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Greater Noida Authority News : ग्रेटर नोएडा में गंदगी फैलाने वालों पर टूटा प्रशासनिक कहर!, ट्वॉय सिटी में लापरवाही देख बिफरीं एसीईओ, ठेकेदार पर ₹2 लाख जुर्माना, एक हफ्ते में सफाई नहीं सुधरी तो होगी ब्लैकलिस्टिंग और बर्खास्तगी


ग्रेटर नोएडा, Raftar Today।
ग्रेटर नोएडा को स्वच्छ और व्यवस्थित शहर के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रशासन ने अब और भी सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। मंगलवार को प्राधिकरण की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) श्रीलक्ष्मी वीएस ने जब ट्वॉय सिटी और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का निरीक्षण किया तो सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई। कई स्थानों पर कूड़ा करकट जमा, नालियों में गंदगी, और सड़कों पर फैला मलबा देखकर एसीईओ का पारा चढ़ गया। नतीजा – संबंधित सफाई ठेकेदार पर ₹2 लाख का जुर्माना, सफाई उपनिरीक्षक और सुपरवाइजर का वेतन रोका गया, और चेतावनी दे दी गई कि एक सप्ताह में सुधार नहीं हुआ तो सेवा समाप्ति और ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई होगी।


🏙️ शहर नहीं, ‘कूड़ा घर’ बना ट्वॉय सिटी!

इकोटेक-3 सेक्टर के तहत आने वाले ट्वॉय सिटी और गांव हबीबपुर व डेरीन के छह फीसदी भूखंड क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था की हालत बदहाल थी। जगह-जगह कूड़े के ढेर, खुले में पड़े प्लास्टिक और मलबे से गुजरती सड़कें किसी सभ्य क्षेत्र की नहीं बल्कि उपेक्षित बस्ती की तस्वीर पेश कर रही थीं। इन हालातों को देखकर एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।


ठेकेदार को ₹2 लाख का झटका, अधिकारियों की तनख्वाह पर ब्रेक

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि सफाई ठेकेदार बिमलराज कॉन्ट्रैक्टर ने क्षेत्रीय सफाई कार्यों में घोर लापरवाही बरती है। कचरे को समय पर नहीं उठाया गया, कर्मचारियों की उपस्थिति भी संदिग्ध पाई गई। इस पर प्राधिकरण ने ₹2 लाख का जुर्माना लगाया, जो कि अब तक की सबसे सख्त कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।

इसके अलावा, संबंधित सफाई उपनिरीक्षक और सुपरवाइजर के वेतन को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश भी जारी किया गया है। एसीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि तय समयसीमा में सुधार नहीं हुआ, तो दोनों अधिकारियों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी और फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा


“कचरा हटाइए नहीं तो सेवा छोड़िए” – श्रीलक्ष्मी वीएस का स्पष्ट संदेश

निरीक्षण के बाद मीडिया से बातचीत में एसीईओ ने कहा,

“हम ग्रेटर नोएडा को एक साफ-सुथरा और स्मार्ट शहर बनाना चाहते हैं। ऐसे में कोई भी ठेकेदार या अधिकारी यदि अपने कार्य में लापरवाही बरतेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। सफाई कार्यों को लेकर कोई कोताही नहीं चलेगी। यह जनता की बुनियादी जरूरत है और इस पर समझौता नहीं किया जा सकता।”


सीईओ एनजी रवि कुमार के आदेशों पर हो रही सख्त निगरानी

प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने पहले ही सभी अधिकारियों को निर्देश दे रखा है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों और सफाई व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग करें। इसी निर्देश के पालन में एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने इस दौरे को अंजाम दिया। वे निरीक्षण के दौरान खुद गलियों में उतरीं, लोगों से संवाद किया और सड़कों, सीवर और गलियों की स्थिति का फिजिकल वेरिफिकेशन किया।


जनता में उम्मीद की किरण, मिली प्राधिकरण की पहल को सराहना

स्थानीय निवासियों ने प्राधिकरण की इस सख्त कार्यवाही का स्वागत किया है। हबीबपुर निवासी राकेश चौधरी ने कहा,

“पहली बार कोई अधिकारी यहां खुद आकर सफाई व्यवस्था देख गया है। पहले सिर्फ कागज़ी काम होता था, लेकिन अब कार्रवाई हो रही है, इससे सुधार की उम्मीद है।”


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ट्वॉय सिटी में लापरवाही देख बिफरीं एसीईओ, ठेकेदार पर ₹2 लाख जुर्माना, एक हफ्ते में सफाई नहीं सुधरी तो होगी ब्लैकलिस्टिंग और बर्खास्तगी

एक हफ्ते का अल्टीमेटम, फिर होगी ‘नो मर्सी’ नीति

प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि एक सप्ताह के भीतर सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठीक हो जानी चाहिए। अगले निरीक्षण में भी गड़बड़ी पाई गई तो ठेकेदार को हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और प्राधिकरण के सफाई अधिकारी भी नहीं बच पाएंगे।


डिजिटल निगरानी भी शुरू, नागरिक कर सकेंगे रिपोर्ट

प्राधिकरण अब सफाई और विकास कार्यों की निगरानी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी सहारा ले रहा है। आने वाले समय में जनता अपने स्मार्टफोन से ही कचरे, गंदगी और अव्यवस्था की शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सकेगी। इससे जवाबदेही और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित होगी।


🚮 सफाई नहीं तो ठेका नहीं – ग्रेटर नोएडा प्रशासन की नई नीति

इस पूरी कार्यवाही से यह स्पष्ट हो गया है कि अब “काम करो या हटो” की नीति पर प्राधिकरण काम कर रहा है। ठेकेदारों को ठेका तभी मिलेगा जब वे तय मानकों के अनुसार सेवाएं देंगे, वरना प्राधिकरण बगैर किसी देरी के कार्रवाई करेगा।


निष्कर्ष – जब अफसर सड़कों पर उतरें, तब दिखे असली सुधार

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने साबित कर दिया कि यदि अफसर खुद फील्ड में उतरें, तो बदलाव मुमकिन है। श्रीलक्ष्मी वीएस का यह दौरा न केवल लापरवाह ठेकेदारों के लिए चेतावनी है, बल्कि ईमानदारी से काम कर रहे कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन है। आने वाले दिनों में इस अभियान का प्रभाव पूरे शहर में देखने को मिल सकता है।


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