फरीदाबाद4 घंटे पहले
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कोरोना महामारी के दौरान ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में तेजी आई थी। हालांकि अब स्थिति में सुधार है लेकिन संभलने की खास जरूरत है। यह कहना है एस्कॉर्ट फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता का। वे वर्ल्ड स्ट्रोक डे से एक दिन पहले गुरुवार को आयोजित जागरुकता सेमिनार को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। एक साल में करीब 450 से ज्यादा मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंचे। इनमें से आधे से ज्यादा मरीजों की पूरी तरह से रिकवरी सफल रही। खास बात यह है कि यह बीमारी अब बुजुर्गों के साथ युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। इसलिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।
थ्रोम्बोलिसिस तकनीक से इलाज आसान:
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि आधुनिक समय में ब्रेन स्ट्रोक की समस्या बढ़ती जा रही है। इससे भारत में हर साल 15 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं और ब्रेन स्ट्रोक के कारण स्थायी विकलांगता का शिकार हो रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक दुनियाभर में मृत्यु व विकलांगता का प्रमुख कारण है। फरीदाबाद में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसका प्रमुख कारण है लोगों में जागरूकता की कमी। स्ट्रोक की पहचान चेहरा टेढ़ा हो जाना, आवाज बदलना, शरीर के एक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है। लक्षणों को समझ कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।
दो प्रकार का होता है ब्रेन स्ट्रोक ब्रेन:
स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। पहला सिस्मिक स्ट्रोक होता है। इसमें दिमाग की नसों में रक्त प्रवाह किसी अवरोध के कारण रुक जाता है। दिमाग की नली में खून का थक्का जमने से भी ब्रेन हेमरेज हो जाता है। जबकि दूसरा प्रकार हेमरेजिक स्ट्रोक होता है। इसमें दिमाग की नस से रक्तस्राव होने लगता है। इसमें मरीज को लकवा मार जाता है। कई मामले में मरीज की जान जाने का खतरा भी रहता है।
ब्रेन स्ट्रोक का नई तकनीक से उपचार:
डॉ. गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक के इलाज के लिए थ्रोम्बोलिसिस थैरेपी केवल साढ़े चार घंटे के भीतर ही स्ट्रोक के मरीज पर कारगर रहती है। यदि इस दौरान मरीज को इंजेक्शन की खुराक मिल जाए तो उसकी जान को आसानी से बचाया जा सकता है। क्योंकि ट्रांसिएंट एस्केमिक स्ट्रोक आने पर इंजेक्शन लगते ही तत्काल क्लॉट हटने लगता है और मरीज ठीक हो जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक बीमारी से बचने के उपाय:
– शुगर की नियमित जांच कराना
– ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना
– सामान्य मात्रा में मीठे का सेवन करना
– घी, बटर सहित तैलीय चीजों का सेवन कम करना
– डाइट में फल ओर सब्जियों का सेवन ज्यादा करना