Corruption Free India News : शिक्षा और स्वास्थ्य पर हक़ की लड़ाई, किसानों के हक के लिए 6 मार्च को होगा बड़ा आंदोलन, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तक निकलेगा पैदल मार्च
संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा, "अगर प्राधिकरण इन नियमों को लागू नहीं करता, तो हम आंदोलन को और तेज़ करेंगे। हमारी मांगें पूरी होने तक हम पीछे नहीं हटेंगे।"

बिलासपुर, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा में स्थानीय किसानों और युवाओं के अधिकारों की लड़ाई तेज़ होती जा रही है। करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने 6 मार्च को एक बड़े पैदल मार्च और आंदोलन का ऐलान किया है, जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर दबाव बनाया जाएगा कि वह लीज डीड में शामिल शिक्षा और स्वास्थ्य में छूट के नियमों को सख्ती से लागू करे। इसके अलावा, स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की शर्त को भी प्रभावी रूप से लागू करने की मांग की जाएगी।
लीज डीड के नियमों का पालन नहीं, किसानों और युवाओं के हक़ पर चोट
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा निजी अस्पतालों और स्कूलों को दी जाने वाली जमीन की लीज डीड में यह शर्त रखी गई थी कि स्थानीय किसानों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य और शिक्षा में विशेष छूट मिलेगी। इसके अलावा, स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाएगा। लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद ये नियम केवल कागज़ों में ही सीमित रह गए हैं।
करप्शन फ्री इंडिया संगठन के कोर कमेटी सदस्य मास्टर दिनेश नागर ने बताया कि संगठन इस अन्याय के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा,
“हम किसानों के बच्चों की शिक्षा और उनके परिवारों के इलाज में छूट दिलवाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। 6 मार्च को विप्रो गोलचक्कर से प्राधिकरण कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला जाएगा और अधिकारों के लिए आंदोलन किया जाएगा।”
गांवों में तेज हुआ जनसंपर्क अभियान, आंदोलन के लिए जुट रही भीड़
इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए करप्शन फ्री इंडिया संगठन के जिला अध्यक्ष प्रेम प्रधान के नेतृत्व में गांव-गांव जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। संगठन के सदस्य जुनेदपुर, झालडा, गिरधरपुर, बिलासपुर और बरसात गांव में पहुंचकर ग्रामीणों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रदर्शन में भाग लेने की अपील कर रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जब लीज डीड में यह नियम तय हैं, तो अस्पताल और स्कूल इसे लागू क्यों नहीं कर रहे? यदि यह नियम लागू नहीं किए जाते, तो वे अस्पतालों और स्कूलों के खिलाफ उग्र आंदोलन छेड़ेंगे।
किसानों और युवाओं के हक की लड़ाई में कौन-कौन होंगे शामिल?
इस आंदोलन को लेकर ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा,
“अगर प्राधिकरण इन नियमों को लागू नहीं करता, तो हम आंदोलन को और तेज़ करेंगे। हमारी मांगें पूरी होने तक हम पीछे नहीं हटेंगे।”
इस दौरान कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं:
मुन्नीलाल नागर, धीरज नागर, संजय सिंह, कुलदीप एडवोकेट, भंवर सिंह, वीरेंद्र एडवोकेट, लेखराज हवलदार, केशराम नागर, मोहित नागर, रतनपाल, आलोक, अभिषेक, सौरभ नागर, यशपाल, सरजीत, श्रीपाल सिंह, लखमीचंद शर्मा, मेघराज सिंह, नरेंद्र नागर, मुंदराज नागर, सुमित नागर, संदीप, यूसुफ, पवन, हरचंदा, बलराज सिंह, रमेश नागर, केशव, रिंकू बैंसला, रविंद्र प्रधान, कमल भाटी, जतन भाटी, डल्लू, मनोज भाटी, जीत ठेकेदार, ऋषि, नवाब नागर, राम, हरज्ञान, हरेंद्र, पंकज आदि।
अस्पताल और स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की जरूरत
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा के प्राइवेट स्कूल और अस्पताल लीज डीड के नियमों का पालन करने के बजाय मनमानी कर रहे हैं।
- अस्पतालों में महंगे इलाज के चलते स्थानीय किसान परेशान हैं।
- स्कूलों में बच्चों की फीस में छूट नहीं दी जा रही।
- स्थानीय युवाओं को नौकरी देने के बजाय बाहरी लोगों को रखा जा रहा है।
संगठन के मुताबिक, अगर जल्द ही किसानों को उनका हक़ नहीं मिला, तो वे प्राधिकरण के खिलाफ और कड़े कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
6 मार्च को होगा शक्ति प्रदर्शन, क्या बोले संगठन के नेता?
करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन सिर्फ शुरुआत है। अगर मांगे पूरी नहीं हुई, तो इसे और बड़ा किया जाएगा।
संगठन के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य लखमीचंद शर्मा ने कहा,
“हमने अब ठान लिया है कि जब तक शिक्षा और स्वास्थ्य में किसानों को उनका हक़ नहीं मिलेगा, हम चैन से नहीं बैठेंगे। यह आंदोलन किसानों की मजबूरी नहीं, बल्कि उनकी ताकत का प्रदर्शन होगा।”
क्या है किसानों की मांग?
- निजी अस्पतालों में किसानों और उनके परिवारों के लिए इलाज पर विशेष छूट मिले।
- निजी स्कूलों में किसानों के बच्चों की शिक्षा पर फीस में भारी छूट दी जाए।
- स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए।
- प्राधिकरण लीज डीड के नियमों को तुरंत लागू कराए।
क्या कहता है कानून?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण लीज डीड के तहत दी गई जमीन पर बने संस्थानों से यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि वे स्थानीय निवासियों को लाभ दें। लेकिन प्राधिकरण की लापरवाही के कारण ये नियम अब तक केवल कागज़ों पर ही सीमित हैं।
अब आगे क्या होगा?
अब सबकी निगाहें 6 मार्च पर टिकी हैं, जब हजारों किसान, युवा और ग्रामीण सड़कों पर उतरेंगे और प्राधिकरण पर दबाव बनाएंगे।
अगर प्राधिकरण ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो संगठन आगे और बड़े प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है।
क्या प्रशासन सुन पाएगा किसानों की आवाज़?
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है। क्या अस्पताल और स्कूलों को किसानों के लिए छूट देनी होगी? या फिर ये आंदोलन और तेज़ होगा?
6 मार्च को ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर हज़ारों किसानों की आवाज़ गूंजेगी।
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