International Smart City News : स्मार्ट सिटी के सपनों को मिला नया आयाम, ग्लोबल चैम्बर्स और एक्सेस अरेबिया ने मिलाया हाथ, गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में गूंजे अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी के स्वर
ग्लोबल चैम्बर्स और एक्सेस अरेबिया के बीच AMU साइन एक्वाडोर और पलाऊ के राजनयिकों ने साझा किए स्मार्ट सिटी विकास पर अनुभव, भारत में मिलकर कार्य करने पर बनी सहमति

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
भविष्य के भारत की नींव अब सिर्फ ईंट-पत्थर से नहीं, बल्कि वैश्विक समझौतों, तकनीकी सहयोग और डिप्लोमैटिक संवाद से भी रखी जा रही है। गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा में आयोजित “इंटरनेशनल स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव 2025” के दूसरे दिन, मंगलवार को इसका जीवंत प्रमाण देखने को मिला। यह दिन पूरी तरह से डिप्लोमेसी, इनोवेशन और इंटरनेशनल कोलैबोरेशन के नाम रहा।
ग्लोबल चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और एक्सेस अरेबिया के बीच ऐतिहासिक समझौता
कॉन्क्लेव के इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण पल वह था जब ग्लोबल चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) और एक्सेस अरेबिया के बीच एक एमओयू (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के तहत दोनों संस्थाएं मिलकर भारत में स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट के क्षेत्र में साझा प्रयास करेंगी, ताकि शहरी जीवन को और अधिक स्मार्ट, तकनीकी रूप से उन्नत और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके।
इस मौके पर GCCI के सीईओ इंजीनियर आशीष गुप्ता ने कहा, “यह साझेदारी भारत और अरब देशों के बीच एक नया पुल बनेगी, जो स्मार्ट सिटी के भविष्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करेगी।”
दीप प्रज्वलन से हुई शुरुआत, वैश्विक अतिथियों ने बढ़ाया कार्यक्रम का मान
कॉन्क्लेव की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई। इस अवसर पर एक्वाडोर नई दिल्ली दूतावास के एम्बेसडर फर्नांडो बुचेली और रिपब्लिक ऑफ पलाऊ के काउंसल जनरल डॉ. नीरज शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मंच पर गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. अर्पित भारद्वाज भी उपस्थित रहे, जिन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया।
डिप्लोमेसी बनी मुख्य एजेंडा, भारत और विश्व के बीच सहयोग पर जोर
कॉन्क्लेव के दूसरे दिन का मुख्य विषय “डिप्लोमेसी और वैश्विक सहभागिता” था। विभिन्न देशों के डिप्लोमैट्स ने अपने अनुभव साझा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि स्मार्ट सिटी का निर्माण केवल तकनीकी या शहरी योजना का विषय नहीं है, बल्कि यह संवाद, नीति और बहुपक्षीय सहयोग का भी विषय है।

फर्नांडो बुचेली ने कहा, “भारत तेजी से उभरती हुई शक्ति है, और हम इसके साथ साझेदारी को लेकर बेहद उत्साहित हैं। भारत में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं वैश्विक मानकों के अनुकूल बन सकती हैं, यदि हम आपसी सहयोग और सांस्कृतिक समझ को प्राथमिकता दें।”
सांस्कृतिक समझ और सतत विकास: स्मार्ट सिटी की असली आत्मा
डॉ. नीरज शर्मा ने अपने संबोधन में स्मार्ट सिटी को केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारित नहीं, बल्कि मानव केंद्रित विकास का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “आज जब हम स्मार्ट सिटी की बात करते हैं, तो इसका अर्थ केवल इंटरनेट, ट्रैफिक सेंसर या हाई-टेक इमारतें नहीं रह गया है। यह अब एक ऐसा मॉडल बन गया है, जिसमें संस्कृति, नागरिक सहभागिता, हरित ऊर्जा और डिजिटल इनक्लूजन शामिल है।”
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी बना डिप्लोमैटिक संवाद का मंच
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी, जिसने इस आयोजन की मेज़बानी की, ने इस अवसर को पूरी गरिमा और प्रभाव के साथ निभाया। यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. अर्पित भारद्वाज ने कहा, “यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि इतने प्रतिष्ठित वैश्विक प्रतिनिधि यहां एकत्र हुए हैं। इससे हमारे छात्रों को न सिर्फ स्मार्ट सिटी पर अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण समझने को मिला, बल्कि वैश्विक संवाद और नीति-निर्माण की जमीनी हकीकत भी देखने को मिली।”
उन्होंने आगे कहा कि गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों की मेज़बानी करती रहेगी, ताकि ग्लोबल विज़न और लोकल एक्शन का संतुलन बना रहे।
एमओयू से जुड़े भविष्य के लक्ष्य: भारत में वैश्विक सहयोग के साथ स्मार्ट विकास
GCCI और एक्सेस अरेबिया के बीच हुए इस समझौते का दायरा बेहद व्यापक है। इसके तहत भारत के विभिन्न शहरों में स्मार्ट सॉल्यूशंस लागू करने, तकनीकी विशेषज्ञता साझा करने, नीति-निर्माण में मार्गदर्शन देने और स्किल डेवेलपमेंट के लिए संयुक्त प्रयासों की योजना बनाई गई है।
इंजीनियर आशीष गुप्ता ने कहा, “स्मार्ट सिटी का निर्माण केवल गवर्नमेंट या लोकल अथॉरिटीज़ का काम नहीं है। इसमें इंडस्ट्री, एजुकेशन, डिप्लोमेसी और इनोवेशन सभी को मिलकर काम करना होगा।”
कॉन्क्लेव का महत्व और संदेश
स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बनता जा रहा है जो भारत को वैश्विक शहरी विकास मानचित्र पर नई ऊंचाइयों पर ले जाने की ताकत रखता है। इसमें सरकार, कॉरपोरेट, शिक्षा संस्थान और डिप्लोमैटिक कम्युनिटी सभी एक मंच पर मिलते हैं, विचार साझा करते हैं और भविष्य की योजनाएं बनाते हैं।
कॉन्क्लेव का यह दूसरा दिन विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहभागिता, डिप्लोमेसी और टेक्नोलॉजी के संगम के रूप में दर्ज हुआ।
तीसरे दिन होंगे तकनीकी सत्र, स्मार्ट इनोवेशन पर चर्चा की होगी बारिश
कॉन्क्लेव का तीसरा और अंतिम दिन और भी खास रहने वाला है, जहां पर स्मार्ट बिल्डिंग्स, ग्रीन एनर्जी, जल प्रबंधन, ICT समाधान और डिजिटल सिक्योरिटी जैसे विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित होंगे। इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और नीति निर्माता शामिल होंगे।
निष्कर्ष
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी का यह आयोजन यह साबित करता है कि शिक्षा संस्थान केवल डिग्री देने वाले केंद्र नहीं, बल्कि विचारों और नीतियों के प्रयोगशाला भी हो सकते हैं। और जब इस तरह के मंचों पर वैश्विक साझेदारी की पहल होती है, तो न सिर्फ शहर बल्कि पूरी सभ्यता की दिशा बदल सकती है।
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