Greater Noida Authority News : "कूड़ा नहीं अब बनेगा कमाई का ज़रिया, ग्रेटर नोएडा के अस्तौली में शुरू हुआ 300 टीपीडी बायो-CNG प्लांट का निर्माण, कूड़े से निकलेगी गैस, चलेगी गाड़ियां, होगी प्राधिकरण की तगड़ी कमाई!"

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा को साफ, हरित और स्वच्छ शहरों की सूची में शुमार कराने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की गई है। कूड़े के ढेर और गंदगी की छवि को मिटाकर तकनीकी और नवाचार की राह पर चलते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब कूड़े से कमा कर दिखाएगा। प्राधिकरण ने अस्तौली गांव में 300 टन प्रतिदिन क्षमता वाले बायो-CNG प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया है। यह उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे एनसीआर क्षेत्र में कचरा प्रबंधन का एक क्रांतिकारी मॉडल बन सकता है।
11.5 एकड़ में फैला ये प्रोजेक्ट बदल देगा शहर की तस्वीर
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने रिलायंस बायो एनर्जी को 25 साल की लीज पर 11.5 एकड़ जमीन दी है, जहां यह अत्याधुनिक बायो-CNG प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य सिर्फ कूड़े का निस्तारण नहीं है, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हुए ग्रीन फ्यूल तैयार करना है। शुक्रवार को कंपनी ने जमीन पर प्लांट निर्माण का कार्य शुरू कर दिया।
इस पहल से न सिर्फ वातावरण की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि शहर में गंदगी की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो जाएगी। 300 टन प्रतिदिन गीले कूड़े को इस प्लांट में प्रोसेस किया जाएगा, जिससे बायो-CNG गैस तैयार होगी। यह गैस वाहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जाएगी, जिससे पेट्रोल-डीज़ल पर निर्भरता घटेगी।
सीईओ एनजी रवि कुमार की निगरानी में बनी कार्य योजना
इस परियोजना की नींव ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ श्री एनजी रवि कुमार द्वारा रखी गई थी। उन्होंने स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए एक कार्य योजना बनाई, जिसके तहत 2024 में आरएफपी यानी ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल’ निकाला गया। रिलायंस बायो एनर्जी कंपनी इस प्रक्रिया में चयनित हुई और मार्च 2025 में दोनों के बीच समझौता हो गया।
प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने इस बारे में बताया कि यह प्लांट पूरी तरह से कूड़े को प्रोसेस करेगा और बायो-CNG गैस तैयार करेगा, जिसे वाहनों में सीधे तौर पर उपयोग किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, प्राधिकरण को प्रति टन कूड़ा प्रोसेस करने पर 225 रुपये की रॉयल्टी भी मिलेगी।

बिना खर्च, बेशुमार फायदा: प्राधिकरण को मिलेगा रॉयल्टी और पर्यावरण को राहत
यह प्लांट प्राधिकरण के लिए ‘विन-विन’ सौदा है। कूड़ा देने के एवज में न तो कोई राशि चुकानी होगी और न ही कोई अन्य खर्च। इसके विपरीत, प्राधिकरण को 225 रुपये प्रति टन की दर से रॉयल्टी भी प्राप्त होगी। यानी यदि प्रतिदिन 300 टन कूड़ा प्रोसेस होता है, तो प्राधिकरण को रोजाना 67,500 रुपये और सालाना करोड़ों की आमदनी होगी।
बात यहीं खत्म नहीं होती—इस प्लांट के चलते ग्रेटर नोएडा का पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा, कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से होगा और साथ ही वाहनों को सस्ती और हरित ऊर्जा भी मिलेगी। यह परियोजना केंद्र और राज्य सरकार की ग्रीन एनर्जी और स्वच्छ भारत मिशन को भी गति देगी।
डेढ़ साल में तैयार होगा पूरा प्लांट, तय समय में पूरा करने की जिम्मेदारी
रिलायंस बायो एनर्जी कंपनी इस प्लांट का निर्माण डेढ़ साल में पूरा करेगी। यानी 2026 के मध्य तक ग्रेटर नोएडा की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है। इस प्लांट में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचेगी।
यह प्लांट एक ‘क्लोज्ड सिस्टम’ के तहत काम करेगा, जहां कूड़े से दुर्गंध, गंदगी और कीटाणुओं का निस्तारण वैज्ञानिक तरीकों से किया जाएगा। इससे आसपास के गांवों और शहरी इलाकों को कोई परेशानी नहीं होगी, बल्कि रोजगार और स्थानीय विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे।
सिर्फ स्वच्छता नहीं, रोजगार और स्थानीय विकास का भी केंद्र बनेगा यह प्लांट
इस प्लांट से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा। स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्लांट संचालन से जोड़ने की योजना है। इससे गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और शहर की ओर पलायन भी रुकेगा। इसके साथ ही बायो-उर्वरक का उत्पादन भी संभव है, जिससे खेती-किसानी को नई दिशा मिलेगी।

प्राधिकरण का संदेश साफ: कूड़े को समस्या नहीं, समाधान मानो!
सीईओ एनजी रवि कुमार का स्पष्ट संदेश है कि अब हमें कूड़े को सिर्फ समस्या नहीं, बल्कि संसाधन के रूप में देखना होगा। यह परियोजना एक ऐसा उदाहरण है, जिसमें बिना खर्च किए, न सिर्फ शहर को साफ किया जा रहा है बल्कि उससे ऊर्जा, रोजगार और आमदनी भी पैदा की जा रही है।
ग्रेटर नोएडा की जनता को मिलेगा साफ-सुथरा और ग्रीन शहर
इस पहल से ग्रेटर नोएडा की छवि में बड़ा बदलाव आएगा। शहर की सड़कों पर पड़ा कूड़ा अब एक नई कहानी लिखेगा—हर कचरा अब ऊर्जा बनेगा, आमदनी का जरिया बनेगा। स्वच्छता के साथ-साथ तकनीक का ऐसा संगम विरले ही देखने को मिलता है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि…
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह पहल आने वाले समय में देश के अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। यह सिर्फ प्लांट नहीं, बल्कि स्वच्छता, समृद्धि और सतत विकास की ओर उठाया गया एक निर्णायक कदम है।
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