शिक्षा के मंदिर को बना दिया शॉपिंग मॉल, अभिभावकों के साथ खुलेआम लूट की जा रही है, बच्चे स्कूल के एडवरटाइजिंग बोर्ड है?
ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। हर चीज आप को स्कूल से लेनी है किताब आप को स्कूल से लेनी है कॉपी स्कूल के नाम की होनी चहिये। यूनिफॉर्म आप को स्कूल से लेनी है टाई बेल्ट आप को स्कूल से लेनी है स्कूल बैग आप को स्कूल से लेना है बस एक चीज आप बाहर से ले सकते हैं और वह है शिक्षा। शिक्षा के लिए आप बाहर से ट्यूशन लगा सकते हैं अगर स्कूल वालों का बस चले तो बच्चों के लिए आटा चावल भी स्कूल से ही देने लगे। स्कूल जब चाहे मां बाप से छड़ी घुमा करके पैसा निकाल लेता है बस ड्रेस का कलर ही तो चेंज करना है, या बुक दूसरे राइटर की लगानी होती है, सरकार ने बड़े-बड़े नियम बनाए हैं लेकिन स्कूलों पर उनका असर कुछ भी नहीं हुआ।
जिला प्रशासन बड़े-बड़े दावे करता है
जिला प्रशासन कहता है कि स्कूलों में बुकशॉप नहीं होगी। स्कूल बच्चों को बाध्य नहीं कर सकते कि वह सिर्फ उन्ही की शॉप से किताबें और ड्रेस खरीदें। जबकि यह सभी बातें सिर्फ हवा हवाई है। ऐसा कोई स्कूल नहीं है जहां पर बुकशॉप नहीं चल रही हो और वहीं से बच्चों को थैली नहीं दिए जा रहे हो। किताबें नहीं बल्कि थैलों के रेट फिक्स है स्कूल वालों ने पहले से ही क्लास के अनुसार थैला पैक कर रखे हैं और आपको पूरा थैला ही लेना होगा। आप ऐसा नहीं कर सकते कि सिर्फ आपको जिन चीजों की जरूरत है उन्हीं को ले ऐसा नहीं है आप पूरा थैला लेने के लिए बाध्य है।
कुछ स्कूलों बच्चों को बाहर निकाल कर खड़ा करने लगे हैं कि सब लोग इन्हें देख लो यह वह बच्चे हैं जिनकी फीस समय पर जमा नहीं हो पाई है और लेट फीस पेनल्टी भी लेते है पैर दिन के हिसाब से। बच्चे शर्म की वजह से स्कूल से छुट्टी लेने लगते हैं उनके दोस्तों के सामने उन्हें बाहर खड़ा होना पड़ता है पैसे के लिए बार-बार सुनाया जाता है जिस बच्चे ने पूरी साल मेहनत करके पढ़ाई की है पैसे के लिए उसे एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाता है।
बच्चे स्कूल के एडवरटाइजिंग बोर्ड है?
जिस भी जगह पर कहीं भी कोई एडवरटाइजिंग की जाती है उसका जगह के मालिक को कुछ ना कुछ पैसा दिया जाता है। लेकिन आपने देखा होगा स्कूल हमारे बच्चे के स्कूल बैग पर, शर्ट पर, टाई पर, बेल्ट पर, वाटर बोतल पर, कॉपी पर आदि जगह पर स्कूल का एडवर्टाइजमेंट करता है स्कूल का नाम लिखता है क्या कोई फ्री में अपनी जगह पर एडवर्टाइजमेंट करने देता है। तो फिर हमारे बच्चे क्या स्कूल के एडवरटाइजमेंट बोर्ड है? जब स्कूल हर चीज के पैसे लेता है तो बच्चों को भी स्कूल की एडवर्टाइजमेंट करने का पैसा मिलना चाहिए कम से कम जिन कॉपियों पर स्कूल का नाम लिखा होता है वह तो फ्री मिलनी ही चाहिए।
शिक्षा अब शिक्षकों के हाथ में नहीं रही, उद्योगपति और नेताओं के हाथ में पहुंच चुके हैं
स्कूल मालिक अभिभावकों को सिर्फ पैसा देने वाली मुर्गी समझते है उन्हें आपके बच्चे की शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है शिक्षा अब शिक्षकों के हाथ में नहीं रही, उद्योगपति और नेताओं के हाथ में पहुंच चुके हैं ज्यादातर प्राइवेट स्कूल सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से ही खोले गए। प्रशासन के सारे नियम कायदे इनके सामने बोने नजर आते हैं ऐसा नहीं है कि इनके कारनामे अधिकारियों को नहीं पता है लेकिन वह भी इनका कुछ नहीं कर पा रहे हैं या तो वह कुछ करना नहीं चाहते या कुछ कर नहीं पा रहे हैं यह तो वही जाने।