Surajpur Barahi Mella : सूरजपुर का ऐतिहासिक बाराही मेला 2025, छठे दिन रागनी, भक्ति और चमत्कारी सरोवर की अद्भुत झलक से गूंज उठा पवित्र धाम, सांस्कृतिक परंपरा, सुरक्षा व्यवस्था और श्रद्धा की त्रिवेणी में डूबा सूरजपुर… ऐतिहासिक सरोवर में डुबकी से दूर हो रहे चर्म रोग

सूरजपुर, रफ़्तार टुडे। बाराही देवी की नगरी सूरजपुर एक बार फिर अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्वरूप में जीवंत हो उठी है। बाराही मेला 2025 के छठे दिन की भव्यता और भावनात्मक रंगों ने हजारों श्रद्धालुओं के दिलों को छू लिया। सोमवार को हुए आयोजन में श्रद्धा, लोक संस्कृति और प्रशासनिक सहयोग की त्रिवेणी ने ऐसी छटा बिखेरी कि पावन धरालोक का कण-कण भक्तिरस से सराबोर हो गया।
शिव मंदिर सेवा समिति ने किया अतिथियों का अभिनंदन, सम्मान समारोह से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत में शिव मंदिर सेवा समिति द्वारा मुख्य अतिथियों, कलाकारों और विशिष्ट आगंतुकों का माल्यार्पण कर तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर भव्य स्वागत किया गया। समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महामंत्री ओमवीर बैसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा, तथा अन्य पदाधिकारी जैसे बिजेंद्र ठेकेदार, सुनील देवधर, अनिल भाटी, रवि भाटी, लीलू भगत जी आदि कार्यक्रम की व्यवस्था में सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।
लोक कलाकारों की रागनियों और नृत्य ने मोहा जनसमूह का मन
मंच पर एक से बढ़कर एक कलाकारों ने रागनियों, भजनों और लोक प्रस्तुतियों से समां बांधा। लोकप्रिय कलाकार रविंद्र खालौर एंड पार्टी की टीम ने प्रीति कश्यप, सुनील चौहान, नीतू भाटी और अमित चौधरी के साथ मिलकर श्रवण नीर, वीर हकीकत राय, अरी तू मत जा जैसी प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
कृष्ण-सुदामा, पूरणमल, रूप कुंवर की कहानियों पर आधारित मंचन को भी खूब सराहा गया। छाया चौधरी के लोकनृत्य और प्रलय किशोर के भजनों ने सांस्कृतिक शाम को विशेष बना दिया। खुशी कौर का नृत्य प्रदर्शन भी श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय रहा।
डिजिटल युग में भी जीवंत है लोक कला : यूट्यूबर प्रदीप भाटी ने गुर्जर सुरमा से जीता दिल
डिजिटल युग में भी लोक संस्कृति की गूंज कम नहीं हुई है। यूट्यूबर प्रदीप भाटी ने गुर्जर सुरमा जैसे देशभक्ति गीतों से युवाओं के दिल में खास जगह बनाई। उनकी प्रस्तुति पर युवाओं ने खूब तालियाँ बजाई और मंच का उत्साह चरम पर पहुँच गया।

