स्कूल आ रहे हैं। अभी फिलहाल पचास फीसदी क्षमता के साथ ही बुलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में बाढ़, बारिश, छठ पूजा के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं। इस स्थिति में यह सर्वे कैसे प्रमाणिक होगा। अभी बच्चों के सोशल-इमोशनल मेंटल वेल बींग पर काम किया जाना चाहिए। जिन बच्चों का स्कूल छूट गया है पहले उन्हें वापस लाने की पहल होनी चाहिए।
सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि इस सर्वे को तुरंत रोकें और इसके आयोजन के लिए स्थिति के सामान्य होने तक इंतजार करें। तभी इससे प्राप्त आंकड़े विश्वसनीय होंगे। अभी सर्वे का आयोजन कराना समय और पैसे की बर्बादी होगी। यदि बच्चों के लिए गलत नीति बन गई तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।
विस्तार
दिल्ली सरकार बच्चों की दक्षता को परखने के लिए शुक्रवार को आयोजित होने वाले नेशनल अचीवमेंट सर्वे को फिलहाल कराए जाने को लेकर सहमत नहीं है। सरकार का तर्क है कि कोरोना महामारी के कारण देश के ज्यादातर राज्यों में स्कूल अभी खुले हैं। जहां अभी स्कूल खुले हैं, वहां बच्चों ने ठीक से स्कूल आना शुरू नहीं किया है।
इस सर्वे को तुरंत रोके जाने को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है। पत्र में सिसोदिया ने कहा है कि सर्वे से जो स्थिति प्राप्त होगी वह जमीनी स्थिति से परे होगी। इस सर्वे के आधार पर जो रणनीति तैयार होगी वह कारगर नहीं हो सकेगी।
सीबीएसई की ओर से 12 नंवबर को नेशनल अचीवमेंट सर्वे आयोजित किया जा रहा है। इस सर्वे का आयोजन देश के सभी 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 733 जिलों में होगा, जिसमें 1.29 लाख स्कूलों के तीसरी, पांचवीं, आठवीं और दसवीं कक्षा के 39 लाख बच्चे शामिल होंगे। इस सर्वे का उद्देश्य कोरोना के दौरान बच्चों में आए लर्निंग गैप को जानना है।
मनीष सिसोदिया ने पत्र में कहा है कि कुछ जगह स्कूल अब खुले हैं और जहां खुले हैं वहां अभी बच्चे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में इस स्थिति में इस सर्वे का आयोजन करवाना किस हद तक सही है? दिल्ली में भी आठवीं तक के स्कूल एक नवंबर से खुले हैं। इस तरह बच्चे 19 माह बाद स्कूल आ रहे हैं। अभी फिलहाल पचास फीसदी क्षमता के साथ ही बुलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में बाढ़, बारिश, छठ पूजा के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं। इस स्थिति में यह सर्वे कैसे प्रमाणिक होगा। अभी बच्चों के सोशल-इमोशनल मेंटल वेल बींग पर काम किया जाना चाहिए। जिन बच्चों का स्कूल छूट गया है पहले उन्हें वापस लाने की पहल होनी चाहिए।
सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि इस सर्वे को तुरंत रोकें और इसके आयोजन के लिए स्थिति के सामान्य होने तक इंतजार करें। तभी इससे प्राप्त आंकड़े विश्वसनीय होंगे। अभी सर्वे का आयोजन कराना समय और पैसे की बर्बादी होगी। यदि बच्चों के लिए गलत नीति बन गई तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।
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