नई दिल्ली16 मिनट पहले
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राम कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि राम नाम बढ़ता जाता है तो काम कमजोर पड़ता जाता है। जीवन में राम नाम बढ़े, इसके सहज प्रयास किए जाने चाहिए। सिरी फोर्ट स्टेडियम में चल रही नौ दिवसीय राम कथा के सातवें दिन साधु चरित महिमा का गुणगान करते हुए बापू ने कहा कि साधु वो है जो सब स्थिति को स्वीकार करता है। किसी से कभी भी कोई कामना उसके मन में आती ही नहीं। कामना से मुक्त वो ही हो सकता है जो निरंतर राम का नाम लेता है। मानस में गोस्वामी जी ने कहा है कि राम के भजन के बिना काम नहीं हटता। राम नाम बढ़ता है तो कामना कमजोर पड़ने लगती है।
बापू ने कहा कि साधु विनय भाव में रहता है और प्रसन्न रहता है। साधु कौन, जहां शांति ठहरती है। जहां शांति भी विश्राम करती है। कभी-कभी शांति को शांति चाहिए तो वो साधु के पास ठहर जाती है। हम सब का अनुभव है कि साधु के पास शीतलता मिलती है। साधु का स्वभाव ही है शीतलता और सरलता। कुटिलता का वहां कोई स्थान ही नहीं है। वाणी की सरलता, वेष की सरलता, व्यवहार की सरलता, भोजन की सरलता। साधु हमारे घर आए तो ऐसा लगता है कि कोई निर्दोष बच्चा खेलने आया है। उसका उठना, बैठना सब सहज होता है। इसी संदर्भ में बापू ने कहा कि कहीं हम जाएं और उसे बोझ लगे तो वहां नहीं जाना चाहिए। जो हमें याद करता हो, उसके घर जरूर जाना चाहिए।