प्रशासनिक सहयोग और सुरक्षा की बेहतरीन व्यवस्था
मेले की सफलता में प्रशासन का सहयोग भी अभूतपूर्व रहा। सूरजपुर कोतवाल विनोद कुमार सिंह, कस्बा चौकी प्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव और बाराही मेला पुलिस चौकी प्रभारी राजवीर सिंह ने मंच से श्रद्धालुओं को सुरक्षा व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और भीड़ नियंत्रण के उपायों की जानकारी दी। साथ ही संयम और सहयोग की अपील कर मेले की गरिमा को बनाए रखने का संदेश भी दिया।
प्राचीन चमत्कारी सरोवर : जहां स्नान मात्र से दूर हो जाते हैं चर्म रोग
मेले का सबसे प्रमुख आकर्षण रहा बाराही मंदिर परिसर स्थित चमत्कारी सरोवर, जिसकी आध्यात्मिक और औषधीय मान्यता आज भी श्रद्धालुओं को खींच लाती है। इस सरोवर की गहराई लगभग 10 फीट है और माना जाता है कि इसका निर्माण मंदिर की स्थापना के समय ही हुआ था।
शिव मंदिर सेवा समिति के प्रयासों से सरोवर का सौंदर्यकरण भी कराया गया है। लोककथाओं के अनुसार, कभी यहां 12 कोस की दलदल हुआ करती थी और जल धरती से उबला करता था। एक किंवदंती यह भी है कि कासना से लेकर सूरजपुर तक नौलखा बाग फैला हुआ था, जहां राजकुमारी निहालदे अपनी सखियों संग स्नान करने आया करती थीं।
आल्हा-उदल का रणक्षेत्र और लहुया खार की कथा
समिति अध्यक्ष धर्मपाल भाटी और महासचिव ओमवीर बैसला के अनुसार, यह क्षेत्र आल्हा-उदल की वीरगाथाओं का साक्षी रहा है। यहां कई युद्ध हुए, जिनमें बहा रक्त लहू बनकर बहा और उसी के कारण एक नाले का नाम लहुया खार पड़ा, जिसे अब लोहिया खार कहा जाता है।

सरोवर में उठावनी की परंपरा और आस्था की भावना
आज भी यहां स्नान करने की मान्यता है कि दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग स्वतः समाप्त हो जाते हैं। बाराही मेले के दौरान श्रद्धालु अपने पुराने कपड़े, चादर आदि सरोवर में आर्पित करते हैं जिसे उठावनी कहा जाता है। यह प्रथा खासतौर पर सूरजपुर में बाराही मेले पर निभाई जाती है, जबकि अन्य कस्बों में यह बूढ़े बाबू के मेले में होती है।
नन्हें श्रद्धालु और खेलते कूदते बच्चे भी सरोवर में लेते हैं पुण्य डुबकी
सरोवर के पवित्र जल में न केवल वृद्ध बल्कि बच्चे भी बड़ी श्रद्धा और उत्साह से स्नान करते दिखाई दिए। बच्चों की अठखेलियों से सरोवर के घाटों पर उल्लास का माहौल बना रहा। कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल और मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि सरोवर को संत-महात्माओं की तपोभूमि और सर्वरोग निवारण तीर्थ भी माना जाता है।
आगामी प्रस्तुतियों की घोषणा : 17 अप्रैल को होगा विद्यार्थियों का सांस्कृतिक प्रदर्शन
मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि 17 अप्रैल 2025 को लॉर्ड गणेश पब्लिक स्कूल, सूरजपुर के छात्र-छात्राएँ रंगारंग प्रस्तुतियाँ देंगे। वहीं, राजस्थानी लोक कला मंच पर प्रतिदिन की भांति राजबाला सपेरा और पार्टी लोक नृत्य की छटा बिखेरेंगी। रात्रिकालीन रागनी श्रृंखला में परवीन ताजपुरिया, नेहा शर्मा एंड पार्टी, कवि सुंदर गोहरा, रुस्तम सागर, लेखपाल भाटी, प्रवेश शर्मा, नीतू तोमर, कल्पना चौधरी और तन्नू ठाकुर जैसे कलाकार मंच पर चार चाँद लगाएंगे।
श्रद्धा, परंपरा और संस्कृति की त्रिवेणी बनता बाराही मेला
सूरजपुर का बाराही मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक आस्था का अद्वितीय संगम है। यहां हर दिन श्रद्धा का महासागर उमड़ता है, जहां लोक कलाकारों की प्रस्तुतियाँ संस्कृति से जोड़ती हैं, तो चमत्कारी सरोवर रोगों से मुक्ति का विश्वास देता है। बाराही देवी की यह पावन धरती आने वाले दिनों में और भी अधिक भक्ति, संगीत और श्रद्धा से सराबोर होती रहेगी।
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