GD Goenka Public School News : संस्कृति की ज्योति जगाता भ्रमण, GD गोयंका के छात्रों ने गुरुकुल की 'वैदिक विरासत' को करीब से जाना!, स्कूल प्रशासन का ऐलान "हर महीने होगा संस्कृति दिवस!"
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच सेतु बनाते हुए, जीडी गोयंका स्कूल के छात्रों ने महर्षि पाणिनि गुरुकुल ट्रस्ट के ऐतिहासिक परिसर में एक “सांस्कृतिक यात्रा” का अनुभव किया। यह भ्रमण सिर्फ़ शैक्षणिक नहीं, बल्कि एक “आत्मिक जागरण” था, जहाँ छात्रों ने वेदों की गूँज, गुरुकुल की अनुशासित दिनचर्या, और संस्कारों की महक को अपने दिल में बसाया।
📚 “गुरुकुल: जहाँ समय वेदों की लय में बीतता है!”
महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ की खासियत है कि यहाँ सूर्योदय से पहले ही छात्रों का दिन शुरू हो जाता है। गुरुकुल के आचार्यों ने GD गोयंका के बच्चों को बताया कि यहाँ “ब्रह्म मुहूर्त” (सुबह 4 बजे) में उठकर संध्या वंदन, योगाभ्यास और स्वाध्याय का पाठ किया जाता है। शिक्षक श्री विजय शास्त्री ने समझाया, “यहाँ ‘शिक्षा’ क्लासरूम तक सीमित नहीं। प्रकृति, सेवा और सामूहिक जीवन ही हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।” GD गोयंका के छात्र हैरान थे जब उन्होंने देखा कि गुरुकुल के विद्यार्थी अपने कपड़े स्वयं धोते हैं, भोजन बनाने में सहयोग करते हैं, और अध्ययन के साथ-साथ “श्रमदान” को समान महत्व देते हैं।
🌿 “वैदिक ज्ञान से लैस हो रही नई पीढ़ी: गुरुकुल की पहल!”
औद्योगिक युग में जहाँ बच्चे सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी के बीच खो रहे हैं, महर्षि पाणिनि गुरुकुल “संस्कृति के संरक्षक” की भूमिका निभा रहा है। यहाँ छात्रों को न सिर्फ़ संस्कृत के श्लोक, बल्कि “जीवन के सूत्र” सिखाए जाते हैं—जैसे माता-पिता का आदर, प्रकृति का सम्मान और सामाजिक एकता। गुरुकुल के प्रमुख स्वामी ध्रुवानंद ने GD गोयंका के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “आपके फ़ोन में ‘एप्स’ हैं, पर हमारे पास ‘ऋषियों के अप्सरा (विचार)’ हैं। असली सुख संस्कारों में छिपा है!”
🎁 “कॉपी-पेन से बढ़कर: छात्रों ने बाँटे ‘ज्ञान के उपहार’!”
इस यात्रा के दौरान GD गोयंका स्कूल ने गुरुकुल के छात्रों के लिए “शैक्षणिक किट” भेंट की, जिसमें नोटबुक, स्टेशनरी और पोषणयुक्त खाद्य सामग्री शामिल थी। स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. रेणु सहगल ने अपने संदेश में कहा, “आज आपने देखा कि जीवन की सादगी में कितनी समृद्धि होती है। याद रखें, ईश्वर और गुरु का आशीर्वाद ही सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी है!” GD गोयंका के छात्र आदित्य ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यहाँ आकर एहसास हुआ कि हमारे पूर्वज कितने ज्ञानी थे। अब मैं रोज़ 10 मिनट ध्यान करूँगा!”
🎯 “गुरुकुल का मिशन: पुराने पेड़ों को नई डालियाँ देना!”
महर्षि पाणिनि ट्रस्ट का लक्ष्य सिर्फ़ वेद पढ़ाना नहीं, बल्कि “संस्कृति को जीवंत बनाए रखना” है। यहाँ के पाठ्यक्रम में आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्योतिष का समन्वय है। ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि गुरुकुल के 80% छात्र आईआईटी और मेडिकल जैसे प्रतियोगी क्षेत्रों में सफलता पा चुके हैं, जो साबित करता है कि “संस्कार और सफलता साथ चल सकते हैं!”
✨ “भ्रमण ने बदली सोच: अब क्या कहते हैं छात्र?”
GD गोयंका के कक्षा 9 की छात्रा सृष्टि ने बताया, “गुरुकुल में रहकर पता चला कि बिना एसी के भी ज़िंदगी खुशहाल हो सकती है। यहाँ तो हर पेड़ पाठशाला है!” वहीं, गुरुकुल के छात्र रुद्र ने कहा, “हमें GD गोयंका के बच्चों से बात करके अंग्रेज़ी सीखने की प्रेरणा मिली। अब हम भी ‘ड्यूल एजुकेशन’ पर फ़ोकस करेंगे!”
📢 स्कूल प्रशासन का ऐलान: “हर महीने होगा संस्कृति दिवस!”
इस भ्रमण के प्रभाव को देखते हुए GD गोयंका स्कूल ने घोषणा की कि अब हर महीने “संस्कृति और नैतिकता दिवस” मनाया जाएगा, जिसमें छात्र भारतीय परंपराओं पर प्रोजेक्ट बनाएँगे। प्रधानाचार्य ने कहा, “हम चाहते हैं कि बच्चे टैबलेट के साथ-साथ तुलसी के पौधे का महत्व भी समझें!”
📍 विशेषज्ञों की राय: “ऐसे भ्रमण बनें शिक्षा का हिस्सा!”
शिक्षाविद डॉ. अरुण कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह सही समय है जब स्कूल ‘फ़ील्ड ट्रिप’ के नाम पर मॉल नहीं, बल्कि गुरुकुल भेजें। आत्मनिर्भर भारत की नींव यहीं पड़ेगी!”
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