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Navratan Foundation News : नवरत्न फाउंडेशन का 23वाँ वार्षिकोत्सव, सामाजिक सेवा, समर्पण और संगीत की त्रिवेणी, जहाँ संवेदना बन गई संस्कार और सेवा बन गई संकल्प, फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक व पूर्व न्यायाधीश अरविंद श्रीवास्तव व पूर्व जिलाधिकारी एन.पी. सिंह रहे मौजूद

नोएडा, Raftar Today। सामाजिक चेतना कोई किताबों में पढ़ी जाने वाली अवधारणा नहीं, यह एक जीवंत अहसास है, जो कभी किसी झुग्गी में भोजन बांटते हाथों में दिखता है, तो कभी किसी पीड़ित महिला की आंखों में उम्मीद बनकर चमकता है। और जब इस चेतना को संस्थागत रूप मिलता है, तो वह नवरत्न फाउंडेशन जैसे संगठनों के रूप में सामने आता है, जो निःस्वार्थ सेवा और मानवीय मूल्यों के प्रतीक बन जाते हैं।

23 वर्षों का सामाजिक यज्ञ, जिसकी लौ अब और भी प्रज्वलित हुई

नवरत्न फाउंडेशन का 23वाँ वार्षिकोत्सव इस बार केवल एक समारोह नहीं रहा, यह एक जीवंत सामाजिक दस्तावेज बन गया, जहाँ हर सम्मानित चेहरा किसी पीड़ा को ढकने वाली छांव की तरह था। नोएडा के एनईए सभागार में आयोजित यह आयोजन “समर्पण” की भावना के साथ सैकड़ों दिलों को जोड़ गया।

जैसे ही दीप प्रज्ज्वलन हुआ, वह केवल ज्योति नहीं, बल्कि उस अंधकार से जूझती आशाओं की रौशनी थी, जो समाज के उपेक्षित वर्गों को दिशा दिखा रही थी। इस मंच पर ना कोई बड़ा था, ना छोटा। हर वह व्यक्ति बड़ा था, जिसने समाज के लिए कुछ किया – निःस्वार्थ, नि:शब्द, लेकिन प्रभावशाली।

नायकों की परेड नहीं, संवेदना का उत्सव

बिहार से चंदन कुमार दुबे हों या धारवाड़ से आईं अनन्या पॉल, दिल्ली की PARI संस्था हो या नोएडा के विक्की यादव – इन सबका योगदान समाज के उस क्षेत्र में रहा, जहाँ सरकारें भी नहीं पहुंच पातीं। इन सभी को नवरत्न सम्मान से नवाज़ा गया – एक प्रतीक चिह्न, उत्तरवस्त्र और ₹11,000 की सम्मान राशि के साथ।

यह सिर्फ पुरस्कार नहीं थे, यह समाज के उन अनकहे संघर्षों की मान्यता थी जो इन नायकों ने जिए हैं। मंच पर हर नाम एक आंदोलन था, हर मुस्कान एक जंग का अंत और एक नई शुरुआत।

मूल्य नहीं, मन से चुने गए सम्मानित व्यक्ति

फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक व पूर्व न्यायाधीश श्री अरविंद श्रीवास्तव ने भावविह्वल होकर कहा, “यह संस्था नहीं, एक आत्मा है, जो 500 से अधिक सेवाभावियों को सम्मानित कर चुकी है।” वहीं, पूर्व जिलाधिकारी एनपी सिंह ने नवरत्न को “संत” की संज्ञा दी और डॉ. अशोक श्रीवास्तव को “सच्चा सेवक” बताया।

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नवरत्न फाउंडेशन का 23वाँ वार्षिकोत्सव, सामाजिक सेवा

पूर्व जिलाधिकारी एन.पी. सिंह ने कहा कि किसी संस्था को मैं संत कहूँ, तो वह नवरत्न है

पूर्व जिलाधिकारी एन.पी. सिंह का वक्तव्य जैसे आत्मा को छू गया, यदि किसी संस्था को मैं संत कहूँ, तो वह नवरत्न है… और यदि किसी व्यक्ति को सच्चा सेवक कहूँ, तो वह हैं इसके संस्थापक डॉ0 अशोक श्रीवास्तव।

संगीत ने भरा उत्सव में रंग, सुरों ने संवेदना को स्पर्श किया

गायक दिवाकर शर्मा और अन्य कलाकारों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को भावनाओं की उस ऊँचाई पर पहुंचा दिया, जहाँ शब्द भी मौन हो जाते हैं और सिर्फ अनुभूति बचती है। यह सिर्फ सुरों की प्रस्तुति नहीं थी, यह सेवा की धड़कनों की लयबद्ध अभिव्यक्ति थी।

500 से अधिक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने रच दिया स्वर्णाक्षरी इतिहास

इस विशेष अवसर पर कार्यक्रम में शामिल हुए:
राज्यसभा के पूर्व सचिव प्रदीप चतुर्वेदी, महिला आयोग की अध्यक्षा विमला बाथम, अंतरराष्ट्रीय वक्ता जमील अहमद, कनाडा से आए रोहित श्रीवास्तव, वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी, भारत सरकार के सयुंक्त सचिव राजीव श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव (चुनाव आयोग) रोहित श्रीवास्तव, डॉ वी एस चौहान, विंग कमांडर आशिष सक्सेना, आयुर्वेदाचार्य डॉ कल्पना भूषण, आचार्य गौत्तम ऋषि, आदित्य घिल्डियाल, अनु खान, राकेश कोहली, ग्रुप कैप्टन जी सी मेहरा, रजनी शर्मा, कर्नल अमिताभ अमित, ओपी गोयल और अन्य गणमान्य व्यक्ति।

इन सभी ने न केवल आयोजन की गरिमा बढ़ाई बल्कि समाजसेवा की इस श्रृंखला को अपना नैतिक समर्थन भी प्रदान किया।

संस्थापक डॉ. अशोक श्रीवास्तव: समर्पण के पुरोधा

कार्यक्रम के अंत में संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, सम्मानितों और सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह आयोजन एक पड़ाव है, अंत नहीं। जब तक समाज का कोई व्यक्ति पीड़ा में है, नवरत्न का संकल्प जाग्रत रहेगा।”

निष्कर्ष: समर्पण नहीं रुकेगा, संवेदना थमेगी नहीं

“समर्पण” कोई औपचारिक उत्सव नहीं, यह सेवा की सरिता का तटबंध है, जो अनवरत बहता रहेगा। नवरत्न फाउंडेशन का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श है – कि समाज का निर्माण केवल इमारतों से नहीं, बल्कि इंसानियत से होता है।

यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि जब समाज की अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति भी आत्मसम्मान से सिर उठा सके, तभी हम सच्चे लोकतांत्रिक, संवेदनशील और सामाजिक बन पाएंगे।


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