ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
यूएई के खाड़ी देशों में हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए 16 जनवरी को एमिरेट्स नेशनल स्कूल (ईएनएस), शारजाह में ‘खाड़ी देशों में हिंदी शिक्षण की समस्याएँ और समाधान’ विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में शारजाह, दुबई और अजमान के 22 प्रतिष्ठित सीबीएसई विद्यालयों के हिंदी शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य खाड़ी देशों में हिंदी शिक्षण की चुनौतियों को पहचानना और उन पर नवाचारी समाधान प्रस्तुत करना था।
कार्यशाला की शुरुआत: नवाचार और प्रेरणा की झलक
कार्यक्रम का शुभारंभ ईश-वंदना से हुआ, जिसने माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इस अवसर पर भारत से आमंत्रित दो प्रमुख हिंदी विद्वान, डॉ. विनोद ‘प्रसून’ और डॉ. संतोष अलेक्स, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
डॉ. विनोद ‘प्रसून’, जो दिल्ली पब्लिक स्कूल, ग्रेटर नोएडा के हिंदी विभागाध्यक्ष और एनसीईआरटी के विशेषज्ञ हैं, ने अपने प्रेरक संबोधन में शिक्षकों को हिंदी भाषा को बच्चों के लिए रुचिकर और सरल बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “खाड़ी देशों में हिंदी शिक्षण की चुनौतियाँ नई नहीं हैं, लेकिन अपनत्व, प्रेरणा, नवाचार और निष्ठा के बल पर हम बच्चों में हिंदी के प्रति रुचि जगा सकते हैं।”
डॉ. विनोद ‘प्रसून’ के नवाचारी विचार
डॉ. प्रसून ने शिक्षकों को हिंदी शिक्षण के लिए नवाचारी तकनीकों, लयबद्ध गीतों और रोचक प्रयोगों के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने बच्चों के मनोविज्ञान को समझने और भाषा सिखाने के लिए कहानी कहने की विधि को अपनाने पर जोर दिया।
उन्होंने ईएनएस के डायरेक्टर रवि थॉमस, एकेडमिक डायरेक्टर रवीश थॉमस, प्रिंसिपल सुसन जॉन, और हिंदी विभागाध्यक्षा रेणु वर्मा के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन खाड़ी देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होंगे।
डॉ. संतोष अलेक्स: साहित्य के माध्यम से हिंदी को सरल बनाएं
कार्यशाला के दूसरे मुख्य वक्ता, सुप्रसिद्ध अनुवादक और कवि डॉ. संतोष अलेक्स, ने शिक्षकों को साहित्यिक विधाओं को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि काव्य और गद्य पाठों में निहित भावनाओं और मूल्यों को सरल भाषा में बच्चों के बीच प्रस्तुत करने से हिंदी में उनकी रुचि बढ़ाई जा सकती है।
डॉ. अलेक्स ने हिंदी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि संस्कृति और साहित्य की धरोहर के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम का समापन और शिक्षकों का सम्मान
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। शिक्षकों ने इस कार्यशाला को अपने लिए प्रेरणादायक और नवाचारी अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से हिंदी शिक्षण के क्षेत्र में न केवल नए विचारों को बल मिलता है, बल्कि शिक्षकों को अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाने का अवसर भी मिलता है।
कार्यशाला के दौरान शिक्षकों ने हिंदी शिक्षण में आने वाली अपनी समस्याओं को साझा किया और डॉ. विनोद और डॉ. अलेक्स द्वारा सुझाए गए उपायों को सराहा। इस आयोजन ने खाड़ी देशों में हिंदी शिक्षण को एक नई दिशा दी है।
हिंदी शिक्षण में नवाचार का संदेश
कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि हिंदी भाषा को सरल और रुचिकर बनाकर हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी सशक्त बना सकते हैं। यह कार्यशाला न केवल शिक्षकों के लिए एक मार्गदर्शिका बनी, बल्कि बच्चों के लिए हिंदी को एक आनंदमय अनुभव बनाने का मंच भी तैयार किया।
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