सोनीपतएक घंटा पहले
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हरियाणा महिला आयोग के सामने अनोखा मामला आया है। गुरुग्राम से जुड़े इस मामले में एक युवती ने एक साल के अंदर 7 अलग-अलग लोगों पर रेप के मामले दर्ज कराए हैं। इस मामले का संज्ञान लेते हुए हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि इन केसों की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई जाए। आयोग ने इस मामले को अनोखा केस मानते हुए यह निर्देश दिए।
महिला आयोग की अध्यक्ष प्रीति भारद्वाज दलाल के अनुसार, तीन दिन पहले, 24 अक्टूबर को गुरुग्राम पुलिस ने 20 साल की युवती की शिकायत पर एक व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामल दर्ज किया। इस केस के साथ ही युवती चर्चा में आ गई। सोशल मीडिया और अखबारों में खबरें आईं कि यह युवती एक साल में अलग-अलग पुलिस थानों में रेप और यौन उत्पीड़न के सात केस दर्ज करा चुकी है। कुछ लोगों ने राज्य महिला आयोग में इसकी शिकायत करते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई। सभी केसों को संदेहास्प्द बताते हुए सीएम को भी शिकायतें भेजी गई। मामला बढ़ता देखकर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने डीजीपी को व्यापक जांच के निर्देश दे दिए।
हरियाणा महिला आयोग की ओर से डीजीपी को लिखा गया लेटर।
पांच सदस्यीय टीम करें जांच
महिला आयोग की अध्यक्ष प्रीति भारद्वाज दलाल ने बुधवार को बताया कि महिला आयोग ने हरियाणा के डीजीपी पीके अग्रवाल को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि युवती की ओर से दर्ज कराए गए मामलों की जांच के लिए SIT बनाई जाए। SIT की प्रमुख एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी को बनाया जाए और इसमें एक पुरुष पुलिस अफसर को सहप्रमुख बनाते हुए 3 अन्य अधिकारी शामिल किए जाएं। आयोग ने कहा कि इस अपवादजनक मामले का निपटान, संतोषजनक रूप से भेदभाव रहित, सही तथ्यों और परिस्थितियों की तह में जाकर और कानून के दायरे में रहकर जांच की जाए। आयोग ने मुख्यमंत्री कार्यालय, हरियाणा के गृहमंत्री और गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को अपने निर्देशों की प्रति भी भेजी है।
हरियाणा महिला आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट।
पुलिस से रिपोर्ट भी मांगी
महिला आयोग ने एक युवती की ओर से अलग-अलग थानों में यौन उत्पीड़न और रेप के केस दर्ज कराने को गंभीर और अनोखा मामला माना। साथ ही इसमें कानून के दुरूपयोग की आशंका भी जताई। आयोग ने गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर इन केसों में अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की है।
पुरूषों को शिकार तो नहीं बनाया
आयोग ने स्पष्ट किया है कि महिला सुरक्षा आयोग के लिए सर्वोपरि है। एक विशेषज्ञ निकाय के रूप में आयोग महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करता हैं और उनका समर्थन करता हैं। आयोग का मानना है कि कानून हर व्यक्ति की सुरक्षा के लिए भी बनाए गए हैं, बिना किसी लिंग भेद के। ऐसे कुछ मामले आयोग के समक्ष आए हैं जिसमे महिलाओं ने कानून का कहीं ना कहीं गलत प्रयोग किया। आयोग में आए कुछ मामलों में सेक्सपिनेज, जबरन वसूली, फीमेल फेटल-हनी ट्रैपिंग जैसी शिकायतें प्राप्त हुईं। यह मामला भी इनमें से किसी तरह का हो सकता है इसलिए आयोग ने पुलिस से तत्काल कार्रवाई और ध्यान देने की जरूरत जताई है।