देशउत्तर प्रदेशताजातरीन

Supreme Court News : न्याय की देवी अब अंधी नहीं, सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक बदलाव, डीवाई चंद्रचूड़ का क्रांतिकारी निर्णय

सुप्रीम कोर्ट, रफ़्तार टुडे। भारतीय न्याय प्रणाली में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम उठाते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की पारंपरिक मूर्ति में महत्वपूर्ण बदलाव का आदेश दिया है। इस बदलाव के तहत न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटा दी गई है और उनके हाथ में तलवार की जगह अब संविधान की किताब दी गई है। यह कदम न्यायपालिका के नए दृष्टिकोण और पारदर्शिता को दर्शाता है, जो कानून के शासन और संविधान की सर्वोच्चता पर बल देता है।

आंखों की पट्टी का हटना: पारदर्शिता का प्रतीक

सदियों से न्याय की देवी की मूर्ति आंखों पर पट्टी के साथ स्थापित की जाती रही है, जो अंध न्याय और निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता था। लेकिन इस ऐतिहासिक फैसले के तहत, मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस पट्टी को हटाने का आदेश दिया है। अब यह मूर्ति न्याय की नई परिभाषा को प्रस्तुत करती है, जहां न्याय पारदर्शी होगा और सत्य पर आधारित होगा। यह फैसला समाज में न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत करने में सहायक होगा।

तलवार की जगह संविधान की किताब: कानून की सर्वोच्चता

न्याय की देवी के हाथ से तलवार को हटाकर अब उनके हाथ में संविधान की किताब रखी गई है। यह परिवर्तन दर्शाता है कि न्याय का आधार अब बल या भय नहीं, बल्कि संविधान और कानून की सर्वोच्चता है। यह बदलाव भारतीय न्यायपालिका के मूल सिद्धांतों को पुनः स्थापित करता है, जिसमें संविधान की रक्षा और पालन प्रमुख है।

यह प्रतीकात्मक बदलाव न केवल न्यायालय की छवि में सुधार करेगा, बल्कि समाज में कानून और संविधान के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा। न्याय की देवी के हाथ में संविधान की पुस्तक यह स्पष्ट संदेश देती है कि न्याय का आधार कानून और उसके नियम हैं, न कि बल का प्रयोग।

समाज पर गहरा प्रभाव

यह ऐतिहासिक निर्णय समाज पर एक गहरा प्रभाव डालेगा। न्याय की देवी की मूर्ति में किया गया यह बदलाव केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि इससे न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में सुधार की दिशा में एक बड़ा संदेश जाता है। यह नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति नई जागरूकता उत्पन्न करेगा और लोकतंत्र की नींव को और अधिक मजबूत बनाएगा।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ का यह निर्णय भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत करता है। यह कदम न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास बढ़ाने और इसे अधिक पारदर्शी और संविधान पर आधारित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

सारांश में: न्याय की नई दिशा

सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति में किए गए ये बदलाव न केवल प्रतीकात्मक हैं, बल्कि न्यायपालिका के मूल्यों और सिद्धांतों को भी पुनः स्थापित करते हैं। यह बदलाव न्यायालय को अधिक पारदर्शी और संवैधानिक रूप से जिम्मेदार बनाने का प्रयास है। अब न्याय की देवी अंधी नहीं, बल्कि सत्य और संविधान की शक्ति से देखेगी।


🛑 Raftar Today व्हाट्सएप चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को टच करें।

Follow the Raftar Today channel on WhatsApp

Twitter (X): Raftar Today (@raftartoday)


Tags #SupremeCourt #JudicialReform #DYChandrachud #JusticeGoddess #ConstitutionOfIndia #RaftarToday #LegalNews #TransparentJustice #IndianJudiciary #LegalRights #JusticeForAll #LawAndOrder #SupremeCourtNews

रफ़्तार टुडे की न्यूज़

Related Articles

Back to top button